भोपाल। आगामी विधानसभा चुनावों के लिए अभी आचार संहिता भी लागू नहीं हुई है, लेकिन इससे पहले तहसील दफ्तरों में सीमांकन कराने वालों की परेशानी बढ़ गई है।
तहसील कार्यालय में डेढ़ सौ लोगों के जमीनों का काम पेंडिंग पड़ा है, लेकिन कुछ आरआइ-पटवारियों को फुर्सत नहीं मिल रही। पीडि़त जब फोन करते हैं तो उधर से जवाब मिलता है निर्वाचन कार्य में व्यस्त हैं।
जबकि अधिकारियों को कहना है कि निर्वाचन कार्य के अलावा हर सप्ताह होने वाली टीएल में सीमांकन की पेंडेंसी पर उनसे चर्चा होती है, इससे साफ होता है कि कुछ आरआइ पटवारी अफसरों को भी गुमराह कर रहे हैं।
सूखी सेवनिया निवासी मुकेश जैन व अन्य दस लोगों की जमीन का सीमांकन कार्य पिछले एक माह से पेंडिंग हैं। इस मामले में सीमांकन करने वाले आरआइ को जब भी फोन लगाओ तो वे अपने को चुनावी कार्य में व्यस्त रहने, कभी बाहर होने की बात कहकर फोन काट देता है।
मुगालिया कोट निवासी श्याम लोधी का कहना है कि उन्हें जमीन का नामांतरण कराना है, लेकिन पटवारी निर्वाचन की बात कहकर बाद में आवेदन देने की बात कह रहे हैं। इस मामले में एडीएम संतोष वर्मा का कहना है कि निर्वाचन के काम को लेकर अफसरों को जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं। सीमांकन के संबंध में टाइम लिमिट बैठक में समीक्षा की जाती है।
अब एसडीएम के यहां होगी अपील
जमीनों के सीमांकन को लेकर होने वाले विवादों पर अब निचले स्तर पर ही रोक लग जाएगी, दरअसल भू-राजस्व संहिता में बदलाव के बाद तहसीलदार के सीमांकन पर आपत्ति होने से एसडीएम के यहां अपील की जा सकेगी।
जमीनों के सीमांकन को लेकर होने वाले विवादों पर अब निचले स्तर पर ही रोक लग जाएगी, दरअसल भू-राजस्व संहिता में बदलाव के बाद तहसीलदार के सीमांकन पर आपत्ति होने से एसडीएम के यहां अपील की जा सकेगी।
इसके पहले अपील करने के लिए राजस्व मंडल जाना पड़ता था। जिससे किसानों को महीनों चक्कर काटने पड़ते थे। अब एसडीएम के यहां अपील करने से जमीन का सीमांकन दोबारा से कराया जा सकेगा।
राजधानी में रोजाना सीमांकन के पचास से अधिक आवेदन आते हैं। इसके लिए सादे कागज पर तहसील में जाकर आवेदन करना पड़ता है। इसके बाद तहसीलदार जमीन मालिक सहित आसपास के किसानों को नोटिस जारी कर पटवारी मौके पर पहुंचकर जमीन का सीमांकन करता है।