हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में काफी उथल पुथल देखने को मिली। एक तरह देश की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी भाजपा को सभी पांचों राज्यो में हार का सामना करना पड़ा तो कांग्रेस ने तीन राज्यो में अपनी सरकार बना कर सबको हैरान कर दिया। कांग्रेस को इन तीनो राज्यो में भाजपा की तरफ से सबसे कड़ी चुनौती का सामना मध्यप्रदेश में करना पड़ा। पहले मध्यप्रदेश में कांग्रेस के सामने मुख्यमंत्री के नाम की समस्या आई तो अब कांग्रेस के सामने एक ऐसी समस्या आ चुकी है जिसके कारण मध्यप्रदेश में उनकी सरकार भी गिर सकती है।
आपको बता दें कि मध्यप्रदेश में कमलनाथ के मुख्यमंत्री बनने का बाद से ही अन्य विधायको में बगावत का सुर तेज हो गए है और इसका कारण यह है कि कमलनाथ ने अपने वादे के मुताबिक समर्थन करने वाले विधायकों को मंत्री का पद नहीं दिया। आपको बता दें कि मध्यप्रदेश के चुनाव में 230 सीट में से कांग्रेस को 114 सीट मिली तो भाजपा को 109 सीट। ऐसे में कांग्रेस को बहुमत प्राप्त नहीं हुआ और उन्हें सरकार बनाने के लिए अन्य विधायको से समझौता करना पड़ा, जिसके तहत उन्होंने 3 निर्दलीय विधायक को अपनी तरफ किया और दावा किया जा रहा की कांग्रेस ने इन निर्दलीयों से वादा किया था की वो उनको मंत्री पद देंगे. लेकिन कमलनाथ की सरकार बनने के बाद से इन विधायकों को मंत्री पद से दूर रखा गया
इसके साथ ही बसपा और सपा के विधयकों ने बैठक की। यह सभी कमलनाथ विधायक सरकार से काफी नाराज दिखे और इन्होंने कांग्रेस ऑफिस में अपनी नाराजगी भी जाहिर की। इन 6 विधायको में से 3 निर्दलीय विधायक है जिनका नाम सुरेंद्र कुमार, केदार डाबर और विक्रम सिंह राणा उर्फ गुड्डू भैया है तो बाकी के तीन विधायक संजीव सिंह, रमाबाई सिंह और राजेश शुक्ला है। आपको बता दें कि अगर यह 6 विधायक भाजपा से जा मिलते है तो मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार गिर सकती है और भाजपा अपनी सरकार बना सकती है। राजनितिक जानकारों का मानना है की मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार किसी भी वक्त गिर सकती है.