कांग्रेस अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी के नेतृत्व में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में युवा नेतृत्व के भविष्य पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के इस्तीफ के बाद एक फिर कांग्रेस की कमान संभाल रही सोनिया गांधी सिरे से युवा नेतृत्व को किनारे लगा रही है। हरियाणा के युवा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अशोक तंवर और महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस के बड़े नेता संजय निरूपम इसके बड़े उदाहरण हैं।
लोकसभा चुनाव 2019 में गुना लोकसभा सीट से हारे मध्य प्रदेश कांग्रेस के युवा नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया की हालत की हालत किसी से छिपी नहीं हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया लगातार शीर्ष नेतृत्व को अपनी अनदेखी के लिए आंखे दिखाते हैं, लेकिन मीडिया जब उन्हें तूल देने लगता है तो सिंधिया फिर वापस अपनी खोल में लौट जाते हैं।
गौरतलब है मई, 2019 में गुना सीट से हार के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया सक्रिय राजनीति से दूर हैं। मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद की रेस में सबसे आगे ज्योतिरादित्य को कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व ग्रीन सिग्नल नहीं दे रहा है। वजह साफ है कि कांग्रेस आलाकमान मध्य प्रदेश कांग्रेस में गुटबाजी का संकट नहीं खड़ा करना चाहती है, क्योंकि मध्य प्रदेश में बिल्कुल कगार पर खड़ी कमलनाथ सरकार को खतरा हो सकता है।
पहले ज्योतिरादित्य सिंधिया को मध्य प्रदेश की मुख्यमंत्री की कुर्सी की रेस से बाहर कर दिया और उनकी जगह बुजुर्ग कमलनाथ को सीएम की कुर्सी पर बिठा दिया। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस के फैसले का विरोध नहीं किया, लेकिन कमलनाथ और दिग्विजय सिंह की जोड़ी के चलते अब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद पर भी ज्योतिरादित्य को तवज्जो नहीं दिया जा रहा है, जिससे ज्योतिरादित्य अस्तित्व संकट से गुजर रहे हैं।
यही कारण है कि ज्योतिरादित्य के कांग्रेस छोड़ने और बीजेपी में शामिल होने अथवा नई पार्टी के गठन की खबरें सोशल मीडिया पर छाई रहती हैं। अगस्त महीने में ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीजेपी ज्वाइन की खबरें खूब वायरल हुईं थी जब सिंधिया समर्थक एक विधायक ने दावा किया कि ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने समर्थक विधायकों के साथ भाजपा में शामिल हो सकते हैं और मध्यप्रदेश के नए मुख्यमंत्री भी बन सकते हैं। यह खबर जैसे ही कांग्रेस की शीर्ष नेतृत्व के पास पहुंचा तो हड़कंप मच गया। हालांकि बाद में मीडिया के सामने आए ज्योतिरादित्य ने खबरों को निराधार बताते हुए उसका खंडन कर दिया।
लेकिन सोशल मीडिया में ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीजेपी ज्वाइन करने की खबर इतनी वायरल हो गईं कि कांग्रेस प्रवक्ता पंकज चतुर्वेदी को सफाई देने के लिए मीडिया के सामने आना पड़ा। कांग्रेस प्रवक्ता ने सोशल मीडिया में चल रही खबरों को निराधार बताते हुए कहा कि ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस के थे और हमेशा कांग्रेस में रहेंगे और उनके बीजेपी में शामिल होने का सवाल ही नहीं उठता है।
ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीजेपी में जाने की अटकलें इसलिए लगाई जाने लगी थी, क्योंकि ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पार्टी लाइन से इतर जाकर भारतीय सेना द्वारा पीओके में चल रहे आतंकी कैंपों को ध्वस्त करने और जम्मू-कश्मीर राज्य से अनुच्छेद 370 हटाने के मोदी सरकार के फैसला का स्वागत किया था जबकि कांग्रेस आलाकमान दोनों मुद्दों पर मोदी सरकार पर हमलावर थी।
अभी हाल ही में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपनी ट्वीटर प्रोफाइल के बॉयो से कांग्रेस का नाम हटाकर भी उन अटकलों को हवा देने की कोशिश की है, जिसको कांग्रेस प्रवक्ता और खुद ज्योतिरादित्य सिंधिया खारिज कर चुके हैं। सिंधिया ने अपने ट्वीटर बॉयो से पूर्व सांसद और संसद सदस्य हटाकर समाजसेवी लिख दिया है।
बॉयो से कांग्रेस हटाने पर कई कांग्रेसी नेताओं ने ज्योतिरादित्य के मंशूबों पर सवाल उठाए हैं। वहीं बीजेपी प्रवक्ता हितेश वाजपेयी ने ज्योतिरादित्य के बहाने प्रदेश की कमलनाथ सरकार पर हमला करते हुए कहा कि सिंधिया और उनके समर्थक मौजूदा कमलनाथ सरकार से खुश नहीं हैं और उनका गुस्सा किसी स्तर तक जा सकता है।
कहा जा रहा है कि कांग्रेसी आलाकमान की अनदेखी के चलते ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीजेपी में जाने की खबर को बल मिला है। इन बातों को हवा तब और मिल गई जब सिंधिया ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के फैसले का स्वागत करते हुए मोदी सरकार की प्रशंसा कर दी।
जबकि राहुल गांधी समेत कांग्रेस के अग्रणी पंक्ति के नेता मोदी सरकार के फैसले का खुलकर विरोध कर रहे थे। जम्मू-कश्मीर पर मोदी सरकार के फैसले का समर्थन करने के बाद भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभात झा ने कहा कि ज्योतिरादित्य सिंधिया भाजपा परिवार के ही हैं। उनके पिता माधव राव सिंधिया ने पहला चुनाव जनसंघ के चुनाव चिन्ह पर ही जीता था।
उल्लेखनीय है ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोड़ने और नई पार्टी से जुड़ने की खबरें लगातार सोशल मीडिया में सुर्खियां बनती रहती हैं, लेकिन जैसे बिना आग के धुंआ नहीं होता, वैसे ही ज्योतिरादित्य भी कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व की ओर से अपनी अनदेखी के चलते सुलग रहे है, जिसकी परिणित ही है जब ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने ट्वीटर एकाउंट से कांग्रेस का नाम हटा देते हैं।
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ को उनके लेटरहेड कांग्रेस पार्टी का लोगो छू मंतर हो जाता है। निःसंदेह ज्योतिरादित्य सिंधिया सक्रिय राजनीति से बाहर होने के चलते परेशान है और यही कारण है कि वो विभिन्न उपक्रमों के जरिए कांग्रेस आलाकमान को एलर्ट करने की कोशिश करते रहते हैं।
ग्वालियर अंचल के दिग्गज नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मुख्यमंत्री कमलनाथ के नाम पत्र लिखा है, लेकिन लेटरहेड से कांग्रेस का लोगो गायब था। यह पत्राचार कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच हुआ था, लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया ने खुद मुख्यमंत्री को लिखे पत्र को सोशल मीडिया पर सार्वजनिक किया। सार्वजनिक किए गए पत्र में बात तो चंबल एक्सप्रेस-वे की गई है, लेकिन मैसेज कुछ और देने की कोशिश की जा रही है।
कमलनाथ को भेजे पत्र के लेटरहेड से उन्होंने अपना परिचय हटा दिया है। लेटरहेड से ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पूर्व केंद्रीय मंत्री और पूर्व कांग्रेस सांसद हटा रखा है। यहां तक कि उन्होंने लेटरहेड से कांग्रेस कार्यकर्ता तक भी लिखना गवारा नहीं है। मुख्यमंत्री को भेजे उनके लेटर हेड पर सिर्फ “ज्योतिरादित्य सिंधिया” लिखा है।
