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काव्य गोष्ठी के रूप में मनाया वरिष्ठ साहित्यकार वशिष्ठ का जन्मदिवस।

काव्य गोष्ठी के रूप में मनाया वरिष्ठ साहित्यकार वशिष्ठ का जन्मदिवस।
वरिष्ठ साहित्यकारों के जन्मदिवस पर हुआ करेगी काव्य गोष्ठी।
शिवपुरी के वरिष्ठ साहित्यकारों के जन्मदिवस पर युवा साहित्यकार काव्य गोष्ठी का आयोजन कर उन्हें सम्मानित किया करेंगे,इसी क्रम में पहली काव्य गोष्ठी शिवपुरी के वरिष्ठ साहित्यकार दिनेश वशिष्ठ के जन्मदिवस पर काव्य गोष्ठी स्थानीय जल मंदिर मैरिज हाउस में आयोजित की गई,जिसमे शिवपुरी के सभी वरिष्ठ साहित्यकारों की उपस्थिति रही।
सर्वप्रथम जन्मदिवस काव्य गोष्ठी में वरिष्ठ साहित्यकार दिनेश वशिष्ठ के जीवन चरित्र पर प्रकाश डालते हुए शिवपुरी के वरिष्ठ साहित्यकार व वशिष्ठ के बाल सखा अरुण जी अपेक्षित ने कहा कि अरुण और दिनेश एक दूसरे के पर्याय है,बचपन से ही इनमें काव्य प्रतिभा थी साथ ही रंगमंच के बेहतर कलाकार रहे है,शिवपुरी महाविद्यालय से वाद विवाद प्रतियोगिता में आपने परचम भी लहराया है,शिवपुरी के वरिष्ठ गीतकार डॉ एच पी जैन ने दिनेश जी वशिष्ठ के लेखन कार्य की प्रशंसा करते हुए  सच्चा व अच्छा व्यक्ति बताया,प्रो लखनलाल जी खरे ने बताया कि दिनेश जी मे भारतीय दर्शन इतिहास कलाशिल्प के प्रति गहरी रुचि है जिसके कारण उनका अध्ययन इतना जबरदस्त है कि शिवपुरी के आस पास की ऐतिहासिक महत्व की जानकारियों का भंडार उनके पास है।इसके बाद काव्य गोष्टि का आयोजन किया गया जिसमें सबसे पहले कु दिव्या भागवानी ने माँ तुम्हारे माथे की बिंदी को चंद्रबिंदु बनाकर,पन्ने पे सजे शब्दो से सजाया है कि प्रस्तुति दी।मयंक राठौर ने ये दिन धीरे धीरे गुजर रहे है इन्हें रोको तो जरा,ये हमसे कह रहे है कुछ इन्हें रोको तो जरा, के बाद कु प्रियंका राजपूत ने बुजुर्गों का साथ क्या होता है ये जाना है मेने,इस सुखद एहसास को बड़े प्यार से जाना है मेने सुनाया विकास प्रचंड ने मीरा बनकर भजन सुनाये तब वह खटकी,सीता गीता सावित्री से दिव्य परम्परा चलती सुनाया।हास्य व्यंग्य के वरिष्ठ कवि राजकुमार चौहान ने या खुदा ये मेरे साथ कैसी गद्दारी की,मेरे ही सर की ये उजड़ी फुलवारी कैसे की,जब उजड़ ही गया चमन सारा,बिना बालो के फिर कंघी कैसे की सुनाकर सभी को खूब हंसाया।प्रो लखनलाल जी खरे ने हम शांति चाहते है और कुछ नही,तकरार बढ़ाने वालो हम हुए अभी कमजोर नही सुनाकर तालिया बटोरी।डॉ एच पी जैन ने जुबा पे नाम जो आये जुबा खुशबू दे,में उसको सोचु तो सारा जहांन खुशबू दे गीत सुनाकर वाह वाही पाई।प्रदीप सुकून ने मेरे जज्बात को मिट्टी में मिलाने वाले,कल इसी मिट्टी को चूमेंगे मिट्टी में मिलाने वाले सुनाकर काव्य गोष्ठी को आगे बढ़ाया।विजय भार्गव ने आदर्शो की बात आज के युग मे ठकुर सुहाती है,राम राज्य की याद में उम्र गुजरती जाती है ने सुनाया।अरुण अपेक्षित ने भावना संघर्ष की मन मे प्रबल है,वह नही कमजोर  जिसमे आत्मबल है सुनाकर एक बेहतर संदेश दिया।इशरत ग्वालियरी ने जहाँ को जीत  लेते थे मुहब्बत की जुबा से हम,न जाने बो जुबा उठाकर हमने कहा रख दी तरन्नुम में गाकर सुनाया,हरिश्चंद जी भार्गव ने उलझा के ये चित्र एक एक दिवस कर,मौसम सब बीत गये, पलको की कोष में मोती सब रीत गये,सुनाकर गोष्ठी को पूर्ण किया।इस अवसर पर दिनेश जी वशिष्ठ ने जीवन के कुछ किस्सों को सभी से साझा करते हुए सभी का शुक्रगुजार किया।अंत मे आभार प्रदर्शन कार्यक्रम संयोजक आशुतोष शर्मा व काव्य गोष्टि का सफल संचालन विकास प्रचंड ने किया।

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