भोपाल (ब्यूरो)। अब भारी वाहनों को परमिट के पहले आरटीओ कार्यालय सड़क की स्थिति पता लगाएगा। सड़क बनाने वाली एजेंसी प्रमाणित करेगी कि सड़क सुरक्षित और 12 महीने चलने वाली है तो ही परमिट जारी होगा। इसके लिए परिवहन विभाग नियम में संशोधन करेगा। इस पर दावे-आपत्ति बुलाए गए हैं। ट्रांसपोर्टर भी नियम के बदलावे के पक्ष में हैं। अधिकारियों ने बताया कि अभी मंजिली वाहन (रुकरुककर चलने वाले) को परमिट से पहले इंस्पेक्टर के जरिए सड़क के सर्वे का नियम है।

आमतौर पर इसका पालन नहीं होता। पिछले कुछ महीनों में पुल-पुलिया से वाहन गिरने और सड़क हादसों की बढ़ती संख्या को देखते हुए सरकार ने परमिट जारी करने के नियम में बदलाव का सैद्धांतिक फैसला किया है। इसके तहत परमिट जारी करने से पहले आरटीओ सड़क बनने वाली एजेंसी जैसे- लोक निर्माण विभाग, सड़क विकास निगम, राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण, ग्रामीण सड़क विकास प्राधिकरण से सर्टिफिकेट लेगा। इसमें सड़क पर पुल, पुलिया की स्थिति, भौगोलिक नक्शा, ब्लैक स्पॉट (दुर्घटना संभावित क्षेत्र), सड़क की कुल दूरी, सड़क पर पड़ने वाले गांव और नगर, सभी मौसम में चलने वाली सड़क का ब्योरा रहेगा। इसके आधार पर मंजिली वाहनों के परमिट जारी होंगे।
सही निर्णय, सुधार होगा: कैपिटल रोडवेज के सीएस गुलाटी का कहना है कि वास्तव में अभी सड़क को लेकर सर्वे नहीं होता है। सड़कों की स्थिति के बारे में पूरा ब्योरा नहीं होने की वजह से हादसे बढ़े हैं। इसे देखते हुए निर्माण एजेंसी से सड़कों की स्थिति को लेकर प्रमाणपत्र लेने का निर्णय वाजिब है। नियम में संशोधन के पर दावे-आपत्ति बुलाए हैं। 30 दिन तक जो दावे-आपत्ति आएंगे, उनका निराकरण कर 20 नवंबर के बाद नियम को अंतिम रूप दिया जाएगा।