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चुनाव परिणाम के बाद भाजपा 2024 की तैयारी में, वहीं कांग्रेस अध्यक्ष पर ही फंसी

17वीं लोकसभा का चुनाव परिणाम आए 23 जून को ठीक एक महीना हो गया
लोकसभा चुनाव में हार के बाद सदमे में चल रही कांग्रेस अभी भी मंथन के दौर से ही गुजर रही
नई दिल्ली –17वीं लोकसभा का चुनाव परिणाम आए 23 जून को ठीक एक महीना हो गया। ये समय दोनों ही पार्टियों के लिए काफी महत्वपूर्ण रहा। आइए जानें इस दौरान इन्होंने क्या किया-
भाजपा की गतिविधियां:
24 मई:संसदीय बोर्ड की बैठक में पार्टी ने आजादी की 75वीं वर्षगांठ तक देश को समावेशी और सुदृढ़ भारत बनाने का संकल्प लिया।

28 मई: असम की एक राज्यसभा सीट और बिहार-महाराष्ट्र की एक-एक विधान परिषद सीट के लिए उम्मीदवार का एेलान किया।

1 जून: अमित शाह ने भाजपा महासचिवों की बैठक ली। 2024 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर संगठन चुनाव की प्रक्रिया शुरू करने के लिए तैयारी करने को कहा।

9 जून: अमित शाह ने हरियाणा, झारखंड और महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव की तैयारी की बैठक ली।

12 जून: संसदीय दल की कार्यकारिणी का गठन किया गया। जिसमें लोकसभा और राज्यसभा में क्रमश: नरेंद्र मोदी और थावरचंद गहलोत को नेता बनाया गया।

13 जून: सदस्यता अभियान का खाका बनाया गया। शिवराज सिंह चौहान को सदस्यता का राष्ट्रीय प्रमुख और चार सह प्रमुख घोषित किए।

17 जून: जे.पी. नड्‌डा राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष घोषित हुए।

20 जून: जेपी नड्‌डा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की, जिसमें उन्होंने राज्यसभा में तेलुगुदेशम पार्टी के चार सांसदों के अलग बने ग्रुप का भाजपा संसदीय दल में विलय कराया।

कांग्रेस अध्यक्ष को लेकर संशय बरकरार, चुनाव वाले राज्यों में तैयारियां ठप:
लोकसभा चुनाव में हार के बाद महीने भर से सदमे में चल रही कांग्रेस अभी भी मंथन के दौर से ही गुजर रही है। पार्टी की बेपटरी गाड़ी अध्यक्ष राहुल गांधी के यार्ड में अटक कर रह गई है। कांग्रेस कार्यसमिति ने 25 मई को सर्वसम्मति से उनके इस्तीफे की पेशकश को खारिज कर दिया। इसके बाद से ही उनके पद पर बने रहने या न रहने को लेकर संशय बरकरार है। महत्वपूर्ण नीतिगत फैसलों वाली कोर कमेटी भी परिणाम के बाद भंग की जा चुकी है। अक्टूबर में प्रस्तावित महाराष्ट्र, हरियाणा व झारखंड विधानसभा चुनावों के लिए पार्टी की तैयारियां भी ठप पड़ी हैं।
पार्टी के महत्वपूर्ण फैसलों के आदेशों में अब कांग्रेस अध्यक्ष की बजाय अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के अनुमोदन की बात लिखी जा रही है। इसका जिक्र महाराष्ट्र और कर्नाटक कांग्रेस से संबंधित दो फैसलों में साफ तौर पर किया गया है। कार्यसमिति ने राहुल को राष्ट्रीय व प्रादेशिक स्तर पर सांगठनिक फेरबदल के लिए पूरी तरह अधिकृत किया था। इसके बावजूद उन्होंने इस दिशा में चार सप्ताह बाद भी एक भी फैसला नहीं लिया है। संकेत इस बात के भी हैं कि राहुल यदि इस्तीफा वापस नहीं लेते हैं तो जल्द ही अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी का एक दिवसीय महाधिवेशन बुलाकर उनके इस्तीफे की पेशकश को खारिज कराया जाए। पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला जरूर इस सवाल के जवाब में दो टूक कहते हैं कि राहुल अध्यक्ष थे, हैं और रहेंगे।
सूत्रों के मुताबिक अधीर रंजन चौधरी को लोकसभा में पार्टी संसदीय दल का नेता बनाए जाने के समय भी पार्टी दिग्गजों ने पहले राहुल को ही यह पद संभालने की पेशकश दी थी। लेकिन वे तैयार नहीं हुए। लोकसभा चुनाव परिणामों के बाद राहुल ने दो ही दौरे किए। एक नए संसदीय क्षेत्र वायनाड का और दूसरी विदेश यात्रा। वहीं प्रियंका ने मां सोनिया के साथ रायबरेली में धन्यवाद सभा की। उत्तर प्रदेश से संबंधित मसलों पर वे ट्विटर के जरिये ही सक्रिय हैं।

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