भोपाल. प्रदेश में एक तरफ किसानों का कर्ज माफ करने की तैयारी चल रही है तो दूसरी तरफ रबी के लिए उन्हें बैंकों से कर्ज मिलना बंद हो गया है। वोट बैंक की राजनीति ने 12 जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों को तालाबंदी की कगार पर ला दिया है। इसके चलते बाकी बैंकों ने भी रबी सीजन में किसानों को कर्ज बांटना बंद कर दिया है।
रबी सीजन में किसानों को करीब 2000 करोड़ का कर्ज बांटा जाना है। इसमें 1200 करोड़ नाबार्ड और 800 करोड़ राज्य सरकार को देना है, लेकिन अब तक सहकारी बैंकों को यह राशि नहीं मिली है। सहकारिता विभाग ने सरकार से करीब 4000 करोड़ रुपए मांगे हैं, लेकिन वित्त विभाग ने सरकारी खजाने की हालात खराब बताकर इसे रोक दिया है। दूसरी ओर अभी सरकारी खजाने पर कर्जमाफी का करीब 35 हजार करोड़ का बोझ और पडऩा है। इसलिए बैंकों की हालत सुधरने की राह कठिन है। अब इसकी परेशानी किसानों को उठानी पड़ सकती है।

12 बैंक खस्ताहाल, नहीं दे पा रहे कर्ज
प्रदेश की 38 सहकारी बैंकों में से 12 की हालत खराब है, इसलिए ये रबी के लिए कर्ज नहीं बांट रही हैं। इन बैंकों को दतिया में 86 करोड़, ग्वालियर में 35 करोड़, भिंड में चार करोड़, भोपाल में 21 करोड़, रीवा में 78 करोड़, सतना में 54 करोड, सीधी में 13 करोड़ और टीकमगढ़ में छह करोड़ का नुकसान हुआ है। इधर, रिजर्व बैंक के नियम का पालन नहीं करने पर नाबार्ड पहले ही धारा-11 में चार सहकारी बैंकों को पैसा देना बंद कर चुका है। इसमें रीवा, सतना, दतिया, ग्वालियर की बैंक शामिल हैं।
इनकी हालत अच्छी, पर कर्ज बांटना बंद- शिवपुरी, होशंगाबाद, शहडोल, उमरिया, अनूपपुर, जबलपुर, नरसिंहपुर, कटनी और राजगढ़।
चुनाव में वसूली रोकने से बढ़ा संकट
चुनाव के ठीक पहले भाजपा सरकार ने किसानों को जमकर पैसा बांटा। उस समय बैंकों को कर्ज की वसूली करने से भी रोक दिया गया था। यहां तक कि सभी 38 सहकारी बैंक समर्थन मूल्य की खरीदी का पैसा किसानों के खाते में आने पर भी अपनी बकाया राशि नहीं काट पाए। इस दौरान किसानों ने भी बैंकों को कर्ज चुकाना बंद कर दिया था। बाद में कर्जमाफी के चलते भी किसानों ने पैसा नहीं चुकाया। इससे बैंकों का रिजर्व फंड खत्म हो गया।
अपेक्स बैंकों का 940 करोड़ अटका
अपेक्स बैंक की जिला शाखाओं में डिफॉल्टर किसानों की संख्या लगातार बढ़ रही है। अब हालत ये है कि अपेक्स बैंक का 940 करोड़ रुपया इस डिफॉल्ट के दायरे में है। इसमें ग्वालियर में 30 करोड़ रुपए, रायसेन में 285 करोड़, राजगढ़ में 39 करोड़, मुरैना में 168 करोड़, दतिया में 77 करोड़, होशंगाबाद 27 करोड़, सीधी 103 करोड़ और जबलपुर में 292 करोड़ रुपए डिफॉल्टर फंड में हैं। चुनावी चक्कर में पिछले चार महीनों से रिकवरी ठप है। इस कारण
बैंकों पर धीरे-धीरे बोझ बढ़ता ही चला गया।