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दिग्विजय के भाई ने कहा- कमलनाथ सरकार यह सिद्ध करे की वह ईमानदार है, कांग्रेस अध्यक्ष ऐसा हो जो मोदी से लड़ सके

   

कांग्रेस का अब वो समय चला गया है जब कांग्रेस का एकछत्र राज था। अब हमको अपनी कार्यप्रणाली बदलनी पड़ेगी।

सत्ता और संगठन में समन्वय होना बहुत जरूरी है।

लोकसभा चुनावों में टिकट का जो चयन हुआ उसमें हमने बहुत बड़ी गलती की।

कमलनाथ को स्पष्टीकरण देना चाहिए कि उनके करीबियों के यहां छापे क्यों पड़े।

भोपाल. कांग्रेस विधायक और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ( digvijaya singh ) के भाई लक्ष्मण सिंह को अपनी बेबाकी के लिए जाना जाता है। इसी बेबाकी के साथ उन्होंने कहा कि मैं चाहता हूं कि यह सरकार सिद्ध करे कि वह ईमानदार है और उसकी छवि उज्जवल है। अगर हम ऐसा नहीं कर पाए तो जनता हमें बेदखल कर देगी। राजपरिवारों की राजनीति पर कहा कि अब उनकी पुश्तैनी राजनीति का समय खत्म हो गया है। नेताओं को हुजूर-हुकुम की मानसिकता से बाहर आना चाहिए। मुख्यमंत्री कमल नाथ ( Kamal Nath ) पर भी सवाल खड़े करते हुए कहा कि उन्हें सबके सामने आकर स्पष्टीकरण देना चाहिए कि आखिर उनके करीबियों पर छापे की नौबत क्यों आई। लक्ष्मण सिंह ने पत्रिका के शैलेंद्र तिवारी से बात की, पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश…

 
 
Q- ऐसा क्यों हुआ कि कांग्रेस में एक बार या दो बार के विधायक मंत्री बन गये और वरिष्ठ नेता दरकिनार कर दिए गए?
A- मंत्री बनाना या नहीं बनाना यह दुर्भाग्यवश कांग्रेस ( Congress ) में बंद कमरों में तय होता रहा है। इसमें यह नहीं देखा जाता है कि कौन कितनी बार जीता है या किस का अनुभव क्या है। पार्टी ने इसकी वजह से नुकसान भी बहुत उठाया है कि चंद लोग बंद कमरे में बैठकर या पांच सितारा होटल में बैठकर टिकट तय कर लेते हैं, मंत्रिमंडल तय कर लेते हैं। ऊपर से जो निर्णय होते आए हैं उसका परिणाम है कि कांग्रेस पार्टी आज जहां है। अगर नीचे से जो सुझाव आएं उन पर निर्णय लें तो आज जो दुर्दशा कांग्रेस की हुई है वो नहीं होती। कांग्रेस तभी खड़ी होगी जब निर्णय नीचे से होंगे। अगर पांच सितारा होटल में बैठकर बंद कमरों में बैठकर मुट्ठी भर लोगों ने निर्णय लए तो भविष्य मुझे अच्छा नहीं दिख रहा है।
 
 
Q- बंद कमरों में निर्णय लेने वालों की कोर कमेटी है उसमें आपके बड़े भाई दिग्विजय सिंह भी शामिल हैं?
A- मैं इससे इंकार नहीं कर रहा हूं, लेकिन कांग्रेस का अब वो समय चला गया है जब कांग्रेस का एकछत्र राज था। अब हमको अपनी कार्यप्रणाली बदलनी पड़ेगी। कार्यकर्ता का उत्साह बढ़ता है ऊपर जो नेता हैं उनको देखकर उनकी कार्यप्रणाली को देखकर। अगर हम कार्यकर्ताओं के उत्साह को नहीं बढ़ा पाए तो आगे नुकसान तय है।

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