भोपाल (मंथन न्यूज)। बिजली संकट झेल रहे प्रदेश में कोयले की कमी भी खड़ी हो गई है। अमरकंटक (चचाई) संयंत्र में कोयला खत्म हो गया है, जिसके लिए चिरमिरी से बिरसिंहपुर आ रहे कोयले के रैक को डायवर्ट कर चचाई भेजा गया है। संजय गांधी ताप विद्युत संयंत्र बिरसिंहपुर में भी मात्र दो दिन का कोयला बचा हुआ है।सारणी में 1,53,955 मीट्रिक टन, बिरसिंहपुर में 51,330 मीट्रिक टन और सिंगाजी खंडवा में 3,93,850 मीट्रिक टन कोयला शेष बचा है। गौरतलब है कि अमरकंटक और बिरसिंहपुर ही ऐसे संयंत्र हैं, जहां कम लागत में बिजली बनती है।
सूत्रों का कहना है कि प्रदेश की बिगड़ी माली हालत का असर बिजली उत्पादन पर भी पड़ने लगा है। कई बिजली संयंत्रों को फुल लोड पर चलाने के लिए कोयले का संकट खड़ा हो गया है। कोल सप्लाई में कई सालों से जमे अफसर इसके लिए ज्यादा जिम्मेदार बताए जा रहे हैं। कोल प्रबंधन न कर पाने के कारण प्रदेश के संयंत्रों से 54 सौ की जगह मात्र 2330 मेगावॉट बिजली का उत्पादन हो रहा है।
डब्ल्यूसीएल से बात की है, जल्द दूर होगी कमी
ये बात सही है कि कुछ संयंत्रों में कोयले की कमी पड़ गई है। इसके लिए हमने डब्ल्यूसीएल से बातचीत की है। उन्होंने रोजाना चार रैक कोयला देने का आश्वासन दिया है। इस कोयले को सारणी और सिंगाजी संयंत्र को भेजा जा रहा है। अमरकंटक और बिरसिंहपुर संयंत्रों सहित बाकी जगह के कोल प्रबंधन की रविवार को हम समीक्षा कर रहे हैं। जल्द ही कोयले की कमी को देर कर लिया जाएगा – प्रियव्रत सिंह, ऊर्जा मंत्री मप्र
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