
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने ये बातें रक्षा दिवस के मौके पर रावलपिंडी स्थित सैन्य मुख्यालय में कही। 1965 में भारत के साथ पाकिस्तानी सुरक्षाबलों की लड़ाई की याद में यह दिवस मनाया जाता है। यहां पर बाजवा ने कश्मीर मुद्दे को उठाते हुए कहा- “कश्मीर में जो भाई और बहने बहादुरी और बलिदान का इतिहास लिख रहे हैं उन्हें शुक्रिया करता हूं।”हालांकि, पाक सेना प्रमुख बाजवा किसी भी देश का नाम नहीं ले रहे थे। लेकिन वे लगातार कश्मीर में नियंत्रण रेखा के पास भारतीय सुरक्षाबलों के साथ टकराव का हवाला दे रहे थे, जब उन्होंने ये कहा कि वे लोगों को इस बात को सुनिश्चित करना चाहते हैं कि “शहीदों के लहू का कतरा बर्बाद नहीं होने देंगे”।उर्दू में उन्होंने- “सीमा पर जो लहू बहाया जा रहा है, सीमा पर जो लहू बहा है, हम उस लहू के हर कतरे का हिसाब लेंगे।”इमरान खान की तरफ से उसी कार्यक्रम के दौरान की गई टिप्पणी को अमेरिका की तरफ से क्षेत्रीय शांति के लिए खतरा बने आतंकियों के खिलाफ पाकिस्तान से निर्णयात्मक और लगातार कार्रवाई का जवाब माना जा रहा है। पाकिस्तान की सैन्य और वहां की सरकार से अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने बैठक के दौरान यह मांग की थी।खान ने उर्दू में कहा- मैं शुरुआत से ही लड़ाई के खिलाफ रहा हूं और मैं यह नहीं चाहता हूं कि किसी और की लड़ाई में पाकिस्तान शामिल हो। उन्होंने कहा- हमारा काम है कि हम अपने लोगों के साथ खड़े रहे और हमारे पास विदेश नीति है जो पाकिस्तानियों की बेहतरी के लिए है।
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