भोपाल। बंटवारे, नामांतरण, वसीयत और अचल संपत्ति बेचने के लिए अब लोगों को सरकारी दफ्तरों और बाबुओं के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। संपत्ति की पहली रजिस्ट्री कराते ही इन सभी मामलों के लिए प्रकरण अपने आप ही दर्ज हो जाएगा। ऑनलाइन प्रक्रिया पूरी करने पर एसएमएस से राजस्व कोर्ट का नाम और सुनवाई की तारीख तय होगी। समय-सीमा में तुरंत समाधान हो जाएगा। साफ है कि रजिस्ट्री के बाद किसी भी व्यक्ति को नामांतरण या अन्य काम के आवेदन के लिए भटकना नहीं पड़ेगा।
राजस्व विभाग ने ‘रेवेन्यू कोर्ट मैनेजमेंट सिस्टम’ (आरसीएमएस) विकसित किया है, जिसमें तमाम सुविधाएं रहेंगी। राजस्व व आईटी मंत्री उमाशंकर गुप्ता के अनुसार नई व्यवस्था लागू की जा रही है। मोबाइल एप भी बना दिया गया है, जिसमें यह पता चलेगा कि आपकी जमीन कहां है? उसका खसरा, खतौनी व नक्शे की नकल एप से मिल जाएगी। व्यक्ति चाहे तो उसकी सत्यापित नकल भी निर्धारित शुल्क जमा करके ले सकेगा। इसी तरह किसान एप भी काम करेगा। इससे किसान को फसल के साथ सरकार की तमाम योजनाओं की जानकारी मिलेगी। गुप्ता ने बताया कि शहरी क्षेत्र में छोटे-छोटे प्लॉट हैं तो उसके स्वामित्व का रिकॉर्ड देखना मुश्किल होता है। इसके लिए सेक्टर व ब्लॉक स्तर पर नक्शे बनाए जा रहे हैं।
मीडिया से बातचीत के दौरान आईटी मंत्री गुप्ता ने ई-टेंडर घोटाले पर जवाब देने से किनारा किया। सिर्फ इतना कहा कि इस विषय पर अभी कुछ नहीं कहूंगा अन्यथा ईश्यू डायवर्ट हो जाएगा। मैं सिर्फ राजस्व पर बात करने आया हूं। सारे प्रकरण की जांच शुरू कर ही दी गई है। कांग्रेस चुनाव अभियान समिति के प्रमुख व पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की जमीन से जुड़े मामले की जांच को लेकर गुप्ता कुछ असहज नजर आए। पहले तो उन्होंने कहा कि कोई कार्रवाई करेंगे तो आप उसे बदले की भावना से जोड़ दोगे। फिर सवाल पूछने वाले से उन्होंने कहा कि अकेले में वजह बता देंगे। फिर कहा कि कुछ चीजें पर्दे में रहने दो और चौथी बार जाकर बोले की जांच तो होगी। बसपा-कांग्रेस के गठबंधन पर आईटी मंत्री ने कहा कि मप्र की राजनीति में मतों का बंटवारा हमेशा दो प्रमुख दलों के बीच होता आया है और आगे भी होगा। यहां बसपा या सपा जैसे दलों की उपस्थिति कोई मायने नहीं रखती।