भोपाल। चुनावी साल में अध्यापकों को साधने के लिए की गई शिवराज सरकार की घोषणा कैबिनेट में मंजूरी के बावजूद अभी भी अधर में लटकी हुई है। जिसके कारण अध्यापकों में सरकार के प्रति आक्रोश बढ़ता ही जा रहा है।
इससे पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 21 जनवरी को सीएम हाउस में आयोजित एक सम्मेलन में अध्यापकों को शिक्षा विभाग में संविलियन का एलान किया था। जिसके बाद 29 मई को कैबिनेट में इसका प्रस्ताव मंजूर किया गया, तब से अब तक अध्यापक आदेश के इंतजार में है। लेकिन इसके बाद भी अब तक आदेश जारी नहीं किए गए हैं।
इसी इंतजार के बीच 15 जून से नया शैक्षणिक सत्र भी शुरू हो गया है, लेकिन न तो संविलियन संबंधी आदेश जारी हुए और न ही वेतनमान संबंधी कोई निर्देश जारी किए गए।
वहीं सामने आ रही सूचना के अनुसार अभी तक अध्यापकों की सेवा पुस्तिका और इ-केवाइसी अपडेट नहीं हुई है, जिसके कारण आदेश को लागू करने में देरी हो रही है।
इससे पहले 21 जुलाई को बड़वानी में जन आशीर्वाद यात्रा के दौरान सीएम शिवराज सिंह ने कहा था कि 23 जुलाई यानि सोमवार को आदेश जारी कर दिए जाएंगे, परंतु फिर भी ऐसा भी नहीं हुआ।
कहा जा रहा है कि सरकार ने 1 जुलाई से सातवां वेतनमान देने का तय किया था, लेकिन 10 जुलाई तक भी आदेश जारी नहीं हुए, और न ही कोई नियम प्रक्रिया बनाई गई। वही आज यानि 28 जुलाई जब महीना खत्म होने में केवल तीन दिन बचे हैं। ऐसे में अभी तक अध्यापकों की सेवा पुस्तिका और ई-केवाईसी अपडेट भी नहीं हुई है।
इस आदेश ने फंसाया पेंच…
वहीं इसे बाद सूचना आ रही थी कि गुरुपूर्णिमा पर आदेश जारी हो सकते हैं, लेकिन अब एक नई बात सामने आ गई है, जिसके कारण मामला फिर लटकता हुआ दिख रहा है। वहीं लोक शिक्षण संचालनालय के आयुक्त की ओर से एक पत्र जारी हुआ है। जिसने एक बार फिर संविलियन प्रक्रिया को उलझा दिया गया है।
वहीं इसे बाद सूचना आ रही थी कि गुरुपूर्णिमा पर आदेश जारी हो सकते हैं, लेकिन अब एक नई बात सामने आ गई है, जिसके कारण मामला फिर लटकता हुआ दिख रहा है। वहीं लोक शिक्षण संचालनालय के आयुक्त की ओर से एक पत्र जारी हुआ है। जिसने एक बार फिर संविलियन प्रक्रिया को उलझा दिया गया है।
दरअसल गुरुवार आयुक्त लोक शिक्षण संचालनालय की ओर से जारी आदेश में सभी अध्यापकों का वेतन आहरण वाला बैंक खाता आधार से लिंक करते हुए इ-केवायसी करवाना अनिवार्य कर दिया है। साथ ही एजुकेशन पोर्टल पर प्रथम नियुक्ति आदेश, संविलियन आदेश व सर्विस बुक के पहले पन्नो को अपलोड किया जाना जरूरी है।
इसके लिए शासन ने 2 अगस्त तक की समय सीमा दी है। वहीं जानकारों का कहना है कि यह आदेश काफी समझदारी के साथ इस दिन जारी किया गया है। क्योंकि शुक्रवार 27 जुलाई से लेकर 2 अगस्त तक दो दिन चौथे शनिवार व रविवार को बैंक का अवकाश रहेगा।
इसके लिए शासन ने 2 अगस्त तक की समय सीमा दी है। वहीं जानकारों का कहना है कि यह आदेश काफी समझदारी के साथ इस दिन जारी किया गया है। क्योंकि शुक्रवार 27 जुलाई से लेकर 2 अगस्त तक दो दिन चौथे शनिवार व रविवार को बैंक का अवकाश रहेगा।
अत: अध्यापकों को आधार से खाता लिंक करने के लिए कुल पांच दिन का वक्त ही मिल रहा है। वहीं ऐसे में सेवा पुस्तिका और ई-केवाईसी अपडेट को लेकर माना जा रहा है कि इस आदेश के बाद अब इसे लागू करने में देरी होगी। इससे शासकीय अध्यापक संगठन में आक्रोश व्याप्त है।
