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दिग्विजय ने लिखा- भाजपा के प्लान में फंस गई कांग्रेस, कांग्रेसियों ने माना-राज्यसभा जाने के लिए दिग्विजय ने चली चाल

दिग्विजय सिंह ने अपनी पोस्ट का शीर्षक दिया है- ‘क्रोनोलॉजी समझिए कैसे 135 करोड़ देशवासियों की जान खतरे में डाली गई।’

भोपाल. मध्यप्रदेश के पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने अपने फेसबुक पर एक पोस्ट लिखी है। इस पोस्ट के जरिए उन्होंने कोरोना वायरस को लेकर केन्द्र की मोदी सरकार पर हमला बोला है। दिग्विजय सिंह ने अपनी पोस्ट का शीर्षक दिया है- ‘क्रोनोलॉजी समझिए कैसे 135 करोड़ देशवासियों की जान खतरे में डाली गई।’ इसके साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि कैसे मध्यप्रदेश में भाजपा ने अपने प्लान का ठिकरा कैसे दिग्विजय सिंह पर फोड़ा, वो अपने इस प्लान में सफल भी हुए।

दिग्विजय सिंह सिंह की पोस्ट में क्या?
मेरे दोस्त ने बताया कि उनके बेटे को स्कूल में नवंबर में कोरोना वायरस के बारे में बताया गया था। दिसंबर में ही चीन में करोना वायरस से पीड़ित मरीज सामने आने लगे थे। 11 जनवरी को चीन में Covid19 से मौत की पहली खबर आई। 30 जनवरी को हिंदुस्तान में करोना वायरस का पहला मामला सामने आया। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना वायरस को समूचे विश्व के लिए महामारी घोषित किया। 12 फरवरी को कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कोरोना वायरस को लेकर पहला ट्वीट कर मामले की गंभीरता जताते हुए सरकार को आगाह किया। 2 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का ट्वीट आया कि वे सोशल मीडिया प्लेटफार्म को अलविदा कहेंगे। 3 मार्च को कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने 2 ट्वीट कर कोरोना वायरस के संबंध में फिर सरकार को चेताते हुए कहा कि ये सिर्फ जानलेवा नही है बल्कि हिंदुस्तान की अर्थव्यवस्था को खत्म कर देगा।

