जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 पर विपक्ष की आशंकाओं का जवाब देते हुए अमित शाह ने उन्हें इस अनुच्छेद को ठीक से पढ़ने की नसीहत दी। उन्होंने कहा कि खुद अनुच्छेद में ही साफ तौर पर लिखा गया है कि यह अस्थायी है। लेकिन उन्होंने अनुच्छेद 370 पर सरकार की किसी कार्ययोजना की जानकारी नहीं दी।
गृहमंत्री ने कहा, ‘जम्मू कश्मीर में भारत का कोई निशान नहीं था। यहां तक कि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के साइनबोर्ड पर इंडिया शब्द को कपड़े से ढक दिया गया था। मुरली मनोहर जोशी और नरेंद्र मोदी ने खतरा मोल लेकर लाल चौक पर तिरंगा लहराया। उस वक्त हम सत्ता में नहीं थे।’
जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति का शासन छह महीने के लिए बढ़ाने और अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटे गावों के लोगों को नियंत्रण रेखा के समीप रहने वाले लोगों की तरह आरक्षण का लाभ देने के दो विधेयकों पर लोकसभा ने मुहर लगा दी। विधेयक पर चर्चा के दौरान गृहमंत्री अमित शाह ने विपक्ष की आशंकाओं को खारिज करते हुए साफ कर दिया कि मोदी सरकार जम्मू-कश्मीर में इंसानियत, जम्हूरियत, और कश्मीरियत की नीति पर ही काम कर रही है। लेकिन साथ ही उन्होंने यह भी साफ कर दिया कि वहां जिसके भी मन में भारत विरोध है, उसके अंदर डर पैदा होना चाहिए।
कांग्रेस को निशाने पर लेते हुए गृहमंत्री ने कहा, ‘शंका के बीज कांग्रेस ने रोपे हैं। लोगों में शंका कांग्रेस की देन है। जो भी जनादेश आया हमने माना। बीजेपी के राज में कोई धांधली नहीं है।’ उन्होंने आगे कहा, ‘ राज्य में विधानसभा चुनाव साल के अंत तक होंगे। राज्य में चुनाव का समय चुनाव आयोग तय करेगा। हमारे समय में चुनाव आयोग आजाद है।’
हम टुकड़े टुकड़े गैंग का हिस्सा नहीं
लोकसभा में गृहमंत्री ने कहा, ‘कुछ लोग कहते हैं कि जम्मू कश्मीर में डर का माहौल है। जो भारत के विरोधी हैं उनके दिल में डर होना चाहिए। हम टुकड़े टुकड़े गैंग का हिस्सा नहीं है। हम जम्मू कश्मीर की आम जनता के खिलाफ नहीं हैं। हमने उन्हें तमाम सरकारी योजनाएं और नौकरियां मुहैया कराना शुरू कर दिया है।’23 जून 1953 को जब श्यामा प्रसाद मुखर्जी जम्मू कश्मीर के संविधान का, परमिट प्रथा का और देश में दो प्रधानमंत्री का विरोध करते जम्मू कश्मीर पहुंचे तब उन्हें जेल में डाल दिया गया। यहां उनकी संदेहास्पद तरीके से मौत हो गई। मौत की जांच क्यों नहीं हुई, क्योंकि वे विपक्ष के वरिष्ठ नेता थे, देश के और बंगाल के नेता थे।कश्मीर समस्या के लिए लिया नेहरू का नाम
गृहमंत्री ने सवाल किया, ‘धर्म के आधार पर देश के विभाजन की गलती किसने की, देश का विभाजन हमने नहीं किया, तब नेहरू ने सीजफायर किया था। कश्मीर का हिस्सा पाक को आपने दिया… उस भूल की सजा लोग भुगत रहे हैं। उस भूल के कारण लाखों लोग मरे।’ नेहरू का नाम लेने पर लोकसभा में हंगामा शुरू हो गया। उन्होंने कहा, ‘ आप कहते हैं हमने जनता को विश्वास में नहीं लिया लेकिन नेहरूजी ने तत्कालीन गृहमंत्री को बिना बताए ऐसा किया। इसलिए मनीष तिवारी जी हमें इतिहास न पढ़ाएं। इतिहास में जाओगे तो सुनना पड़ेगा।‘इंसानियत कश्मीरियत जम्हूरियत
उन्होंने कहा, ‘जम्मू-कश्मीर में इंसानियत, जम्हूरियत, कश्मीरियत की नीति अब भी चल रही है। इंसानियत महिलाओं को शौचालय, धुएं से मुक्ति की सुविधा 70 साल के बाद देने में है।’ गृहमंत्री ने कहा, ‘राज्य में पंचायती चुनावों पर रोक लगी थी। 70 साल बाद लोगों को पंचायत में अपनी बात रखने का मौका मिला। ये जम्हूरियत है। कश्मीरियत की बात करते समय कश्मीरी पंडितों को बारे में सोचना चाहिए, वे कहां चले गए, उन्हें किसके कारण निकलना पड़ा।’गोलीबारी से नुकसान पर दी जाएगी आर्थिक मदद
