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Rahul Gandhi को था सरकार बनने का पूरा भरोसा, नतीजों से पहले ही बंट गए थे मंत्रीपद: रिपोर्ट

Rahul Gandhi को था सरकार बनने का पूरा भरोसा, नतीजों से पहले ही बंट गए थे मंत्रीपद: रिपोर्ट

राहुल गांधी को उनके करीबियों ने ऐसे आंकड़े बताए कि सब धोखा खा गए।
नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा और राहुल गांधी के लिए तो यह इतना बड़ा झटका था कि उन्होंने पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने का फैसला कर किया है। अब एक रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि राहुल गांधी और उनकी टीम को यूपीए की जीत का पूरा भरोसा था। राहुल को बताया गया था कि कांग्रेस 184 सीट जीतेगी। यदि इस आंकड़े में कुछ गलती भी हुई तो 164 सीट पक्की हैं। इसके बाद राहुल ने मंत्रिमंडल का खाका खींच लिया था। डीएमके नेता एमके स्टेलिन को फोन कर केंद्रीय गृहमंत्री बनने का ऑफर दे दिया गया था। अखिलेश यादव, शरद पवार, उमर अब्दुल्ला और तेजस्वी यादव से भी कांग्रेस ने बात कर ली थी और केंद्र सराकर में बड़े मंत्रीपद ऑफर कर दिए थे। यह सब 21 मई यानी राजीव गांधी की पुण्यतिथि वाले दिन हुआ। बहरहाल, 23 मई को जैसे-जैसे नतीजे आए, राहुल गांधी और कांग्रेस के अरमानों पर पानी फिर गया। यही कारण है कि अब राहुल गांधी अपनी टीम से बहुत नाराज हैं और किसी भी बैठक में हिस्सा नहीं ले रहे हैं।
संडे गार्जियन ने पॉलिटिकल एडिटर पंकज वोहरा के हवाले से यह जानकारी प्रकाशित की है। रिपोर्ट में लिखा गया है कि कांग्रेस ने पहले ही तय कर लिया था कि नतीजे आने पर सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया जाएगा। इसके लिए दो लेटर्स बनाकर तैयार कर लिए गए थे, जिन्हें सबसे पहले राष्ट्रपति के समक्ष प्रस्तुत किया जाना था। विजय जुलूस की तैयारियां हो गई थीं। कुछ बड़े कांग्रेस नेताओं को 24, अकबर रोड़ स्थित एआईसीसी के ऑफिस के बाहर 10 हजार लोगों की भीड़ जुटाने के लिए कह दिया गया था।
रिपोर्ट में आगे लिखा गया है कि इस मामले में राहुल को सबसे ज्यादा धोखा प्रवीण चक्रवर्ती से मिला जो कांग्रेस का इलेक्शन ऑफिस देखते थे और पार्टी के लिए डाटा एनालिसिस करते थे। 21 मई को प्रवीण ने राहुल से मुलाकात की थी और कांग्रेस के 184 संभावित विजेताओं की लिस्ट सौंपी थी। इस आंकड़े की दो बार जांच हुई थी। इसके बाद न केवल राहुल, बल्कि सोनिया और प्रियंका भी जीत के प्रति आश्वस्त हो गए थे। राहुल ने पहली बार जीतकर आने वाले कांग्रेस के 100 सांसदों की लिस्ट बनाने को कहा था। राहुल ने उन नेताओं की लिस्ट भी बनवाई थी, जो हार रहे हैं, लेकिन जिन्हें सरकार में शामिल किया जाना है।

रिपोर्ट के अनुसार, प्रवीण की लिस्ट मिलने के अगले दिन यानी 22 मई को राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने मोर्चा संभाला। दोनों ने अपनी पार्टी और गठबंधन के बड़े नेताओं से संपर्क शुरू किया। खबर है कि राहुल ने स्टेलिन को फोन किया और गृहमंत्री का पद ऑफर किया। शरद पवार से भी गुजारिश की गई कि वे सरकार का हिस्सा बनें। अखिलेश यादव को भी अहम पद ऑफर किया गया। इस दौरान राहुल ने यह भी पूछा कि यूपी में महागठबंधन कितनी सीटें जीत सकता है, तो अखिलेश ने 40 से ज्यादा सीटों पर जीत का दावा किया था और कांग्रेस के खाते में 9 सीटें जाने की बात कही थी। राहुल ने बिहार में तेजस्वी यादव और जम्मू-कश्मीर में उमर अब्दुल्ला से भी बात की।

वहीं प्रियंका ने कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों से बात की और उनसे बड़े नेताओं की लिस्ट मांगी, जिन्हें केंद्र में मंत्री बनाया जा सके। कांग्रेस को अपनी जीत पर इतना भरोसा था कि नतीजों वाले दिन प्रेस कॉन्फ्रेंस का पूरा कार्यक्रम भी बन गया था। बहरहाल, जैसे-जैसे नतीजे आए, राहुल का सपना टूट गया। फिलहाल वे इंग्लैंड में हैं और खबर है कि सोमवार से शुरू हो रहे संसद सत्र के समय या 19 जून को अपने जन्मदिन पर भारत लौट सकते हैं।

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