5 मार्च को फिर राहुल गांधी ने लिखा कि स्वास्थ्य मंत्री कह रहे हैं कोरोना वायरस समस्या नियंत्रण में है जो कि गलत है और पूरे देश को बहलाने जैसा है। उन्होंने कहा कि इस समय सरकार को एक्शन में आकर नागरिकों को इस समस्या से निजाते दिलाने के लिए कोई ठोस योजना बनाना चाहिए। 13 मार्च को फिर राहुल गांधी ने ट्वीट कर लिखा कि मैं बार-बार ये बात कह रहा हूँ कि कोरोना वायरस बहुत बड़ी समस्या है इससे हमारे देश की अर्थव्यवस्था नष्ट हो जाएगी लेकिन सरकार तटस्थ रही। 18 मार्च को राहुल गांधी ने ट्वीट कर लिखा कि कोरोना वायरस से लड़ने के लिए एक त्वरित आक्रामक एक्शन की ज़रूरत है नहीं तो सरकार की इस अक्षमता की देश को बहुत बड़ी कीमत चुकाना पड़ेगी। 21 मार्च को राहुल गांधी ने फिर ट्वीट कर लिखा कि “कोरोनावायरस हमारी नाज़ुक अर्थव्यवस्था पर एक कड़ा प्रहार है। छोटे, मध्यम व्यवसायी और दिहाड़ी मजदूर इससे सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। ताली बजाने से उन्हें मदद नहीं मिलेगी। आज नकद मदद, टैक्स ब्रेक और कर्ज अदायगी पर रोक जैसे एक बड़े आर्थिक पैकेज की जरुरत है। तुरतं कदम उठाये!” 22 मार्च को प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल डिस्टेन्सिंग का प्रयोग करने के लिए जनता कर्फ्यू लगाकर लोगों को घरों में ही रहने की हिदायत दी। 24 मार्च को रात 8 बजे प्रधानमंत्री ने 21 दिनों के लिए पूरे देश को लॉकडाउन कर दिया।
क्रोनोलॉजी समझिए
आप सोच रहे होंगे कि जनवरी से मार्च तक के नेताओं के ये बयान मैंने आपको क्यों बताये, बात ये है कि मैं आपको क्रोनोलॉजी समझाने की कोशिश कर रहा हूँ कि कैसे 135 करोड़ देशवासियों की जान खतरे में डाली गई। इसीलिए आपको फिर से मार्च महीने की शुरुआत में ले चलता हूँ। मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने 3 मार्च को ट्वीट किया “भाजपा ने मप्र के कांग्रेस बसपा समाजवादी विधायकों को दिल्ली लाने की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी है। बसपा की विधायक श्रीमती राम बाई को क्या भाजपा के पूर्व मंत्री भूपेन्द्र सिंह जी कल चार्टर फ़्लाइट में भोपाल से दिल्ली नहीं लाये? शिवराज जी कुछ कहना चाहेंगे?” मध्यप्रदेश कांग्रेस की चुनी हुई सरकार को गिराने के लिए यूं तो भाजपा साल भर से प्रयास कर रही थी लेकिन 2 मार्च को शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में लोकतंत्र को कुचलने का ये पहला गंभीर प्रयास था। जहां समूचे विश्व में कोरोना वायरस जैसी महामारी दस्तक दे रही थी उस वक़्त भारतीय जनता पार्टी का ध्यान मध्यप्रदेश की चुनी हुई बहुमत की सरकार गिराने पर केंद्रित था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 2 मार्च को सोशल मीडिया को छोड़ने वाला ट्वीट भी इसी प्लान का हिस्सा था जिससे पूरे देश का ध्यान भटकाकर कांग्रेस के विधायकों को तोड़ने का भाजपा का षड्यंत्र उजागर न हो सके। जिस व्यक्ति का शुरू से ही ध्यान मीडिया के विभिन्न माध्यमों पर रहा हो वो इतनी आसानी से कैसे सोशल मीडिया छोड़ सकते थे ये सिर्फ गुमराह करने और टीव्ही चैनलों पर बहस का मुद्दा बनाना था। लेकिन दिग्विजय सिंह की सतर्कता और सजगता से बीजेपी का प्लान नम्बर A फेल हो गया।

राज्यसभा जाने के लिए फोड़ा गया ठिकरा
लेकिन किस को मालूम था कि भाजपा नेता खासकर अमित शाह कमर कस के बैठे थे चुनी हुई सरकार को गिराने का। गंभीर नहीं थी तो बस कांग्रेस। कांग्रेस के नेता बीजेपी के बुने जाल में फंस गए चूंकि उनका प्लान फेल हो गया था तो उसका ठिकरा दिग्विजय सिंह पर फोड़ा गया ये कहते हुए कि ये कांग्रेस की अंतर्कलह है दिग्विजय सिंह को राज्यसभा में जाना था इसीलिए वे ही इन विधायकों को दिल्ली ले गए और बड़ी आसानी से लोगों ने खासकर कांग्रेसियों ने भी ये मान लिया कि राज्यसभा जाने के लिए राजा ने ये चाल चली है। जबकि कांग्रेस के पास राज्यसभा की 2 सीटों के लिए पर्याप्त संख्या थी। लेकिन भाजपा ये आम राय बनाने में कामयाब हो गई कि ये कांग्रेस की ही अंदरुनी लड़ाई है बीजेपी का इससे कोई लेना देना नहीं। जिस तरह पूरे देश में राहुल गांधी सॉफ्ट टारगेट होते हैं उसी तरह मध्यप्रदेश में दिग्विजय सिंह बीजेपी के निशाने पर होते हैं। जो लड़ेगा या जिसमें लड़ने का सामर्थ्य होगा उसे ही भाजपा टारगेट में ले लेती है।

