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सवर्ण आरक्षण लागू, सरकारी नौकरी और शैक्षणिक संस्थानों में मिलेगा दस फीसदी कोटा

सवर्ण आरक्षण लागू, सरकारी नौकरी और शैक्षणिक संस्थानों में मिलेगा दस फीसदी कोटा

मध्यप्रदेश लोक सेवा के दायरे में आने वाले सभी पद और अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थाओं को छोड़कर सभी शैक्षणिक संस्थाओं में होगा लागू
भोपाल। कमलनाथ सरकार ने प्रदेश में सवर्ण आरक्षण (अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग को छोड़कर) मंगलवार से लागू कर दिया। इसके तहत आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) को सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थाओं में दस प्रतिशत कोटा मिलेगा। जिन शिक्षण संस्थाओं में प्रवेश की प्रक्रिया पूरी हो गई है, वहां यह अगले सत्र से प्रभावी होगा।
कोटा का लाभ लेने के लिए आय और संपत्ति का प्रमाण पत्र तहसीलदार से निचले स्तर के अधिकारी से बनवाना होगा। ‘नईदुनिया” ने 11 जून को ही बता दिया था कि सरकार विधानसभा के मानूसन सत्र के पहले सवर्ण आरक्षण लागू करेगी।
सामान्य प्रशासन विभाग ने आरक्षण लागू किए जाने के निर्देश जारी करते हुए बताया कि अब राज्य लोक सेवा आयोग व अन्य एजेंसी के माध्यम से जो भी सीधी भर्ती होगी, उसमें यह आरक्षण लागू होगा। अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थाओं को छोड़कर सभी शिक्षण संस्थाओं में दस फीसदी स्थान आर्थिक तौर पर कमजोर वर्ग के लिए आरक्षित रहेंगे।
इन्हें रहेगी आरक्षण की पात्रता
– ऐसे परिवार, जिनकी सभी स्रोत (वेतन, कृषि, व्यवसाय आदि) से सालाना आय आठ लाख रुपए से अधिक न हो।
– पांच एकड़ तक भूमि के स्वामी (राजस्व रिकॉर्ड में लगातार तीन साल बंजर, पथरीली या बीहड़ भूमि इसमें शामिल नहीं)
– नगर निगम क्षेत्र में 1200 वर्गफीट तक मकान या फ्लैट।
– नगर पालिका क्षेत्र में 1500 वर्गफीट तक मकान या फ्लैट।
– नगर परिषद क्षेत्र में 1800 वर्गफीट तक मकान या फ्लैट।
– ग्रामीण क्षेत्र को मकान या फ्लैट के बंधन से मुक्त रखा गया है।
आय प्रमाण पत्र में रहेगा पूरा ब्योरा
आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए तहसीलदार से निचले स्तर के अधिकारी द्वारा प्रमाण पत्र बनाएंगे। इसके लिए आवेदक को आय और परिसंपत्ति के दस्तावेज लगाने होंगे। इसके आधार पर आवेदक फोटो सहित प्रमाण पत्र बनाकर दिया जाएगा कि संबंधित अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति तथा अन्य पिछड़े वर्गों के रूप में अधिसूचित नहीं हैं।
प्रदेश में 73 फीसदी पद आरक्षित
प्रदेश में सरकारी नौकरियों में दस फीसदी आरक्षण आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (अजा, अजजा और ओबीसी के दायरे से बाहर) को देने से आरक्षण 73 फीसदी हो गया। सिर्फ 27 प्रतिशत पद ही ऐसे बचे हैं, जो अनारक्षित हैं। प्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग को 27, अनुसूचित जाति को 16, अनुसूचित जनजाति को 20 और सवर्ण वर्ग को 10 प्रतिशत आरक्षण मध्यप्रदेश लोकसेवा अधिनियम 1994 में तय पदों पर नियुक्ति के लिए मिलेगा।
राज्य सरकार ने अन्य पिछड़ा वर्ग को दिए जा रहे 14 प्रतिशत के आरक्षण को बढ़ाकर 27 प्रतिशत किया है। जिसके लिए विस के मानसून सत्र में संशोधन विधेयक लाया जाएगा। सामान्य प्रशासन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि नए दस प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान कुल आरक्षण की सीमा में शामिल नहीं होगा, क्योंकि इसके लिए केंद्र सरकार ने संविधान में संशोधन किया है। 

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