कुल मिलाकर अभी प्रदेश के 2 लाख 37 हजार अध्यापकों की सेवा पुस्तिका व और ई-केवाईसी के अपडेशन का कार्य होना है। इसमें सबसे बड़ी बात यह है कि यदि एक भी अध्यापक चूक गया तो पूरी प्रक्रिया उसके इंतजार में रुकी रहेगी।
वहीं जानकारों का कहना है कि बैंक खातों की इ-केवायसी करवाना बैंक का काम है। इसके लिए रिजर्व बैंक आॅफ इंडिया उन्हें सर्कुलर जारी करता है और बैंक कर्मचारी खुद खाताधारकों को बुलाकर ई-केवायसी करते हैं। लोक शिक्षण संचालनालय का इससे कोई रिलेशन नहीं है ना ही इसके लिए लोक शिक्षण संचालनालय जिम्मेदार संस्थान है। कम से कम संविलियन आदेश के लिए बैंक खातों की ई-केवायसी करवाना कतई अनिवार्य नहीं है। इससे पहले जितने भी नियमितीकरण हुए उनमें ऐसा कोई पेंच नहीं था।
ये कहते हैं जानकार…
वहीं राजनीति के जानकारों का कहना है कि प्रदेश की शिवराज सरकार ने चुनाव से पहले कर्मचारी संगठनों को साधने के लिए ताबड़तोड़ घोषणाएं की थी। इसमें कम संख्या वाले कर्मचारी संगठनों की मांगों पर अमल भी किया है, जिसकी वजह से प्रदेश में कर्मचारी आंदोलन थम सा गया है। लेकिन अध्यापकों को लेकर लिए गए फैसलों पर अमल नहीं होने से उनमें सरकार के प्रति आक्रोश पनपने लगा है।
वहीं राजनीति के जानकारों का कहना है कि प्रदेश की शिवराज सरकार ने चुनाव से पहले कर्मचारी संगठनों को साधने के लिए ताबड़तोड़ घोषणाएं की थी। इसमें कम संख्या वाले कर्मचारी संगठनों की मांगों पर अमल भी किया है, जिसकी वजह से प्रदेश में कर्मचारी आंदोलन थम सा गया है। लेकिन अध्यापकों को लेकर लिए गए फैसलों पर अमल नहीं होने से उनमें सरकार के प्रति आक्रोश पनपने लगा है।
सरकार को दी चेतावनी…
वहीं दूसरी तरफ मध्य प्रदेश के पडोसी राज्य छत्तीसगढ़ में रमन सरकार ने अध्यापकों का संविलियन करने का प्रस्ताव कैबिनेट में मंजूर कराकर 30 जून को इसके आदेश भी जारी कर दिए हैं। जबकि मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 21 जनवरी 2018 को सीएम हाउस में अध्यापकों को शिक्षक बनाने की घोषणा की थी। लेकिन आदेश अब तक लटके हुए हैं। जिसके कारण अध्यापक आंदोलन के लिए मजबूर हो रहे है।
वहीं दूसरी तरफ मध्य प्रदेश के पडोसी राज्य छत्तीसगढ़ में रमन सरकार ने अध्यापकों का संविलियन करने का प्रस्ताव कैबिनेट में मंजूर कराकर 30 जून को इसके आदेश भी जारी कर दिए हैं। जबकि मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 21 जनवरी 2018 को सीएम हाउस में अध्यापकों को शिक्षक बनाने की घोषणा की थी। लेकिन आदेश अब तक लटके हुए हैं। जिसके कारण अध्यापक आंदोलन के लिए मजबूर हो रहे है।
शासकीय अध्यापक संगठन द्वारा चेतावनी भी दी गई है कि अगर शासन ने जल्दी संविलियन और सांतवें वेतनमान के आदेश जारी नहीं किए तो अध्यापक आंदोलन के लिए मजबूर होंगें, जिसकी जिम्मेदार सरकार खुद होगी।
उल्लेखनीय है कि प्रदेश में दो लाख 37 हजार अध्यापक हैं, जो इस आदेश का इंतजार कर रहे हैं। इस कारण उनकी तबादला प्रक्रिया पर भी रोक लगा दी गई है। वहीं सातवें वेतनमान को लेकर भी अध्यापकों में असमंजस्य की स्थिति बनी हुई है। एक जुलाई 2018 से वेतनमान देने की घोषणा की गई है, लेकिन जब तक संविलियन नहीं होगा, तब तक वेतनमान तय कैसे होगा। इसको लेकर इसमें भी संशय बरकार है।