जैसे-जैसे देश में कोरोना पैर पसार रहा था वैसे-वैसे बीजेपी सरकार गिराने के अपने प्लान बी पर काम कर रही थी। उसी प्लान की कड़ी में कांग्रेस के 22 विधायकों को विशेष विमान के जरिये बीजेपी नेताओं ने बैंगलोर पहुंचाया और खुद के विधायकों को भोपाल से विशेष विमान से दिल्ली और बाद में बस द्वारा गुड़गांव पहुंचाया दिया। अब आप क्रोनोलॉजी समझिए राहुल गांधी के कोरोना वायरस की गंभीरता को लेकर बार बार आगाह करने पर भी केंद्र सरकार ने उस ओर से पूरी तरह ध्यान भटकाए रखा। क्योंकि जो लॉक डाउन मार्च के पहले सप्ताह में हो जाना था उसे क्यों टाला गया उसका सिर्फ एक ही कारण था मध्यप्रदेश में चुनी हुई कांग्रेस की सरकार को गिराकर भाजपा की सरकार बनाना। समझने वाली बात यही है यदि ये लॉक डाउन पहले लगाया जाता तो विधायकों को लाने ले जाने में प्राइवेट प्लेन और बसों का इस्तेमाल कैसे कर पाते और उनका सरकार गिराने का प्लान वहीं धड़ाम से गिर जाता। बड़ी बात ये है कि भारतीय जनता पार्टी किस कीमत पर एक चुनी सरकार गिरा रही थी, देश के 135 करोड़ देशवासियों की जान खतरे में डालकर पूरा खेल खेला जा रहा था। उनके मनसूबे इतने प्रबल थे कि मध्यप्रदेश कांग्रेस के बड़े नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया जो कुछ कारणों से कांग्रेस के बडे नेताओं से नाराज़ दिखाई दे रहे थे उस बात का फायदा उठाते हुए उन्हें तोड़ा गया और निश्चित ही उन्हें तोड़ने के लिए बीजेपी ने साम, दाम, दंड और भेद नीति को अपनाया होगा और उन्हें तैयार कर उनके समर्थित विधायकों को दबे पांव लालच दे कर बैंगलोर पहुंचा दिया गया। जब देश कोरोना वायरस संक्रमण के मुहाने पर खड़ा था तब देश के गृह मंत्री अमित शाह सिंधिया को अपनी गाड़ी में बैठाकर प्रधानमंत्री मोदी से डील करने के लिए मिलवाने ले गए। डील हो गई और अपने पिता कांग्रेस नेता स्व. माधवराव सिंधिया जी की जयंती पर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बीजेपी जॉइन कर ली।

कोरोना वायरस देश में पैर पसारने लगा था और अमित शाह और मोदी जी सिर्फ इस बात का इंतज़ार कर रहे थे कि कब मध्यप्रदेश की सरकार गिरेगी और बीजेपी के बनेगी और फिर वे कोरोना को लेकर एक्शन में आने का ढोंग रचेंगे। 18 मार्च को दिग्विजय सिंह मध्यप्रदेश सरकार के मंत्रियों और विधायकों के साथ बैंगलोर की रमाडा होटल पहुंच गए लेकिन कर्नाटक की बीजेपी सरकार जो उस प्लान में हिस्सेदार थी, उसने वहां कड़ी सुरक्षा व्यवस्था कर रखी थी उन्होंने कांग्रेस के किसी भी नेताओं को उन बागी विधायकों से न मिलने दिया और न ही बात करने दी। उसी कड़ी में मोदी जी ने 22 तारीख को प्रयोग के तौर पर जनता कर्फ्यू लगाया और उसी दिन मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने 22 विधायकों के नही आने के बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया। अंततः सरकार गिर गई लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने फिर भी लॉक डाउन नही लगाया क्यों? क्योंकि मध्यप्रदेश में बीजेपी सरकार नही बनी थी। 23 तारीख की शाम को ही बीजेपी विधायक दल की बैठक में इस पूरे षड्यंत्र के सरगना शिवराज सिंह चौहान को नेता चुन लिया गया। 23 तारीख की ही रात को शिवराज सिंह चौहान ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और फिर मिशन पूरा होने के बाद मोदी जी ने 24 तारीख को 8 बजे रात को घोषणा की कि पूरा देश 21 दिन तक लॉक डाउन यानि कर्फ्यू की जद में रहना होगा।

