भोपाल – राज्य शासन ने उच्च और तकनीकी शिक्षा विभाग के स्नातक के पहले और द्वितीय जबकि पीजी के द्वितीय सेमेस्टर के छात्रों को जनरल प्रमोशन देने का निर्णय लिया है। जबकि अंतिम सेमेस्टर के छात्रों के लिए परीक्षा को वैकल्पिक रखा है। इसी आदेश के तहत अब मध्य प्रदेश के सभी विश्वविद्यालय छात्रों से सहमति लेंगे कि वे परीक्षा देना चाहते हैं या नहीं। जो छात्र परीक्षा नहीं देंगे उन्हें पिछले सेमेस्टर के अंकों के आधार पर डिग्री दी जाएगी। सहमति लेने की प्रक्रिया संभवतः जुलाई में पूरी की जाएगी। कोरोना संक्रमण को देखते हुए राज्य सरकार ने प्रदेश के उच्च और तकनीकी शिक्षा के कॉलेजों में स्नातक प्रथम और द्वितीय वर्ष एवं पीजी के द्वितीय सेमेस्टर की परीक्षाएं आयोजित नहीं कराई जाएंगी।
इन कक्षाओं में पढ़ रहे छात्रों को जनरल प्रमोशन देकर अगली कक्षा में भेजा जाएगा। साथ ही यूजी अंतिम वर्ष एवं पीजी चतुर्थ सेमेस्टर के छात्रों के पूर्व वर्षों या सेमेस्टर में से सर्वाधिक अंक प्राप्त परीक्षा परिणाम को प्राप्तांक मानकर अंतिम सेमेस्टर या वर्ष के परिणाम घोषित कर दिए जाएंगे। ऐसे छात्र जो परीक्षा देकर अपने अंकों को सुधारना चाहते हैं उनके पास परीक्षा देने का विकल्प भी रहेगा।
अब विश्वविद्यालय छात्रों से पूछेंगे कि वे परीक्षा देना चाहते हैं या नहीं। प्रदेश के 18 लाख छात्रों को फायदा प्रदेश में वर्तमान शैक्षणिक सत्र में स्नातक (यूजी) प्रथम, द्वितीय वर्ष और स्नातकोत्तर (पीजी) द्वितीय सेमेस्टर मिलाकर करीब 18 लाख छात्र हैं। इनमें यूजी में करीब पंद्रह लाख छात्र हैं, जबकि पीजी में करीब तीन लाख छात्र हैं। सरकार के इस निर्णय का फायदा इन सभी छात्रों को मिल सकेगा।