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किसान कर्जमाफी को लेकर मुश्किल में सरकार, अभी इतना और करना होगा इंतेज़ार

   

किसान कर्जमाफी को लेकर मुश्किल में सरकार, अभी इतना और करना होगा इंतेज़ार

भोपालः किसान कर्जमाफी को अपना वचन मानने वाली मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार के सामने प्रदेश का खाली खज़ाना वचन निभाने में काफी मुश्किल पैदा करता जा रहा है। दस दिनों के भीतर प्रदेश के हर किसान को कर्ज के बोझ से मुक्ति दिलाने का दावा करने वाली कांग्रेस राजस्व के अभाव के चलते चरणबद्ध कर्जमाफी करने के पक्ष में नज़र आई। सरकार ने फैसला किया कि, पहले चरण में करीब 20 लाख से ज्यादा किसानों का कर्ज माफ किया जाएगा। इसके लिए 22 फरवरी से राशि किसानों के खाते में भेजने का काम शुरू होगा। हालांकि, इस कर्ज का निपटारा करने में भी सरकार को करीब 30 हजार करोड़ रुपये की जरूरत होगी। वहीं, बुधवार को विधानसभा में लेखानुदान पेश हुआ, जिसमें वित्तमंत्री ने कृषि विभाग को सर्फ छह हजार करोड़ ही आवंटित किए हैं। जबकि, जरूरत 30 हजार करोड़ की है। कृषि विभाग को ही कर्जमाफी करना है।

कृषि विभाग को मिला सिर्फ 6 हज़ार करोड़, जबकि…
भारी आर्थिक संकट से जूझ रही कमलनाथ सरकार किसान कर्जमाफी के लिए फिलहाल 6 हज़ार करोड़ ही इक्ट्ठा कर पाई है। बुधवार को वित्त मंत्री तरूण भनोत ने कांग्रेस सरकार का पहला लेखानुदान पेश किया। हालांकि, प्रदेश की नीतियों के नियमित संचालन के लिए नव निर्वाचित सरकार बाजार से दो बार कर्ज भी ले चुकी है। फिजूलखर्ची करने पर कमलनाथ पहले ही मंत्री विधायकों को सख्त निर्देश दे चुके हैं। इसी के चलते कई विभागों में कटौति भी की गई है। लेकिन फिर भी किसान कर्जमाफी सरकार के सामने एक बड़ा संकट बनी हुई है। कृषि विभाग को किसानों के कर्ज की रकम बैंक में जमा करनी है। ऐसे में विभाग कहां से और कैसे शेष राशि का इंजेताम करता है ये देखने वाली बात होगी। वर्ष 2018-19 के दूसरे अनुपूरक बजट में कर्जमाफी के लिए पांच हजार करोड़ रुपए दिए गए थे। वर्ष 2019-20 के लेखानुदान में कृषि विभाग को छह हजार करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं। हालांकि इसमें अभी कर्जमाफी के लिए स्पष्ट प्रावधान नहीं है।
सरकार को इतनी राशि की ज़रूरत ओर
अगर कुल मिलाकर देखें तो सरकार की ओर से अब तक कुल 11 हजार करोड़ ही किसान कर्जमाफी के लिए आवंटित किए गए हैं। जबकि, पहले चरण में चयनित किये किसानों का कर्ज माफ करने के लिए 30 हजार करोड़ की राषि की ज़रूरत है। यानि खर्चों में इतनी कटौती और शेष कार्यों को रोकने के बावजूद सरकार अब भी 19 हजार करोड़ का अतिरिक्त बंदोबस्त करने में असमर्थ है। इससे ये तो स्पष्ट है कि, इस लेखानुदान के ज़रिये सरकार पहले चरण में चयन किये गए किसानों का भी कर्जमाफ नहीं कर सकेगी। अगस्त के बाद ही पहले चरण के किसानों की कर्जमाफी का निराकरण हो सकता है। क्योंकि पूर्ण बजट जुलाई में होने वाले विधानसभा सत्र में पेश किया जाएगा। हालांकि, लोकसभा से पहले पहले सरकार कुछ किसानों को लॉलीपॉप देकर चुनाव साधने का अथक प्रयास तो कर ही लेगी।
राशि आवंटन के बाद घिरी सरकार
बुधवार को जैसे ही सत्र के दौरान वित्त मंत्री ने कृषि विभाग को छह हजार करोड़ का बजट आवंटित किया। विपक्ष ने हंगामा शुरु कर दिया। सरकार की घेराबंदी शुरू हो गई। प्रदेश के पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि, प्रदेश सरकार ने किसानों के साथ छल कर रही है। विपक्ष जबतक किसान कर्जमाफी नहीं मानेगा जबतक प्रदेश के हर किसान के खाते में कर्ज की राशि जमा नहीं हो जाती। वहीं, विधायक नरोत्तम मिश्रा ने प्रदेश सरकार पर किसानों से झूठ बोलने का आोप लगाया। उन्होंने कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि, प्रदेश के दो लाख तक के कर्जदार किसानों का दस दिनों में कर्ज माफ करने का दावा करने वाले राहुल गांधी सरकार में आने के बाद अपना वादा भूल गए। 60 दिन बीत चुके हैं, लेकिन अब तक सरकार टालमटोल करने में ही जुटी हुई हैं।

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