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कश्मीर में जमात-ए-इस्लामी के कार्यकर्ताओं के गिरफ्तारी के बाद केंद्र सरकार ने गुरुवार को एक बड़ा फैसला लिया है। केंद्र सरकार ने गुरुवार को एक अधिसूचना जारी करते हुए अलगाववादी संगठन जमात-इस्लामी को बैन करने के आदेश दिए हैं।

कश्मीर में जमात-ए-इस्लामी के कार्यकर्ताओं के गिरफ्तारी के बाद केंद्र सरकार ने गुरुवार को एक बड़ा फैसला लिया है। केंद्र सरकार ने गुरुवार को एक अधिसूचना जारी करते हुए अलगाववादी संगठन जमात-इस्लामी को बैन करने के आदेश दिए हैं।

केंद्र सरकार ने अलगाववादी संगठन जमात-ए-इस्लामी को किया बैन

राष्ट्रविरोधी गतिविधियों और अलगाववाद में शामिल होने का आरोप लगाते हुए किया प्रतिबंधित

गुरुवार शाम केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जारी की अधिसूचना, 5 साल तक लागू रहेगा प्रतिबंध

22 फरवरी को गिरफ्तार किए गए थे जमात-ए-इस्लामी के कई कार्यकर्ता

श्रीनगर 
कश्मीर में अलगाववाद पर एक बड़ी कार्रवाई करते हुए केंद्र सरकार ने अलगाववादी संगठन जमात-ए-इस्लामी पर प्रतिबंध लगाने का आदेश जारी किया है। इस संबंध में गुरुवार शाम गृह मंत्रालय ने एक अधिसूचना जारी करते हुए जमात-ए-इस्लामी पर पांच साल का प्रतिबंध लगाने का ऐलान किया है। मंत्रालय ने अपनी अधिसूचना में यह कहा है कि जमात-ए-इस्लामी ऐसी गतिविधियों में शामिल रहा है जो कि आंतरिक सुरक्षा और लोक व्यवस्था के लिए खतरा हैं। ऐसे में केंद्र सरकार इसे एक विधि विरूद्ध संगठन घोषित करती है। 
केंद्र सरकार द्वारा जारी अधिसूचना में जमात-ए-इस्लामी के अलगाववाद और देश विरोधी गतिविधियों में भी शामिल होने की बात कही गई है। इसके अलावा इसको नफरत फैलाने के इरादे से काम करने वाला एक संगठन भी बताया गया है, जिसके बाद मंत्रालय ने सुरक्षा और कानून-व्यवस्था के लिहाज से संगठन को प्रतिबंधित करने के आदेश दिए हैं। बता दें कि हाल ही में एजेंसियों ने कश्मीर घाटी से जमात-ए-इस्लामी के तमाम सदस्यों को गिरफ्तार किया था। 
22 फरवरी को गिरफ्तार हुए थे अलगाववादी नेता 
घाटी में 22 फरवरी को हुई एक बड़ी कार्रवाई के दौरान पुलिस ने जम्मू-कश्मीर  लिब्रेशन फ्रंट और जमात-ए-इस्लामी के 130 से अधिक कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया था। 22 फरवरी की रात दक्षिण, मध्य और उत्तरी कश्मीर के इलाकों में यह छापेमारी की गई थी, जिसमें जमात संगठन के प्रमुख अब्दुल हामिद फयाज सहित दर्जनों नेताओं को हिरासत में लिया गया। इस कार्रवाई के बाद महबूबा मुफ्ती  ने जमात-ए-इस्लामी के कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी की निंदा की थी। इसके अलावा पूर्व राज्यमंत्री सज्जाद लोन ने इस कार्रवाई पर सवालिया निशान लगाए थे। 
महबूबा ने किया था जमात-ए-इस्लामी का समर्थन 
महबूबा ने इन लोगों की गिरफ्तारी के बाद अपने ट्वीट में लिखा था कि ‘पिछले 24 घंटे में हुर्रियत नेताओं और जमात संगठन के कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया है। महबूबा ने कहा कि इस तरह के मनमाने कदम को वह समझ नहीं पा रहीं, जिससे केवल मामला उलझेगा…उनकी गिरफ्तारी किस कानूनी आधार के अंतर्गत की गई है और क्या वह जायज है? आप एक व्यक्ति को जेल में डाल सकते हो लेकिन उसके विचारों को नहीं।’ 
सज्जाद लोन ने भी उठाए थे सवाल 
वहीं सज्जाद लोन ने कहा था कि सरकार गिरफ्तारी की होड़ में दिखाई दे रही है। चेतावनी सिर्फ एक शब्द है। 1990 में बड़ी संख्या में गिरफ्तारी हुई थी। कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिए जाने पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए लोन ने कहा, ‘नेताओं को जोधपुर और देश भर की अलग-अलग जेलों में ले जाया गया। चीजें और बिगड़ गई हैं। यह एक आजमाया हुआ और विफल मॉडल है। यह काम नहीं करेगा। चीजें और बिगड़ेंगी।’ 

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