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अब प्राइवेट कॉलेजों में भी मिलेगा आरक्षण का लाभ! नया बिल लाने की तैयारी में सरकार

मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने मंगलवार को ऐलान किया कि वे शिक्षण सत्र 2019-20 से सामान्य श्रेणी के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण को लागू करेंगे.

आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों के लिए आरक्षण के बाद अब सरकार हायर एजुकेशन को लेकर बड़ा कदम उठाने वाली है. निजी शिक्षण संस्थानों में एससी/एसटी, ओबीसी और आर्थिक रूप से कमजोर (ईडब्ल्यूएस) वर्ग के लोगों के लिए आरक्षण लागू करने पर सरकार विचार कर रही है. आगामी बजट सत्र में इसपर एक विधेयक लाने की योजना बना रही है.मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने मंगलवार को ऐलान किया कि वे शिक्षण सत्र 2019-20 से सामान्य श्रेणी के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण को लागू करेंगे. साथ ही देशभर में उच्च शिक्षण संस्थानों और विश्वविद्यालयों में लगभग 25 प्रतिशत सीटें बढ़ाई जाएंगी जिससे अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य श्रेणियों के तहत मौजूदा कोटा प्रभावित नहीं हो.सामाजिक न्याय विशेषज्ञ पीएस कृष्णन ने प्राइवेट कॉलेजों में उच्च शिक्षा में आरक्षण के लिए तत्कालीन कानून और उसके महत्व पर लिखा है.मानव ससांधन विकास मत्रांलय  के मंत्री के तौर पर कपिल सिब्बल, स्मृति ईरानी और जावड़ेकर के काम का भी उन्होंने गहन अध्ययन किया है.कृष्णन ने कहा कि अगर विधेयक अधर में है, तो सरकार को दो अलग-अलग कानून बनाने होंगे. एक प्राइवेट कॉलेजों की हायर एजुकेशन में एससी/एसटी/ओबीसी को आरक्षण के लिए और दूसरा आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग के लिए.कृष्णन ने कहा कि ऐसा इसलिए क्योंकि 93वें संशोधन के जरिए अनुच्छेद 15 खंड 5 को शामिल किया गया है. इस कानून के द्वारा निजी क्षेत्रों की संस्थाओं पर आरक्षण निर्धारित किया जा सकता है. राज्यों को सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े किसी भी वर्ग लिए विशेष प्रावधान करने का अधिकार दिया गया है.कृष्णन ने कहा कि प्राइवेट शिक्षण संस्थानों में एससी/एसटी, ओबीसी और आर्थिक रूप से कमजोर (ईडब्ल्यूएस) को आरक्षण देने के लिए अनुच्छेद 15 खंड 5 के दायरे को बढ़ाना होगा. निजी संस्थानों में प्रवेश के लिए एससी/एसटी/ओबीसी को आरक्षण देने के लिए लंबे समय से कानून का इंतजार है. एससी ने आरक्षण की संवैधानिक वैधता को कई मौकों पर बरकरार रखा है.कृष्णन ने एचआरडी मंत्रियों को लिखा, ‘अनुच्छेद 15 के नए खंड 5 का असली उद्देश्य लंबे समय तक लागू नहीं हो सका है.’ उन्होंने कहा कि इसका असली उद्देश्य प्राइवेट कॉलेजों को आरक्षण के दायरे में लाना है. लेकिन सरकारों ने केवल सरकारी और सहायता प्राप्त संस्थानों में ही आरक्षण को लागू किया था

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