रायपुर। सवर्ण वर्ग के गरीब लोगों को मुख्यधारा से जोड़ने और उनके सामाजिक आर्थिक विकास के मकसद से केंद्र सरकार ने 10 फीसद आरक्षण की घोषणा की है। लोकसभा और राज्य सभा में इस बावत बिल पास होने के बाद राष्ट्रपति ने भी इसे मंजूरी दे दी। अब आरक्षण नियमों में बदलाव कर इसे संवैधानिक रूप दिए जाने की तैयारी चल रही है। भाजपा शासित गुजरात देश का पहला राज्य बना है जहां यह व्यवस्था लागू कर दी गई है, लेकिन छत्तीसगढ़ की नव गठित कांग्रेस सरकार ने अभी सवर्ण आरक्षण को ना कहा है। कांग्रेस सरकार इसे भाजपा का चुनावी हथकंडा बता रही है।
विधि विधायी और संसदीय कार्य मंत्री रविन्द्र चौबे ने इस मसले पर राज्य सरकार की नीति साफ करते हुए कहा कि सवर्णों को आरक्षण की घोषणा पूरी तरह से भाजपा का चुनावी हथकंडा है।
अभी लोकसभा चुनावों का समय नजदीक आ रहा है, ऐसे में भाजपा सवर्णों को आरक्षण का प्रलोभन देकर चुनाव जीतना चाहती है। राज्य में नई आरक्षण व्यवस्था को लागू करने से पहले सरकार सतही स्तर पर पड़ताल करेगी। यहां दूसरे राज्यों के मुकाबले सामान्य वर्ग के लोगों की जनसंख्या कम है और अन्य राज्यों से यहां अलग स्थिति थी।
आदिवासी बाहुल्य राज्य में नई आरक्षण व्यवस्था की वजह से दूसरे जाति वर्गों में असंतोष उपज सकता है। ऐसे में सभी तरह की स्थितियों का आंकलन करने के बाद ही आरक्षण की नई व्यवस्था को यहां लागू किया जाएगा। फिलहाल इसपर मंथन चल रहा है।
रविन्द्र चौबे का कहना है कि न्यायालय के मुताबिक 50 फीसद से अधिक आरक्षण की व्यवस्था लागू होने पर कई तरह की कानूनी बाधाएं भी उत्पन्न होंगी। ऐसे में हम दूसरे राज्यों में नई आरक्षण व्यवस्था के लागू होने के बाद उनके प्रभावों का अध्ययन करेंगे। इसके बाद राज्य में नई आरक्षण व्यवस्था पर विचार किया जा सकेगा।
राज्य में सवर्णों की आबादी सिर्फ 8 फीसद
राज्य में अनुसूचित जनजाति वर्ग की आबादी 32 फीसद, अनुसूचित जाति वर्ग की आबादी 13 फीसद, अन्य पिछड़ा वर्ग की आबादी करीब 47 फीसद और सामान्य वर्ग की आबादी करीब 8 फीसद है। जाति वर्ग और आबादी के समीकरण के हिसाब से सरकार आरक्षण की धरातल पर स्थिति की पहले पड़ताल करेगी। इसके बाद ही इस संबंध में आगे की नीति तय करेगी।
उधर दूसरी तरफ भाजपा का आरोप है कि कांग्रेस की सरकार केंद्र सरकार की नीतियों की आलोचना के चक्कर में सवर्ण वर्ग के गरीबों के हितों की अनदेखी कर रही है। नेता प्रतिपक्ष धरम लाल कौशिक ने कहा कि सवर्णों को आरक्षण किसी एक राज्य का मसला नहीं है।
पूरे देश में सवर्ण गरीबों की स्थिति एक जैसी है। उनकी स्थिति को बराबरी में लाने के लिए सभी राज्यों को यह व्यवस्था अपनानी चाहिए। राजनैति मुद्दा बनाने के बजाए नई आरक्षण नीति को कांग्रेस को सहृदयता के साथ स्वीकार करना चाहिए। इस बिल को संसद में पास कराने में कांग्रेस ने भी योगदान दिया है, फिर राज्य सरकार इस पर अलग से नीति कैसे बना सकती है।
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