ताजा अटकलों पर भरोसा करें तो ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस से अलग होकर पिता माधवराव सिंधिया द्वारा स्थापित मध्य प्रदेश विकास कांग्रेस पार्टी को दोबारा जीवित कर सकते हैं। ज्योतिरादित्या समर्थक एक विधायक की मानें तो उनके कांग्रेस छोड़ते ही ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक 20 विधायक भी कांग्रेस छोड़ सकते हैं, जिससे सीएम कमलनाथ कैंप में हड़कंप है। बताया जाता है इसी चिंता में बीते रोज कमलनाथ के नजदीकी सांसद विवेक तन्खा ने ज्योतिरादित्य सिंधिया से बात की है। लेकिन अगर ऐसा होता है तो मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार संकट में आ सकती है।
पिता की पार्टी फिर से जिंदा करेंगे ज्योतिरादित्य सिंधिया
मध्यप्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थकों की संख्या कम नहीं है। ज्यादातर सिंधिया समर्थक चाहते हैं कि वह “मध्य प्रदेश विकास कांग्रेस पार्टी” को फिर से जीवित करें। मध्य प्रदेश की राजनीति का इतिहास बताता है कि यहां कांग्रेस और भाजपा के अलावा किसी तीसरी पार्टी जड़े मजबूत नहीं हो पाई। खुद माधवराव सिंधिया भी अपनी पार्टी को लंबे समय तक नहीं चला पाए थे। ज्योतिरादित्य सिंधिया शायद इसी उधेड़बुन में है। यदि वह अपनी पार्टी बनाते हैं तो मध्यप्रदेश में पार्टी की स्थिति क्या होगी।
ट्विटर पर ज्योतिरादित्य सिंधिया के बायो में कांग्रेस का जिक्र नहीं
अब उनका बायो लोक सेवक और क्रिकेट प्रेमी हो गया है। इससे पहले सिंधिया के ट्विटर प्रोफाइल में पूर्व केंद्रीय मंत्री और पूर्व सांसद लिखा हुआ था। ज्योतिरादित्य सिंधिया के ट्विटर प्रोफ़ाइल में कहीं भी कांग्रेस पार्टी का ज़िक्र नहीं है। ऐसे में ज्योतिरादित्य सिंधिया के ट्विटर प्रोफाइल बदलने से कई सवाल खड़े हो रहे हैं कि उन्होंने ऐसा क्यों किया?
जब ज्योतिरादित्य सिंधिया ने खुद की पार्टी पर उठाए सवाल
सिंधिया ने कर्जमाफी, बाढ़ राहत राशि के लिए सर्वे और बिजली कटौती के मामले में खुद की पार्टी वाली कमलनाथ सरकार को कटघरे में खड़ा किया था जिसकी वजह से बीजेपी को भी कमलनाथ सरकार पर हमला करने के कई मौके मिले। इसके अलावा सिंधिया ने कश्मीर में धारा 370 हटाने को लेकर केंद्र सरकार के कदम का समर्थन करते हुए भी ट्वीट किया था जिस पर बड़ा राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया था। बता दें कि सिंधिया समर्थक मंत्री और विधायक उन्हें मध्य प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाए जाने की मांग शुरू से कर रहे हैं। प्रदेश में कांग्रेस की विधानसभा चुनाव 2018 में हुई जीत के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया को मुख्यमंत्री बनाने की मांग के साथ उनके समर्थकों ने भोपाल से लेकर दिल्ली तक प्रदर्शन किया था।
ज्योतिरादित्य सिंधिया बॉयो पर बोले-इस मामले को ना दें तूल
ज्योतिरादित्य सिंधिया के ट्विटर पर बायो लोक सेवक और क्रिकेट प्रेमी हो जाने के सवाल पर उन्होंने मीडिया से बात भी की, जिसमें सिंधिया ने कहा कि उनके समझ में नहीं आ रहा कि आखिर इस मामले को इतना तूल क्यों दिया जा रहा है। उन्होंने एक महीने पहले ही इसे बदल दिया था क्योंकि लोग बोल रहे थे कि यह काफी लंबा है। मध्य प्रदेश में कुछ विधायकों के कथित तौर पर गायब होने के सवाल पर भी सिंधिया ने जवाब दिया और कहा कि ये सब बेकार की बात है। जो गायब है उसका नाम बताएं, वे उससे बात करवाएंगे।