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कांग्रेस ने दो महीने में बनाए 1200 पदाधिकारी

   

मिशन 2019 : बड़े नेताओं की सिफारिश पर दिए पद
महासचिव से लेकर ब्लॉक तक बनाए पदाधिकारी

अरुण तिवारी, भोपाल. प्रदेश के बाद केंद्र में सरकार बनाने में जुटी कांग्रेस ने नाराज कार्यकर्ताओं को पद से नवाजा है। लोकसभा चुनाव में प्रदेश की 29 में से 20 से ज्यादा सीटें जीतने के लिए अपनाए गए समन्वय के इस फॉर्मूले के तहत दो माह में 1200 नियुक्तियां की गई हैं। इन्हें महासचिव, सचिव से लेकर जिला और ब्लॉक कमेटी तक में पद दिए गए हैं। ये सभी पद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ, सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह समेत अन्य बड़े नेताओं की सिफारिश पर दिए हैं। इस फॉर्मूले ने असर भी दिखाया और कार्यकर्ता लेटरहेड छपवाकर पार्टी के कामकाज में जुट गए हैं।
– किसकी की सिफारिश पर कितने पद
कमलनाथ की सिफारिश पर 300 से अधिक नियुक्तियां की गई हैं। कमलनाथ के लिए ये लोकसभा चुनाव प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है, इसलिए वे सभी को साथ लेकर चलना चाहते हैं। सिंधिया ने अपने क्षेत्र ग्वालियर-चंबल से करीब 150 कार्यकर्ताओं को पदाधिकारी बनवाया है। इस अंचल में सफलता का श्रेय भी सिंधिया को जाता है, इसलिए उन्होंने कार्यकर्ताओं को पद दिलाने में कोताही नहीं बरती। समन्वय की कमान संभालने वाले दिग्विजय सिंह ने समन्वय बैठाने के लिए 200 से ज्यादा कार्यकर्ताओं की सिफारिश की। उनके इस फॉर्मूले ने खूब असर दिखाया और बागी तेवर ठंडे पड़ते गए। प्रदेश प्रभारी दीपक बावरिया ने पूरे प्रदेश में बैठकें कर कार्यकर्ताओं का मानस टटोला और 200 लोगों को पदाधिकारी बनवा दिया। अजय सिंह ने विंध्य, अरुण यादव ने निमाड़, कांतिलाल भूरिया ने आदिवासी क्षेत्र और सुरेश पचौरी ने मध्य क्षेत्र में संतुलन व समन्वय के लिए 50-50 से ज्यादा समर्थकों को संगठन में पद दिलवाए।

– नाराज विधायकों से भी मांगे नाम
कुछ वरिष्ठ विधायक मंत्री न बन पाने के कारण नाराज हैं। इनमें केपी सिंह, एदल सिंह कंसाना, राज्यवर्धन सिंह दत्तीगांव, विक्रम सिंह नातीराजा, हीरा अलावा और बिसाहूलाल सिंह के नाम शामिल हैं। संगठन ने इन नेताओं से भी पद देने के लिए उनके समर्थकों के नाम मांगे हैं। लोकसभा चुनाव में सबको साधकर चलने के लिए ये रणनीति अपनाई जा रही है। वहीं, संगठन की ओर से नाराज नेताओं को ये संदेश भी दिया जा रहा है कि लोकसभा चुनाव के बाद निगम-मंडलों की नियुक्तियों में उनको प्राथमिकता दी जाएगी।
– सिर्फ लेटरहेड के लिए नहीं बनाया पदाधिकारी
कमलनाथ ने इन पदाधिकारियों से दो टूक कहा कि उनको सिर्फ लेटरहेड और विजिटिंग कार्ड छपवाने के लिए पदाधिकारी नहीं बनाया है। लोकसभा चुनाव में गुटबाजी छोड़ पूरे मन से काम में जुट जाना है। पदाधिकारी के नाते उनकी जिम्मेदारी बढ़ जाती है, इसलिए उनको अपने क्षेत्र के सभी लोगों को साथ लेकर चलना है। अपना बूथ जिताने वाले कार्यकर्ताओं को सरकारी संस्थाओं में जगह दी जाएगी।
जो कार्यकर्ता जिस योग्य है, उसे उस हिसाब से संगठन में पद दिया गया है। ये नियुक्यिां संगठन को मजबूत के लिए की गई हैं।
– चंद्रप्रभाष शेखर, संगठन प्रभारी, प्रदेश कांग्रेस

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