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मध्‍य प्रदेश में कन्या विवाह, सामाजिक सुरक्षा पेंशन, ओबीसी छात्रवृत्ति योजना नहीं होंगी बंद

भोपाल। कमलनाथ सरकार के मार्च में प्रस्तुत होने वाले दूसरे बजट में कुछ योजनाओं को बंद करने या अन्य योजना में मिलाने की घोषणा हो सकती है। सामाजिक सुरक्षा और अन्य पिछड़ा वर्ग से जुड़ी छात्रवृत्ति की योजनाओं को बंद नहीं किया जाएगा। योजनाओं की समीक्षा के लिए बनाए समूह के सामने सामाजिक न्याय और अन्य पिछड़ा वर्ग विभाग के अधिकारियों ने योजनाओं के महत्व को बताते हुए अपना पक्ष रखा है। मुख्य सचिव सुधिरंजन मोहंती शनिवार को चारों समूहों की रिपोर्ट की समीक्षा करेंगे।

इसके बाद मुख्यमंत्री कमलनाथ के साथ विचार-विमर्श कर वित्त विभाग योजनाओं को लेकर अंतिम रूप देगा। बताया जा रहा है कि आगामी बजट में अधोसंरचना से जुड़ी कुछ योजनाओं के वित्तीय प्रावधानों में कटौती की जा सकती है।

मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ऐसी योजनाएं, जिनके उद्देश्य पूरे हो गए हैं या समान प्रकृति की दूसरी योजनाएं चल रही हैं, उन पर विचार करके निर्णय लेने के निर्देश मुख्य सचिव को दिए थे। उन्होंने इसके लिए चार समूह (ऊर्जा/ अधोसंरचना, सामाजिक, शिक्षा और स्वास्थ्य, कृषि एवं सहयोग क्षेत्र) बनाए थे।

चारों समूहों ने विभागीय अधिकारियों के साथ तीन-चार दौर की बैठक करने के बाद रिपोर्ट तैयार कर ली है। सूत्रों के मुताबिक अन्य पिछड़ा वर्ग के अधिकारियों को बैठक में बार-बार बुलाया गया, लेकिन वे नहीं आए। विभाग की ओर से समूह को यह बताया गया कि उनकी एक भी ऐसी योजना नहीं है, जिसे बंद किया जा सके।

विभाग छात्रवृत्ति, स्वरोजगार के लिए प्रशिक्षण और छात्रावास संचालित करता है। वहीं, सामाजिक न्याय विभाग ने भी अपनी योजनाएं जारी रखने की बात रखी है। विभाग सामाजिक सुरक्षा पेंशन, मुख्यमंत्री कन्यादान/निकाह, नशामुक्ति केंद्रों को अनुमति देने, दिव्यांगों को उपकरण देने की योजना चलाता है। यह सभी योजनाएं सरकार की प्राथमिकताओं में शामिल हैं। समूह भी इस बात से सहमत है कि सामाजिक क्षेत्र की इन योजनाओं को जारी रखा जाना चाहिए।

हालांकि, हितग्राही चयन में सावधानी बरते जाने पर जोर दिया है। अधोसरंचना और ऊर्जा क्षेत्र के समूह से विभागों ने ज्यादातर योजनाएं जारी रखे जाने की बात कही है। ऊर्जा विभाग का कहना है कि घरेलू और कृषि उपभोक्ताओं को रियायती दर पर बिजली देने का निर्णय कमलनाथ सरकार का ही है।

रियायती दर पर बिजली देने की वजह से सरकार को सालाना 18 हजार करोड़ रुपए की सबसिडी देनी पड़ रही है। वित्त विभाग के अधिकारियों का कहना है कि योजनाओं को लेकर अंतिम निर्णय मुख्यमंत्री कमलनाथ लेंगे। इसके पहले मुख्य सचिव अधिकारियों के साथ समीक्षा करेंगे। इसमें गुण-दोष के आधार पर विचार किया जाएगा।

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