
कर्नाटक में राज्यपाल व विधानसभा स्पीकर के बीच जारी रस्साकशी का फैसला अगले सप्ताह की शुरुआत में हो सकता है। हालांकि इस बात की भी आशंका है कि स्पीकर का कोई फैसला ऐसा भी हो सकता है जिससे मामला सदन से अदालत भी पहुंच सकता है। इसे देखते हुए भाजपा नेतृत्व बेहद संयम व संभलकर कदम रख रही है। उसके सामने केंद्र से हस्तक्षेप का भी विकल्प है, लेकिन उसका इस्तेमाल कर वह कांग्रेस-जेडीएस को राजनीतिक शहीद नहीं होने देना चाहती है।
मध्य प्रदेश में सत्ता से चूक जाने का मलाल :
सूत्रों के अनुसार, मध्य प्रदेश में भाजपा को बेहद कम अंतर से सत्ता से चूक जाने का मलाल तो हैं, लेकिन वह राजनीतिक ऑपरेशन में जल्दबाजी नहीं करेगी। वहां, कांग्रेस में बड़े नेताओं के बीच अंदरूनी टकराव चल रहा है। भाजपा इसी का लाभ लेने की कोशिश कर सकती है। इस साल के आखिर में तीन राज्यों के विधानसभा चुनाव के बाद ऐसी स्थितियां बन सकती है। राज्य में भाजपा बहुमत से महज पांच विधायक दूर है। ऐसे में उसे कर्नाटक की तरह कोई बड़ा आपरेशन नहीं करना है।
नए नेतृत्व पर विचार कर सकती है भाजपा :
मध्य प्रदेश में भाजपा के सामने एक समस्या नेतृत्व की है। राज्य में तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके शिवराज सिंह चौहान की जगह भाजपा नया नेतृत्व उभारना चाहती है। इसके अलावा उसका ध्यान राज्य सामाजिक व क्षेत्रीय संतुलन पर भी है। बदलाव होने की स्थिति में भाजपा राज्य में किसी नए नेता पर दांव लगाने की कोशिश करेगी। इसके लिए विधायकों से लेकर सांसदों के भी नामों की चर्चा है। मध्य प्रदेश में बिहार के राज्यपाल लालजी टंडन को भेजे जाने से भी इस तरह की अटकलें है। उत्तर प्रदेश के राजनीतिक उठापटक के माहौल में अनुभवी नेता रहे लालजी टंडन मध्य प्रदेश में किसी भी तरह के राजनीतिक संकट में बेहतर ढंग से निपट सकते हैं।
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