केंद्र सरकार के कर्मचारियों की मांग है कि उनकी सैलरी को सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों से ज्यादा बढ़ाया जाए। उनकी मांग है कि उनकी न्यूनतम सैलरी को 18,000 रुपए महीने से बढ़ाकर 26,000 रुपए महीने कर दिया जाए।
एक तरफ उत्तर प्रदेश के लाखों सरकारी कर्मचारी एनपीएस के कार्यान्वयन के खिलाफ विरोध कर रहे हैं और दूसरी ओर, केंद्र सरकार और राज्य सरकार के ऐसे कर्मचारी भी हैं जो अभी भी सातवें वेतन आयोग के लागू होने की प्रतीक्षा कर रहे हैं। लेकिन इसी बीच दिल्ली में सरकारी अस्पतालों के डॉक्टरों के लिए अच्छी खबर आई है। सरकार ने सरकारी अस्पतालों के डॉक्टरों की सैलरी बढ़ाने का फैसला किया है। साथ ही सरकारी डॉक्टरों को तीन साल यानि कि 36 महीने का एरियर भी दिया जाएगा। बता दें कि दिल्ली में सरकारी डॉक्टरों ने हड़ताल पर जाने की धमकी दी थी। डॉक्टर 7 वें वेतन आयोग के लाभ और भुगतान प्रक्रिया में असमानताओं को हटाने के लिए मांग कर रहे हैं।
फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोशिएसन (FORDA)के अध्यक्ष डॉक्टर सुमेध सांदशिव ने कहा कि आज दिल्ली सरकार के अस्पतालों के रेजिडेंट डॉक्टरों के लिए यह एक अच्छा दिन था! संबंधित अधिकारियों के साथ कई बैठकें बिना किसी उपयोगी परिणाम के, 19 दिसंबर को स्ट्राइक की मांग करने के लिए, हमने उपयुक्त परिणाम प्राप्त कर लिया है। दिल्ली सरकार के अस्पतालों में 7 वां वेतन आयोग लागू किया गया है और निवासी डॉक्टरों के वेतन को उसी के मुताबिक अपग्रेड किया जाएगा। नवीनतम मंजूरी के अनुसार, लोक नायक अस्पताल (एमडी / एमएस / डीएनबी सुपर स्पेशलिटी / एफएनबी) के सभी निवासी डॉक्टरों को 1 जनवरी 2016 से 7 वें सीपीसी की सिफारिशों के अनुसार संशोधित वेतन मिलेगा और सभी रेजिडेंट्स को 36 महीने का एरियर भी दिया जाएगा।
आपको बता दें कि केंद्र सरकार के कर्मचारियों की मांग है कि उनकी सैलरी को सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों से ज्यादा बढ़ाया जाए। उनकी मांग है कि उनकी न्यूनतम सैलरी को 18,000 रुपए महीने से बढ़ाकर 26,000 रुपए महीने कर दिया जाए। इसके अलावा फिटमेंट फेक्टर को भी 2.57 गुना से बढ़ाकर 3.68 गुना किया जाए। सरकार 2019 के लोकसभा चुनावों से पहले कर्मचारियों का मूल वेतन और संशोधित महंगाई भत्ते को बढ़ा सकती है। अगर सब कुछ योजना के मुताबिक हुआ तो पीएम नरेंद्र मोदी खुद ही ये घोषणा कर सकते हैं। केंद्र सरकार के कर्मचारियों और पेंशनर्स की तादाद देश में करीब 1 करोड़ 10 लाख है। सरकार इतने बड़े वोटर वर्ग की नाराजगी मोल नहीं लेना चाहेगी।