शिवराज ऐसा डमरू बजाते हैं कि प्रदेश की तस्वीर जो है नहीं वह बताते हैं- कमलनाथ
भोपाल। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने कहा कि उन्होंने शिवराज को मदारी तो नहीं कहा, लेकिन खुद शिवराज कल से खुद को मदारी बताने की रट लगा बैठे हैं। वे निरंतर अपनी जनआशीर्वाद यात्रा की सभाओं में खुद को मदारी बताते हुए कह रहे हैं कि उन्होंने प्रदेश में मुख्यमंत्री के रूप में ऐसा डमरू बजाया कि आज प्रदेश ऐसा हो गया, वैसा हो गया। जबकि प्रदेश की जो तस्वीर वे बता रहे हैं, वैसी नहीं है, वास्तविकता कुछ और ही है।
शिवराज ने पिछले 13 वर्षों में ऐसा डमरू बजाया कि:-
– व्यापमं में घूस लेने वाला बाहर और देने वाला जेल में। 50 से अधिक मौतें व्यापमं घोटाले से जुड़े लोगों की हो चुकी है।
– उन्होंने ऐसा डमरू बजाया कि, प्रदेश में आज किसानों के लिए खेती घाटे का धंधा, लेकिन किसान पुत्र शिवराज के लिए खेती लाभ का धंधा।
– उन्होंने ऐसा डमरू बजाया कि, नर्मदा तट पर दावा करोड़ों पौधे लगाने का और निकले हजारों भी नहीं।
– उन्होंने ऐसा डमरू बजाया कि, माँ नर्मदा नदी के आंचल को रेत निकाल-निकाल कर छलनी कर दिया, उन्हें नदी में पानी कम, रेत ज्यादा दिखती है।
– वे ऐसा डमरू बजाते हैं कि, प्रदेश की गढ्ढेदार सड़कें उन्हें अमेरिका से अच्छी दिखती हैं।
– वे ऐसा डमरू बजाते हैं कि, कहते तो खुद को मामा हैं, लेकिन उन्हीं के राज में बहन-बेटियां सबसे ज्यादा असुरक्षित हैं। प्रदेश मासूमों से दुष्कर्म में देश में शीर्ष पर हैं।
– उनका डमरू ऐसा बजता है कि, किसान जब अपना हक मांगते हैं तो उन्हें वे उपद्रवी, असामाजिक तत्व दिखते हैं। हक के बदले उन्हें सीने पर गोलियां मिलती हैं।
– वे ऐसा डमरू बजाते हैं कि, प्रदेश का खजाना तो उन्होंने कर दिया खाली, पर खाली खजाने से रोज करोड़ों की घोषराएं करते है।
– उनका डमरू ऐसा बजता है कि, पूरे 13 वर्ष उन्हें गरीब, मजदूर व युवा दिखायी नहीं दिये और चुनाव आते ही उन्हें ये सब दिखने लगे।
– वे ऐसा डमरू बजाते हैं कि उनसे उनके 13 वर्ष के कार्यकाल का हिसाब मांगों और सवाल पूछों तो जबाव देने की बजाय उल्टा विपक्ष से ही सवाल पूछने लग जाते हैं।
– उनका डमरू ऐसा बजता है कि, निकलते तो हैं ‘‘जनआशीर्वाद यात्रा’’ पर, लेकिन खुद चलते हैं, 20 फीट ऊंचे करोड़ों के रथ पर और जनता जमीन पर, अब वे आशीर्वाद दे रहे हैं या ले रहे हैं?
– उनका डमरू ऐसा बजता है कि, भ्रष्टाचार रोकने के लिए ई-टेंडर व्यवस्था लागू की जाती है, लेकिन उसमें भी टेम्परिंग कर भ्रष्टाचार का रास्ता खोज लेते हैं।
ऐसे कई मामलों में डमरू बजाकर उन्होंने प्रदेश को विकास की बजाय बलात्कार, किसानों की आत्महत्या, बेरोजगारी, कुपोषण, रेत का अवैध उत्खनन, भ्रष्टाचार में देश में नंबर वन बना दिया है। प्रदेश की यह वास्तविक तस्वीर है, लेकिन शिवराज भाषणों में बताते कुछ और हैं।
वहीं मप्र कांग्रेस कमेटी के मीडिया उपाध्यक्ष भूपेन्द्र गुप्ता ने रोजगार मेले के छलावे को संस्थागत ठगी बताया है। गुप्ता ने बताया कि राजगड़ मेले में एक भी कंपनी नहीं पहुंची लगभग 10 हजार बेरोजगार भटकते रहे। हजारों बेरोजगार आन लाइन परीक्षाओं में चुने जाने के बाद भी बेरोजगार हैं। हजारों अतिथि शिक्षक मारे मारे घूम रहे हैं। गुप्ता ने कहा कि जादू से बिजली का बिल कम करने वाले मामा जादू से चुने हुए बेरोजगारों की नौकरियां कब पक्की करेंगे?
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