सरकार की उपलब्धियों को गिनाते हुए गृहमंत्री अमित शाह ने कहा, ‘राज्य में गोलीबारी से नुकसान पर आर्थिक मदद दी जाएगी। यहां 2 बॉर्डर बटालियन को मंजूरी दी गई। लद्दाख में हिल काउंसिल बनाया गया और इसके लिए बजट दिया गया। कश्मीरी पंडितों के लिए ट्रांजिट आवास बनाए गए। राज्य सरकार में 41000 नए पद हैं।लोगों के मन में शंका कांग्रेस की देन
कांग्रेस को निशाने पर लेते हुए गृहमंत्री ने कहा कि शंका के बीज कांग्रेस ने रोपे हैं। लोगों में शंका कांग्रेस की देन है। उन्होंने आगे कहा, ‘जो भी जनादेश आया हमने माना। बीजेपी के राज में कोई धांधली नहीं है। राज्य में चुनाव का समय चुनाव आयोग तय करेगा। हमारे समय में चुनाव आयोग आजाद है।’गृहमंत्री ने कहा, ‘जम्मू कश्मीर में भारत का निशान नहीं था। जोशी-मोदी ने वहां तिरंगा फहराया कश्मीर की अावाम की हमको चिंता है। कश्मीर का कल्याण हमारी प्राथमिकता है। कश्मीर में 16 प्रोजेक्ट पूरे हो चुके हैं। कश्मीर ने काफी कुछ सहा है, ज्यादा भी देना पड़ा तो देंगे।’कांग्रेस ने किया धारा 356 का दुरुपयोग
गृहमंत्री अमित शाह ने लोकसभा में कहा, ‘विशिष्ट परिस्थिति के कारण राष्ट्रपति शासन का समय बढ़ाना पड़ रहा है। ऐसी स्थिति कांग्रेस के बार-बार धारा 356 के दुरुपयोग के कारण हुई है।’ गृहमंत्री ने कहा कि धारा 356 का इस्तेमाल राजनीति नहीं है। 132 बार लागू धारा 356 का 92 बार इस्तेमाल कांग्रेस राज में हुआ। नरेंद्र मोदी सरकार ने आतंक के लिए जीरो टॉलरेंस पॉलिसी को अपनाया है। मुझे यकीन है कि हमारी जनता के सहयोग से हम इसे पाने में सफल रहेंगे।’कांग्रेस से सवाल- जमात-ए-इस्लामी पर बैन क्यों नहीं
गृहमंत्री अमित शाह ने लोकसभा में कांग्रेस पर निशाना साधते हुए सवाल किया कि आज तक जमात-ए-इस्लामी को बैन क्यों नहीं किया, आप किसे खुश करना चाहते थे? जमात-ए-इस्लामी को बैन भाजपा सरकार ने किया। जेकेएलएफ को बैन भाजपा ने किया। गृहमंत्री ने आगे कहा, ‘जमात- ए- इस्लामी पर प्रतिबंध लगाया गया। आतंकियों की मदद करने वालों को प्रीवेंटिव कस्टडी में डाला गया। प्रशिक्षण कैंपों पर लगाम लगाया गया।’बता दें कि गृहमंत्री अमित शाह ने आज जम्मू कश्मीर से संबंधित दो प्रस्ताव- जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन बढ़ाने व आरक्षण संशोधन प्रस्ताव पेश किया। साथ ही उन्होंने राज्य में चुनाव को लेकर कहा कि रमजान और अमरनाथ यात्रा को देखते हुए चुनाव इस वर्ष के अंत तक कराने की तैयारी है।आरक्षण विधेयक भी पारित
लोकसभा ने जम्मू–कश्मीर आरक्षण संशोधन विधेयक 2019 को भी मंजूरी दे दी। यह मोदी-1 सरकार द्वारा जारी अध्यादेश का स्थान लेगा। इसके जरिए जम्मू-कश्मीर से सटी अंतरराष्ट्रीय सीमा पर रहने वाले लोगों को भी वास्तविक नियंत्रण रेखा पर रहने वालों लोगों की तरह नौकरियों, प्रमोशन व शिक्षा संस्थानों में आरक्षण का लाभ मिलेगा। आरक्षण संशोधन के प्रस्ताव को पेश करते हुए गृहमंत्री ने कहा कि इससे राज्य के लोगों को लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय सीमा के आस-पास गोलीबारी के बीच रहने वाले लोगों को भी आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘हम जम्मू-कश्मीर के हालात को मॉनिटर कर रहे हैं। पूर्व गृह मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा दिए गए समय सीमा के भीतर बॉर्डर एरिया में बंकरों का निर्माण किया जाएगा। हर जिंदगी हमारे लिए महत्वपूर्ण है।’गृह मंत्री ने कहा, ‘पीओके और पश्चिम पाकिस्तान से आए शरणार्थियों की मदद की गई है। 15000 बंकरों का निर्माण किया जा रहा है। पशुधन के मारे जाने पर मुआवजा दिया जा रहा है।’ उन्होंने आगे कहा, ‘अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बसे गांवों के छात्रों को भी आरक्षण देने का प्रस्ताव है। शेलिंग और गोलीबारी के दौरान छात्रों को कई-कई दिनों तक बंकरों में रहना पड़ता है।’