इस पूरी क्रोनोलॉजी में राहुल गांधी का कोरोना को लेकर बार बार सरकार को याद दिलाना और भाजपा के दिखाये रास्ते पर देश के लोगों द्वारा उनका मजाक बनाया जाना कितना गलत है। राहुल गांधी की गंभीरता का अंदाज़ा इससे लगाइए कि उन्होंने मध्यप्रदेश की कांग्रेस सरकार को गिरते देख एक भी बयान नही दिया बल्कि एक ट्वीट उन्होंने 11 मार्च को सरकार पर व्यंग्य करते हुए लिखा कि “जब आप चुनी हुई कांग्रेस सरकार को अस्थिर करने में व्यस्त थे तब क्रूड ऑयल के रेट में 35% कमी आई है कृपया कर देश को इसका लाभ दें और पेट्रोल की कीमत 60 ₹ प्रति लीटर कर दें।” राहुल गांधी ने इसके अलावा कहीं भी मध्यप्रदेश की सरकार गिराए जाने की बात नही की क्योंकि वे इससे बड़ी समस्या कोरोना वायरस जैसी जानलेवा महामारी को देश के मुहाने पर खड़ा देख रहे थे। उन्हें देश के लोगों की जान प्रदेश में अपनी सरकार से बड़ी दिखाई दे रही थी। उन्होंने परवाह किये बिना लगातार सरकार को आगाह किया लेकिन मोदी शाह ने अपने छोटे से अहम और राज्य सत्ता के लालच को पूरा करने के लिए पूरे देश को संकट में डाल दिया।

विषय ये है कि मध्यप्रदेश की चुनी हुई सरकार को गिराने के लिए पूरे देश को प्रयोगशाला बना दिया गया मोदी जी ने समय समय पर ये टेस्ट किया कि देश के नागरिक कितना सहन कर सकते हैं उन्होंने नोटबन्दी और GST को लेकर लिए फैसले पर देख लिया था कि जनता कुछ भी सहने को तैयार है। उन्होंने उसी प्रयोग को जारी रखते हुए जनता की जान की परवाह किये बिना मध्यप्रदेश की चुनी हुई सरकार को गिराने का सुनियोजित और सफलतम प्रयास किया। जनता ये समझ ही नही रही कि ताली और थाली बजवाने की आड़ में सत्ता का घिनौना खेल खेला गया। लॉक डाउन के दौरान जो भी केस पॉजिटिव पाए जा रहे हैं ये आज के नही हैं ये उस वक़्त के हैं जब मोदी शाह कांग्रेस सरकार को अस्थिर करने का प्रयास कर रहे थे और पूरे विश्व मे करोना की वजह से मची अफरा तफरी से लोग विदेश से वापस इंडिया आ रहे थे। उन सभी विदेश से आए लोगों को एयरपोर्ट में ही आइसोलेट किया जाता और उसी वक़्क़ लॉक डाउन कर दिया जाता तो देश आज जिस मुसीबत पर खड़ा है बिल्कुल भी नही होता। बीजेपी के नापाक मंसूबों ने पूरे देश को भट्टी में झोंक दिया अब मन की बात में फिर कोई नया शगूफा छोड़ा जाएगा। इस पूरे प्रकरण में ये तो समझ आ गया कि सत्ता की लोलुपता में लोगों की जान की कीमत कुछ भी नही है। लोग मरे या जियें उन्हें फर्क नही पड़ता उनकी गद्दी बनी रहे बाकि देश तो सहनशील है और मोदी जी के और भी प्रयोगों से उन्हें अग्नि परीक्षा देनी है।

मैं समझता हूँ देश आज वैश्विक महामारी की चपेट में हैं और ये राजनीति और छींटाकशी का समय नही है लेकिन लोगों को ये जानना भी ज़रूरी है कि सत्ता की हवस ने ही करोड़ों लोगों की जान को जोखिम में डाल दिया है। मेरा निवेदन है सहनशील इतने मत बनो कि टूट जाओ। ये देश है ऐसे किसी को भी स्थायी पट्टा मत दो कि वो देश प्रेम के नाम पर ज्याददिति करने लगे। जागृति ही एक मात्र उपाय है। जागो भारत जागो

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