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नये रचनाकारो को प्रोत्शान देने के लिए आजोजित क्रार्यक्रम रचनाओ कि संगोष्ठी

चांद के टुकडा बैनर तले , कल काली माता मंदिर में एक काव्य कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया यह आयोजन जीतेंद्र रघुवंशी,  टिंकल झा, कुनाल भार्गव, सोनू झा (बाबा) ,गगन ओझा के मार्गदर्शन में किया गया। जिसमे निम्न कवियो ने अपनी रंगारग प्रस्तुती दी
कार्यक्रम की होस्ट रीया माथुर ने
बेटियों पर होने वाले अत्याचार को बखूबी बयान किया   अपनी जन्नत उस ईश्वर के घर बसाऊंगी, बाबा अभी तो मैं छोटी हूं मैं तेरे सपनों को कैसे पूरा कर पाऊंगी, छोड़ेंगे ना वह हैवान जिनके मन में मुझे खाने की हवस भर जाएगी। रिया मथुर ने आज बच्चीओ के उपर हो रहे आत्याचार का के बारे मे बताया साथ ही
को -होस्ट दिव्या भगवानी ने
कहा कि, मेरी भी कोई पहचान हो इस बात में दम है क्या?
जिससे पहचान हो सकी इंसानियत की ऐसा कोई निशान है क्या ? इंसान को इंसानियत याद दिलाने कि कोशीश की
कवित्री अपूर्व श्रीवास्तव ने नारी की शक्ति के बारे में बताते हुए कहा कि नारी ही दुर्गा है नारी ही काली है।
नारी..
नारी जो कभी किसी परिस्थितियों मे न हारी..
कभी धूप तो कभी छाव बन जाती है
वो नारी घर जो स्तंभ कहलाती है
वो रावण को दोषी कहते वक़्त
न याद उसकी साफ नियत समझ आयी..
राम को सीता पवित्र मिली,
रावण की थी ये सच्चाई..
नारी कि महंता का वर्णन किया साथ ही रावण कि सच्चाई से लोगो को अवगत कराया
प्रियंका राजपूत ने कहा
मां पापा की लाडली हूंँ मैं
एक क्यारी हूंँ मैं। कविता के मध्यम से बताया कि बेटी पापा कि परी होती है
मयंक राठौर ने बताया
प्यारी धरती न्यारी धरती
कविता बोलते हुए धरती मां के महत्व को बताया।
आशीष शर्मा ने कहा सुनो कागज पर आज एक बात लिखता हूंँ
नहीं लिखता कविता और गजल बस अपने जज्बात लिखता हूंँ
जीतेंद्र रघुवंशी ने कहा
हैरान हूं मैं लोगों का कातिलाना अंदाज देखकर परेशान हूं मैं अपनों का अपनो पर वार देख कर ने कविता के मध्यम से अपने लोग ही आज अपने दुश्मन बन गये कविता के मध्यम से अवगत कराया
अभय जाट ने मनुष्य के बारे में बहुत ही खूबसूरत बातें कहीं। इन कवियो कि कविताये सुनकर लोगो का मन प्रसन्न  हो गया

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