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लोकसभा चुनाव के पहले झटका देगी बिजली

लोकसभा चुनाव के पहले झटका देगी बिजली

दर में होगी बढ़ोतरी का प्रस्ताव हो रहा तैयार, कांग्रेस सरकार के सामने बड़ी चुनौती

 

भोपाल. लोकसभा चुनाव के ठीक पहले प्रदेश की कांग्रेस सरकार के सामने बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है। कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव में बिजली बिल हॉफ करने का वादा किया था, इसलिए सरकार के स्तर पर इसका रास्ता ढूंढा जा रहा है। दूसरी ओर बिजली कंपनियां सालाना बिजली दर में बढ़ोतरी का प्रस्ताव जमा करने की तैयारी में है। इसमें औसत 23 फीसदी तक दर बढ़ाने की मांग की जा रही है। पिछले साल चुनावों के कारण दर वृद्धि नहीं की गई थी। मई में होने वाले लोकसभा चुनाव के पहले दर वृद्धि होती है, तो कांग्रेस सरकार को राजनीतिक तौर पर बड़ा नुकसान हो सकता है।
– ऐसे समझें गणित
बिजली कंपनियां हर साल 31 दिसंबर तक बिजली दर वृद्धि का प्रस्ताव जमा करती है। इस पर विद्युत नियामक आयोग निर्णय करता है। इस बार 31 जनवरी तक प्रस्ताव जमा होना है। तीनों बिजली कंपनियों ने अपना प्रस्ताव पॉवर मैनेजमेंट कंपनियों को भेज दिया है। इसके बाद पॉवर मैनेजमेंट कंपनी तीनों के प्रस्ताव को एकजाई करके अंतिम प्रस्ताव तैयार कर रही है। इस बार उद्योग की बिजली को फिर ज्यादा महंगा किया जाएगा। जबकि, खेती व घरेलू बिजली पर अपेक्षाकृत कम बोझ आएगा।
– बिल हॉफ का वादा
कांग्रेस ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में बिजली बिल हॉफ करने का वादा किया था, जिसके तहत उसे 200 रुपए फ्लेट रेट से आधा बिल यानी 100 रुपए करना है। क्योंकि, चुनाव के ठीक पहले तत्कालीन भाजपा सरकार ने संबल योजना के तहत हितग्राहियों के लिए 200 रुपए फ्लेट रेट बिजली कर दी थी। ऊर्जा विभाग में इसका रास्ता तलाशा जा रहा है। इसके तहत अगले वित्तीय वर्ष में 100 रुपए रेट पर बिजली देने के लिए गणना हो रही है। इसमें जिन पॉवर प्लांट से बिजली खरीदे बिना बड़ी राशि का भुगतान होता है, उसे लेकर सस्ते दामों पर देने की जुगत की जा रही है, लेकिन इसमें अभी समय लगना है।

– नुकसान ऐसा
बिजली दर बढ़ती है, तो राजनीतिक रूप से कांग्रेस के लिए दिक्कत होगी। क्योंकि, भाजपा इसे बड़ा मुद्दा बना सकती है कि कांग्रेस ने सत्ता में आकर दाम आधे करने की बजाए बढ़ा दिए। सरकार के स्तर पर बिजली के लिए अभी 15 हजार करोड़ से ज्यादा की सबसिडी दी जा रही है, जो किसानों को फ्लेट रेट और संबल में फ्लेट रेट सहित अन्य रियायतों में जाती है। यदि बिजली बिल हॉफ होता है, तो इसमें करीब 800 करोड़ रुपए और बढ़ जाएंगे। खराब वित्तीय स्थिति के चलते बिजली महकमे व कंपनी की ओर से दर वृद्धि जरूरी बताई गई है। वित्त विभाग भी अभी सबसिडी बढ़ाने पर राजी नहीं है।
– तिमाही दर वृद्धि अलग
बिजली की तिमाही दर वृद्धि सालाना से अलग है। यह अप्रैल, मई और जून में होना ही है। इसके लिए बिजली कंपनियों के स्तर पर ही निर्णय लिया जाता है। इस कारण यदि सालाना दर वृद्धि नहीं होती है, तो कंपनियां इस तिमाही वृद्धि का रास्ता अपनाती हैं। चुनावी साल में दर वृद्धि न होने पर भी फ्यूल कास्ट एडजेस्टमेंट के नाम पर इस तिमाही दर वृद्धि से ही घाटे की भरपाई की गई थी। इसी कारण दर वृद्धि न होने पर भी बिजली बिल बढ़ जाता है।
बिजली दर वृद्धि के प्रस्ताव पर काम चल रहा है। प्रयास है कि 31 जनवरी तक प्रस्ताव जमा कर दें। बिजली बिल हॉफ करने के मामले में सरकार के स्तर पर निर्णय होता है। यह सरकार की ओर से सबसिडी की तरह रहता है। इसका फायदा संबंधित उपभोक्ता को मिलता है।
– संजय शुक्ल, एमडी, पॉवर मैनेजमेंट कंपनी

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