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Kamalnath Government Ministers : मुद्दों की लड़ाई मतभेद में बदली दो-फाड़ हुए कमलनाथ के मंत्री


कैबिनेट में बुधवार को खाद्य नागरिक आपूर्ति मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर और लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री सुखदेव पांसे के रवैए से मुख्यमंत्री कमलनाथ खासे नाराज हैं। कैबिनेट में जिस तरह मंत्रियों ने अमर्यादित व्यवहार किया, उससे अनुशासन पूरी तरह तार-तार हो गया। मुद्दों की लड़ाई मतभेद में बदल गई और मंत्री साफ तौर पर दो-फाड़ नजर आए। कांग्रेस की तरह कैबिनेट में भी एक खेमा कांग्रेस महासचिव ज्योतिरादित्य सिंधिया का बन गया तो दूसरा मुख्यमंत्री कमलनाथ का। मंत्रियों के बीच हुए तीखे विवाद के बाद गुरुवार को सुबह मंत्रालय में सामान्य प्रशासन मंत्री डॉ. गोविंद सिंह ने मुख्यमंत्री कमलनाथ से मुलाकात की। इस पूरे घटनाक्रम से ब्यूरोक्रेसी आशंकित है कि पता नहीं आगे क्या होगा, क्योंकि निर्दलीय विधायक चाहे जब सरकार को आंख दिखाने लगते हैं।
सूत्रों के मुताबिक मंत्रिमंडल की बैठक में जो घटना हुई, उसे मुख्यमंत्री द्वारा मंत्रियों को तवज्जो न देना और विभागीय कामों में ब्यूरोक्रेसी की वजह से आ रही दिक्कत से जोड़कर देखा जा रहा है। पिछले सप्ताह सिंधिया समर्थक दिल्ली में बैठक कर आए थे। इसके बाद भोपाल में डिनर पार्टी हुई। इसमें मंत्रियों ने विभागीय अधिकारियों के रुख पर आपत्ति उठाई और इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री से बात करने की रणनिति बनाई। बताया जा रहा है कि कैबिनेट बैठक में इस मुद्दे को उठाया जाना तय किया गया था, लेकिन सरकारी नौकरियों में अधिकतम आयु सीमा बढ़ाने से उपजे विवाद पर चर्चा से पूरी दिशा बदल गई।
बताया जा रहा है कि प्रद्युम्न सिंह तोमर बीच चर्चा में अपनी बात रखने लगे तो पहले मुख्यमंत्री और फिर दूसरे मंत्रियों ने टोका, जो उन्हें नागवार गुजरा। इससे विवाद खड़ा हो गया। गुरुवार को यह घटनाक्रम ब्यूरोक्रेसी के चर्चा के केंद्र में रहा। अधिकांश अधिकारियों के मत में इस पूरे घटनाक्रम से एक बात साफ हो गई कि कैबिनेट दो-फाड़ है और कुछ मंत्री नियंत्रण से बाहर भी हैं।
कैबिनेट में बहस जरूर होती रही है पर हमने कभी इस तरह का वाकया नहीं देखा : शर्मा
पूर्व मुख्य सचिव केएस शर्मा का कहना है कि हम भी कैबिनेट के सचिव रहे हैं पर हमने कभी ऐसा वाकया नहीं देखा। बैठक में चर्चा होती है। मंत्रियों के मत भी अलग-अलग होते हैं। बहस भी होती है पर मर्यादा की सीमा कभी नहीं लांघी गई। किसी मंत्री को यह कहते कभी नहीं सुना कि ऐसा नहीं चलेगा। यह तो अमर्यादित आचरण है और वो भी तब, जब मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में बैठक हो रही हो। बैठक में अधिकारी मौजूद रहते हैं। उनके बीच गलत छवि निर्मित होती है। सुशासन के मद्देनजर भी इस तरह के घटनाक्रम को अनुचित माना जाएगा। आपस में मतभेद या कहा-सुनी होने की नौबत आना, शासन-प्रशासन के लिए ठीक नहीं है। इससे गलत संदेश जाता है।
विवाद की बात से पलटे तोमर और पांस
कैबिनेट में हुए विवाद के चलते सुर्खियों में आए मंत्री प्रद्युम्न सिंह ने मीडिया से कहा कि भाजपा सरकार में अधिकारी ही सरकार चलाते थे, हम जनता की बात मंत्रिमंडल के पटल पर रखते हैं। कैबिनेट में नोंक-झोंक के सवाल पर वह कहते हैं कि बैठक में कई मुद्दों पर चर्चा हुई थी लेकिन विवाद की बात को वह टाल गए। मुख्यमंत्री अथवा मंत्री सुखदेव पांसे से किसी भी तरह की नोंक-झोंक के सवाल से उन्होंने स्पष्ट इनकार कर दिया।

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