सामान्य प्रशासन मंत्री डॉ.गोविन्द सिंह ने इस सवाल का गोलमोल जवाब दिया, जिस पर सत्तापक्ष और विपक्ष में तीखी नोकझोंक हुई। विपक्ष के हंगामे के बीच मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इस सवाल का जवाब दिया। उन्होंने कहा कि निजी क्षेत्रों में राज्य के स्थाई निवासियों को ही प्राथमिकता दी जाएगी। उन्होंने बताया कि नई औद्योगिक नीति और निवेश प्रोत्साहन योजना में आरक्षण के प्रावधान को रखा गया है। औद्योगिक इकाई के शुरू होने पर इसे लागू किया जाएगा। इसके मुताबिक, कुल रोजगार का 70 प्रतिशत मध्यप्रदेश के स्थाई निवासियों को ही देना होगा। विधायक यशपाल सिंह सिसोदिया ने नौकरी में आरक्षण को लेकर भी प्रश्न उठाया, जिस पर मुख्यमंत्री कमलनाथ ने प्रदेश के युवाओं को सभी विभागों में नौकरी के साथ-साथ शिक्षा में भी आरक्षण देने का आश्वासन दिया।
उल्लेखनीय है कि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद अपने वचन पत्र के अनुसार सीएम कमलनाथ ने पहले ही घोषणा कर दी थी कि राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं, टैक्स में छूट और अन्य सहायता का लाभ उठाने वाले उद्योगों के लिए 70 प्रतिशत रोजगार स्थानीय लोगों को देना अनिवार्य होगा। इसके तहत अब शासकीय योजनाओं, टैक्स में छूट का फायदा उद्योगपति तभी उठा पाएंगे जब वो 70 फीसदी रोजगार मध्यप्रदेश के लोगों को देंगे। मुख्यमंत्री ने बताया कि इसको लेकर सरकार जल्दी ही कानून बनाएगी, जिससे प्रदेश के युवाओं को निजी क्षेत्रों में लाभ मिल सके।
मध्यप्रदेश विधानसभा: प्रश्नकाल में नोकझोंक के बीच उठा बेरोजगारी का मुद्दा
भोपाल। मध्यप्रदेश विधानसभा में मंगलवार को प्रश्नकाल की कार्यवाही सत्तापक्ष और विपक्ष की नोकझोंक के बीत संपन्न हुई, जिसमें विधायकों द्वारा प्रदेशहित में महत्वपूर्ण उठाये गए। इसी बीच सदन में बेरोगजारी का मुद्दा भी उठा, जिस पर मुख्यमंत्री कमलनाथ ने विधानसभा में बड़ा ऐलान किया। उन्होंने कहा कि प्रदेश में निजी क्षेत्र की नौकरियों में 70 प्रतिशत रोजगार स्थानीय लोगों को दिया जाएगा। इसके लिए सरकार राज्य के लोगों को 70 फीसदी आरक्षण देने के लिए जल्द ही कानून बनाएगीमध्यप्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र में मंगलवार को सदन की कार्यवाही प्रश्नकाल से शुरू हुई। इस दौरान मंदसौर से भाजपा विधायक यशपाल सिंह सिसोदिया ने बाहरी उम्मीदवारों को नौकरियों में आयु सीमा में राज्य सरकार द्वारा दी गई छूट का मामला उठाया। उन्होंने सामान्य प्रशासन मंत्री से पूछा कि एमपीपीएससी सहित प्रदेश में आयोजित विभिन्न परीक्षाओं में बाहरी उम्मीदवारों को भाग लेने पर कोई पाबंदी नहीं है और सरकार ने उनकी उम्र में पांच साल की छूट दी है। क्या माननीय न्यायालय ने बाहरी उम्मीदवारों के लिए उम्र बंधन समाप्त करने के लिए राज्य सरकार को निर्देशित किया है? क्या सरकार स्थानीय उम्मीदवारों को लाभ पहुंचाने के लिए नियमों में कोई परिवर्तन कर रही है? विभिन्न परीक्षाओं में बाहरी उम्मीदवारों को प्राथमिकता दी जाती है, जिससे प्रदेश के शिक्षित युवाओं को दोहरी मार झेलनी पड़ रही है।