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कमलनाथ ने शरद यादव को बुलाकर निवेदन किया, गठबंधन करा दो प्लीज | 

भोपाल। कमलनाथ एक रहस्यमयी नेता बनते जा रहे हैं। पिछले दिनों सपा चीफ अखिलेश यादव उनसे मिलने भोपाल आए थे परंतु कमलनाथ ने उन्हे समय नहीं दिया। मायावती से व्यक्तिगत संबंध के नाम पर गठबंधन का ऐलान कर दिया था परंतु मायावती ने इससे फिलहाल इंकार कर दिया। आदिवासी संगठनों से भी गठबंधन की पेशकश की थी परंतु वो भी पहले चरण में सफल होती नजर नहीं आ रही। अब पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव से कमलनाथ ने निवेदन किया है कि वो भाजपा के खिलाफ सारी पार्टियों के गठबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाए। मजेदार बात यह है कि कांग्रेस के सबसे ताकतवर नेता दिग्विजय सिंह शरद यादव से मिलने वीआईपी गेस्ट हाउस गए लेकिन कमलनाथ ने निवेदन करने के लिए शरद यादव को अपने घर बुलाया। 
सुबह दिग्विजय सिंह मिलने आए
पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव के गुरुवार को भोपाल प्रवास पर सुबह दिग्विजय सिंह ने उनसे वीआईपी गेस्ट हाउस में मुलाकात की। इसके बाद शाम को यादव, श्यामला हिल्स इलाके में कमलनाथ के बंगले पर गये। यहां बंद कमरे में लगभग आधा घंटे तक दोनों नेताओं ने चर्चा की। मुलाकात के बाद कमलनाथ के बंगले पर मीडिया से बातचीत में शरद यादव ने कहा, ‘आज देश, संविधान और लोकतंत्र खतरे में हैं। देश का किसान, मजदूर, नौजवान और दुकानदार सब तंग और तबाह हैं। देश का संविधान कई तरह से घायल है। इसे बचाना है और इस काम में हम सब लोग एक राह और रास्ते के राही हैं। 
कमलनाथ ने घर बुलाकर निवेदन किया
शरद यादव से मुलाकात के बाद कमलनाथ ने कहा कि हमारी मुलाकात अच्छी रही। मेरा शरद जी से पुराना संबंध रहा है और उनका आशीर्वाद हमेशा मेरे साथ है। कमलनाथ ने कहा, ‘भाजपा को वोटों के विभाजन से लाभ होता है। आज बहुत बड़ी आवश्यकता है कि यह वोटों का विभाजन और विखराव न हो। इसलिये मैंने शरद जी से को निवेदन किया था कि उन सब पार्टियों से, जिनसे वोटों का विभाजन या बिखराव होता है उनको एक करने का प्रयास करें। ताकि भाजपा को पराजित कर मध्यप्रदेश को सुरक्षित किया जा सके।
क्या है कमलनाथ की रणनीति
कमलनाथ जानते हैं कि मध्यप्रदेश में यदि कांग्रेस अकेले भी चुनाव लड़ेगी तब भी जीत की संभावनाएं कम नहीं हैं परंतु ऐसे में खर्चा बहुत होगा। कमलनाथ यही खर्चा बचाना चाहते हैं। तमाम सर्वे कह रहे हैं कि कांग्रेस के पास फिलहाल 70 सीटें हैं, करीब 85 सीटों की और जरूरत है। इनमें से 72 सीटें ऐसी हैं जहां यदि प्रत्याशी चयन में गलती नहीं की तो जीत सुनिश्चित है। संघर्ष सिर्फ 20-25 सीटों पर ही है और कमलनाथ सभी दलों को मिलाकर 50 से ज्यादा सीटें देने को तैयार हैं। गठबंधन की राजनीति में बात यहीं खत्म नहीं होती। मंत्री मंडल में भी उन्हे करीब आधा दर्जन महत्वपूर्ण मंत्रालय दूसरी पार्टियों को सौंपने होंगे परंतु कमलनाथ तैयार हैं। रणनीति सिर्फ इतनी सी है कि संघर्ष को सरल कर दिया जाए, जीत आसान हो और कम खर्चे में मुख्यमंत्री की कुर्सी हाथ आ जाए। 

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