MP में सिंधिया और सीएम की जंग, राजनीतिक उथल-पुथल के संके
भोपालः मध्य प्रदेश इतिहास में हमेशा ही चर्चित रहा है चाहे वो राजा भोज की कहानी हो या चंबल के डकैत, MP ने हमेशा सुर्खियां बटोरी है. इन दिनों भी ‘देश का दिल’ कहे जाने वाले मध्य प्रदेश में हलचल उठी है.
इसबार सत्ता के गलियारे से एमपी मे उथलपुथल मची है. मध्य प्रदेश में सत्ता में आई कांग्रेस पार्टी के शीर्ष नेतृत्व में जुबानी जंग तेज हो गई है. प्रदेश कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के राज्य सरकार के खिलाफ सड़क पर उतरने के ऐलान के बाद मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी शनिवार को पलटवार किया.
उन्होंने दो टूक कहा कि ज्योतिरादित्य सिंधिया (सड़क पर) उतर सकते हैं. दिग्गज कांग्रेसी नेता कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच विवाद की नींव उसी दिन पड़ गई थी जिस दिन सिंधिया को दरकिनार कर कमलनाथ को राज्य का मुख्यमंत्री बना दिया गया था.
राहुल गांधी खेमे के माने जाने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया को उम्मीद थी कि उन्हें सीएम नहीं तो डेप्युटी सीएम बनाया जाएगा लेकिन चुनाव के बाद उन्हें कोई पद नहीं दिया गया. ज्योतिरादित्य सिंधिया को मध्य प्रदेश की बजाय लोकसभा चुनाव में पश्चिमी यूपी का प्रभारी बना दिया गया.
चुनाव परिणाम यह रहा कि ज्योतिरादित्य लोकसभा चुनाव में न तो अपनी गुना सीट बचा पाए और न ही पश्चिमी यूपी में पार्टी का खाता खुलवा पाए. विश्लेषकों के मुताबिक लोकसभा चुनाव में लाखों वोट से हारने और राहुल गांधी के अध्यक्ष पद से हटने के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया पार्टी में अलग-थलग पड़ गए हैं.
अब सिंधिया चाहते हैं कि उन्हें कोई सम्मानजनक काम मिले। यही नहीं उनकी राज्यसभा सदस्यता भी जल्द ही खत्म होने वाली है. इसलिए सिंधिया अपने समर्थकों के जरिए कांग्रेस नेतृत्व पर दबाव डाल रहे हैं कि उन्हें मध्य प्रदेश में पार्टी का अध्यक्ष बना दिया जाए.
कांग्रेस में अभी भी लंबे समय से अध्यक्ष के नाम को लेकर ऊहापोह की स्थिति है. मध्य प्रदेश के अध्यक्ष और सीएम कमलनाथ पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी के सामने स्पष्ट कर चुके हैं कि अध्यक्ष पद पर किसी और की नियुक्ति की जाए.
ज्योतिरादित्य का खेमा चाहता है कि उन्हें पार्टी का अध्यक्ष बना दिया जाए. उधर, कमलनाथ ने शनिवार को कहा कि सोनिया गांधी जल्द ही प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की नियुक्ति शीघ्र करेंगी. उन्होंने यह नहीं बताया कि प्रदेश कांग्रेस का अगला अध्यक्ष कौन होगा.
माना जाता है कि सिंधिया खेमे में मध्य प्रदेश कांग्रेस के करीब 16 विधायक हैं और इसमें से 6 मंत्री हैं. वहीं राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं.
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ज्योतिरादित्य के पिता माधवराव सिंधिया जनता में बेहद लोकप्रिय थे. उनकी मौत के बाद अब ज्योतिरादित्य लगातार अपना जमीनी आधार खोते जा रहे हैं और इसी वजह से उन्हें लोकसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा.
राजपरिवार से ताल्लुक रखने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया चाहते हैं कि उनकी खोई हुई प्रतिष्ठा लौट आए और वह ‘किंग’ की भूमिका में आएं. हालांकि सिंधिया को लगता है कि उनकी इस ‘तमन्ना’ को पूरा करने में सबसे बड़ी बाधा दिग्विजय सिंह हैं.
विश्लेषकों के मुताबिक दिग्विजय सिंह उन्हें प्रदेश की सियासत से खत्म न कर दें. ज्योतिरादित्य सिंधिया ने इस बात पर नाराजगी जताई थी कि सरकार ने राज्य के किसानों से किए गए कर्जमाफी के वादे को निभाया नहीं है.
इसे लेकर उन्होंने चेतावनी दी थी कि वह अपनी ही पार्टी की सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतरेंगे. शनिवार को मध्य प्रदेश कांग्रेस कोऑर्डिनेशन कमिटी की मीटिंग बीच में ही छोड़कर सिंधिया उठकर चले गए. इस बैठक में कमलनाथ भी मौजूद थे.
ज्योतिरादित्य सिंधिया शिक्षकों के मुद्दे को लेकर भी अपनी ही सरकार पर हमलावर हैं. उन्होंने मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ के गांव में गेस्ट टीचर्स को संबोधित करते हुए कहा था कि मध्य प्रदेश में सरकार पार्टी के घोषणापत्र को पूरा लागू नहीं करती है तो अपनी सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतरने में नहीं हिचकिचाएंगे.
सिंधिया की इस धमकी पर जब सीएम कमलनाथ से सवाल किया गया तो उन्होंने दो टूक कहा, ‘तो (सड़क पर) उतर जाएं.’