बता दें कि संविधान में धारा 356 में राष्ट्रपति शासन लगाने के अधिकार का उल्लेख किया गया है।
भोपाल. मध्यप्रदेश सरकार द्वारा राज्य में एनपीआर लागू नहीं करने के फैसले को लेकर सियासत तेज हो गई है। भाजपा प्रवक्ता और राज्यसभा सांसद जेवीएल नरसिम्हा राव ने कहा- नागरिकता केन्द्र से जुड़ा विषय है। किसी राज्य के पास कोई संवैधानिक अधिकार नहीं है कि केन्द्र सरकार के द्वारा पारित कानून को लागू करने से इंकार करे। कमलनाथ सरकार पर हमला करते हुए जेवीएल नरसिम्हा राव ने कहा कि अगर मध्यप्रदेश और कोई भी राज्य राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर ( NPR ) लागू करने से इंकार करता है तो केन्द्र सरकार के पास राष्ट्रपति शासन लगाने का अधिकार है। बता दें कि संविधान में धारा 356 में राष्ट्रपति शासन लगाने के अधिकार का उल्लेख किया गया है।
56 इंच का दम देखने को तैयार रहें
भाजपा प्रवक्ता जेवीएल नरसिम्हा राव ने कहा- किसी भी राज्य द्वारा एनपीआर लागू नहीं करना खुदकुशी करने के जैसा है। उन्होंने कहा कि अगर कोई भी सरकार एनपीआर लागू नहीं कती है तो 56 इंच का दम देखने के लिए तैयार रहे। सीएए, एनआरसी और एनपीआर लागू नहीं किया तो हमारे पास धारा 356 का अधिकार है। सीएए के खिलाफ जिन सरकारों ने प्रस्ताव पारित किया है उसका कोई संवैधानिक तर्क नहीं है। केन्द्र सरकार धारा 256 के तहत उन्हें लागू करने का आदेश दे सकती है। अगर कोई सरकार भी एनपीआर नहीं लागू करती है तो केन्द्र सरकार के पास कई कानूनी विकल्प हैं क्योंकि नागरिकता का विकल्प केन्द्र का है राज्य सरकारों का नहीं।
बता दें कि मध्यप्रदेश में राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर ( एनपीआर ) लागू करने से सरकार ने इंकार कर दिया है। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सोमवार को इसकी घोषणा की है। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा था कि मध्यप्रदेश में एनपीआर लागू नहीं किया जाएगा। केन्द्र की भाजपा सरकार विभाजनकारी नीति अपना रही है, वह प्रदेश में लागू नहीं होगा। दरअसल, एनपीआर की जिस अधिसूचना की बात की जा रही है, वह दिनांक 9 दिसंबर 2019 की है। इसके बाद केन्द्र सरकार ने नागरिकता संशोधन अधिनियम यानी सीएए जारी किया है। अर्थात जो एनपीआर अधिसूचित किया गया है। वह नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 के तहत नहीं है।