प्रदेश में जिस तरह की राजनीतिक उठापटक चल रही है उस कारण विधानसभा के दोनों उपचुनाव बहुत महत्वपूर्ण माने जा रहे हैं। राजनीतिक दलों के साथ-साथ इन चुनाव में दिग्गज नेताओं की प्रतिष्ठा भी दांव पर होगी। यही कारण है कि चुनाव घोषित होने के पूर्व चुनावी तैयारी तैयारियां तेज हो गई हैं।
जहां तक सत्ताधारी दल कांग्रेस का सवाल है तो मुख्यमंत्री कमलनाथ ने दोनों ही सीटों पर मंत्रियों और विधायकों को जवाबदारी सौंप दी है। आगर सीट पर मंत्री हुकुम सिंह कराड़ा, प्रियव्रत सिंह, विधायक मनोज चावला, महेश परमार, विक्रम सिंह राणा को तैनात किया गया है।
वहीं जौरा विधानसभा सीट पर मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर, इमरती देवी, विधायक प्रवीण पाठक सिंह कसाना, एदल सिंह कसाना, मुन्नालाल गोयल और बैजनाथ कुशवाहा को जमीनी जमावट करने का जिम्मा सौंपा गया है। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने जौरा विधानसभा सीट पर ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक मंत्री-विधायकों की ड्यूटी लगाकर संकेत दे दिया है कि इस सीट पर सिंधिया को चुनाव जिताने की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी।
चंबल इलाके की सीट पर सिंधिया का खासा प्रभाव भी है और उनके समर्थक विधायक बनवारी लाल शर्मा के निधन के कारण ही यह सीट रिक्त हुई है। वैसे तो ये सीट कांग्रेस के प्रभाव वाली रही है लेकिन बीच-बीच में बसपा ने भी उपस्थिति दर्ज कराई है। 1990 से लेकर 2018 तक सात चुनाव हुए जिसमें एक बार जनता दल और एक बार भाजपा प्रत्याशी जीते हैं, जबकि दो बार कांग्रेस और तीन बार बसपा प्रत्याशी जीतने में सफल हुए।
यही कारण है कि यह सीट कांग्रेस के लिए हर हाल में जीतना जरूरी है, जबकि भाजपा के नए प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा के लिए भी यह सीट किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं है। वीडी शर्मा भी इसी इलाके से आते हैं। शर्मा के साथ केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभात झा के लिए भी यह सीट अहम मानी जा रही है।
दूसरी ओर मालवा क्षेत्र की आगर विधानसभा सीट को भाजपा का मजबूत गढ़ माना जाता है। पिछले 8 विधानसभा चुनावों में 7 बार भाजपा ने जीत दर्ज की है। केवल 1998 में कांग्रेस के रामलाल मालवीय चुनाव जीतने में सफल हुए थे। यहां तक कि 2014 के विधानसभा उपचुनाव में भाजपा के गोपाल परमार लगभग 28000 वोटों से चुनाव जीतने में सफल हुए थे। 2018 में भाजपा के ही चुनाव जीते विधायक मनोहर ऊंटवाल के निधन के कारण यहां उपचुनाव हो रहा है। यहां भाजपा के साथ-साथ संघ भी चुनाव जीतने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाएगा और भाजपा नेता भी इस सीट को जीतने के प्रति आशान्वित हैं।
कुल मिलाकर दोनों ही सीटों पर जहां राजनीतिक दलों ने अपनी जमावट तेज कर दी है वहीं टिकट के दावेदारों ने भी पार्टी कार्यालयों के चक्कर लगाना शुरू कर दिया है। सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी ने झाबुआ की तर्ज पर इन दोनों सीटों पर भी वचन पत्र के वादों को तेजी से पूरा करने के लिए मंत्रियों को मैदान में उतार दिया है। मुख्यमंत्री कमलनाथ झाबुआ की तर्ज पर इन दोनों सीटों पर चुनावी तैयारियों पर नजर रखेंगे। वहीं भाजपा की ओर से प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा अपनी युवा टीम के साथ दोनों सीटों पर चुनावी रणनीति बना रहे हैं।
जाहिर है अहम मौके पर हो रहे विधानसभा के दोनों चुनाव राजनीतिक दृष्टि से तो महत्वपूर्ण हैं ही, व्यक्तिगत रूप से नेताओं की प्रतिष्ठा भी दांव पर होने से चुनाव घोषित होने के पूर्व ही चुनावी तैयारी शुरू हो गई है।