शाह ने लोकसभा में राष्ट्रपति शासन की अवधि बढ़ाने पर जोर देते हुए कहा, ‘जम्मू-कश्मीर में मौजूदा राष्ट्रपति शासन की अवधि 2 जुलाई को पूरी होने वाली है जिसे 6 माह और बढ़ाया जाना जरूरी है। रमजान और अमरनाथ यात्रा के देखते हुए राज्य में चुनाव इस वर्ष के अंत तक कराने की तैयारी चल रही है।‘ गृह मंत्री ने कहा, ‘यह विधेयक किसी को खुश करने के लिए नहीं है, बल्कि उनके लिए है जो अंतरराष्ट्रीय सीमा के निकट रहते हैं।’राज्य के हालात के लिए बीजेपी-पीडीपी है जिम्मेवार: कांग्रेस
राष्ट्रपति शासन की अवधि को बढ़ाने के प्रस्ताव का विरोध करते हुए कांग्रेस ने जम्मू-कश्मीर के हालात का जिम्मेवार भाजपा-पीडीपी गठबंधन को बताया। साथ ही, आरक्षण संशोधन के प्रस्ताव पर कहा कि यह संसद का अधिकार है।919 लोगों की सुरक्षा हटाई
शाह ने बताया कि सरकार ने राज्य के 919 लोगों की सुरक्षा हटा दी है, क्योंकि उनकी सुरक्षा को कोई खतरा नहीं था। जो लोग भारत के खिलाफ बोलते हैं, उन्हें राज्य में सुरक्षा मिली हुई थी। जबकि हकीकत में खतरा उनको है जो देश के लिए बोलते हैं। उन्होंने दोहराया कि मोदी सरकार की आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति है। वह सीमा की रक्षा व देश को आतंक मुक्त करने के प्रति संकल्पबद्ध है। लंबी चर्चा के बाद लोस ने राज्य में राष्ट्रपति शासन की मियाद 3 जुलाई 2019 से छह माह और ब़़ढाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। कांग्रेस ने किया राष्ट्रपति शासन का विरोध
कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने कहा, ‘आपकी आतंकवाद के खिलाफ कठोर नीति का हम विरोध नहीं करते, लेकिन आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई तभी जीती जा सकती है जब लोग आपके साथ हों।’ कांग्रेस ने जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन की अवधि बढ़ाने के प्रस्ताव का विरोध किया। मनीष तिवारी ने कहा, ‘राज्य में मौजूदा हालात के लिए बीजेपी-पीडीपी गठबंधन जिम्मेदार है। आतंकियों से सख्ती से सरकार को निपटना चाहिए। लोग साथ होंगे तभी आतंक के खिलाफ लड़ाई जीती जा सकती है।’आतंकवाद के खिलाफ ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति
गृहमंत्री शाह ने साफ किया कि मोदी सरकार जम्मू-कश्मीर में इंसानियत, जम्हूरियत, और कश्मीरियत की नीति पर ही काम कर रही है। लेकिन आतंकवाद के खिलाफ उसकी ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति है। वहां जिसके भी मन में भारत विरोध है, उसके अंदर डर पैदा होना चाहिए।आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अंतर
अमित शाह ने आतंकवाद के खिलाफ पहले और अब की लड़ाई में अंतर बताते हुए कहा कि पहले भारत विरोधी बयानबाजी करने वाले नेताओं को पुलिस सुरक्षा दी जाती थी। हमारी सरकार ने 919 ऐसे लोगों की सुरक्षा वापस ले ली है। पिछले तीन दशक से आतंकियों के खिलाफ सुरक्षा बलों की कार्रवाई कश्मीर घाटी तक सीमित थी, जबकि राजग सरकार ने सर्जिकल और एयर स्ट्राइक कर आतंकवाद की जड़ पर प्रहार किया है।
पहले दो-तीन परिवारों तक केंद्रित थी सत्ता
अमित शाह ने कहा कि कश्मीर में आतंकवाद के लिए कई ऐतिहासिक गलतियां जिम्मेदार है और इनके मूल पर प्रहार किए बिना वहां स्थायी शांति नहीं आ सकती है। इनमें दो-तीन परिवारों तक सत्ता केंद्रित रखते हुए आम आवाम को लोकतांत्रिक प्रक्रिया का हिस्सा नहीं बनने दिया जाना भी शामिल है। मोदी सरकार इन ऐतिहासिक गलतियों को दूर करने का काम कर रही है। हाल ही में चुने गए 40 हजार पंच और सरपंच इसके उदाहरण है। उन्होंने कहा कि पहले पंचायत चुनाव और फिर लोकसभा चुनाव में हिंसा का बिल्कुल नहीं होने से साफ है कि कश्मीर में स्थिति सुधर रही है।