कमलनाथ के बाद दिग्विजय भी चुकाएंगे सिंधिया के बगावत की कीमत, जा सकती है सीट
मध्य प्रदेश की तीन राज्यसभा सीटों पर होने वाला चुनाव फिलहाल स्थागित हो गया है. ऐसे में कांग्रेस के उम्मीदवार दिग्विजय सिंह और फूल सिंह बरैया की मुश्किलें बढ़ गई हैं. ज्योतिरादित्य सिंधिया की बगावत की कीमत कमलनाथ ही नहीं अब दिग्विजय सिंह को भी चुकानी पड़ सकती है.
दिग्विजय सिंह की राज्यसभा की राह में कांटे ही कांटेफूल सिंह बरैया को कांग्रेस का प्रथम कैंडिडेट की मांग
कोरोना वायरस संक्रमण के चलते मध्य प्रदेश की तीन राज्यसभा सीटों पर होने वाला चुनाव फिलहाल स्थागित हो गया है. ऐसे में कांग्रेस के उम्मीदवार दिग्विजय सिंह और फूल सिंह बरैया की मुश्किलें बढ़ गई हैं. इसमें सबसे बड़ी चिंता अब कांग्रेस के दिग्विजय सिंह की है, जिन्हें राज्यसभा में जाने से रोकने के लिए उनकी विरोधी लॉबी सक्रिय हो गई है. वहीं, ज्योतिरादित्य सिंधिया की बगावत के चलते कमलनाथ की सत्ता जा चुकी है और अब दिग्विजय सिंह की राज्यसभा सीट पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं.
कांग्रेस में दिग्विजय सिंह के विरोधी गुट ने कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व को इस बात का संदेश दिया है कि फूल सिंह बरैया को पार्टी अगर प्रथम वरियता देती है तो इससे अनुसूचित जाति और आदिवासी समुदाय को साधने का सियासी फायदा मिल सकता है. हालांकि, फूल सिंह बरैया का कहना है कि हम से ज्यादा दिग्विजय सिंह का राज्यसभा जाना जरूरी है.
दरअसल मध्य प्रदेश में पहले कांग्रेस की स्थिति ऐसी थी कि दो राज्यसभा सीटें मिलनी तय थीं. लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोड़ने और 22 विधायकों के इस्तीफे के बाद गणित बिगड़ गया है. मौजूदा विधायकों के लिहाज से कांग्रेस को अब एक और बीजेपी को दो राज्यसभा सीटें मिलने की संभावना है. ऐसे में दिग्विजय विरोधी गुट ने उन्हें राज्यसभा में जाने से रोकने के लिए कोशिशें तेज कर दी हैं.
कांग्रेस के जिन 22 विधायकों ने इस्तीफा दिया है, उनमें ज्यादातर सिंधिया के दुर्ग ग्वालियर-चंबल संभाग क्षेत्र के हैं. कांग्रेस की ओर से राज्यसभा के उम्मीद फूल सिंह बरैया भी इसी चंबल इलाके से हैं और दलित समुदाय से आते हैं. यह पूरा इलाका दलित बहुल माना जाता है. कांग्रेस विधायकों के इस्तीफों से रिक्त हुईं विधानसभा सीटों पर आगे उपचुनाव होने हैं.
ऐसे में मध्य प्रदेश में कांग्रेस की एक लॉबी पार्टी हाईकमान को उपचुनाव में दलित और आदिवासियों को वोट के गणित का फायदा बताते हुए भूल सिंह बरैया को राज्यसभा में भेजने की बैटिंग कर रही है. पूर्व मंत्री और कांग्रेस नेता अखंड प्रताप सिंह ने शीर्ष नेता को पत्र लिखकर मांग की है कि फूल सिंह बरैया को राज्यसभा में भेजने के लिए प्राथमिकता में पहले प्रत्याशी के रूप में विधायकों से उन्हें वोट देने को प्रेरित करना चाहिए.
वहीं, कांग्रेस से राज्यसभा प्रत्याशी फूलसिंह बरैया ने बातचीत करते हुए कहा, ‘हमें भी सुनने में आया है कि कांग्रेस में ही कुछ लोगों ने कहा है कि मेरे राज्यसभा जाने से मध्य प्रदेश में होने वाले उपचुनावों में दलित-आदिवासी वोटों का फायदा होगा. ऐसे में पार्टी का जो भी निर्णय होगा उसे हम स्वीकार करेंगे, लेकिन मौजूदा राजनीतिक माहौल में हमसे कहीं ज्यादा दिग्विजय सिंह का राज्यसभा जाना जरूरी है.’
दिलचस्प बात यह है कि फूल सिंह बरैया को कांग्रेस में लाने का काम दिग्विजय सिंह ने ही किया है. बरैया ने लोकसभा चुनावों के पहले कमलनाथ की मौजूदगी में अपने समर्थकों के साथ कांग्रेस का दामन थामा था. बरैया किसी जमाने में बहुजन समाज पार्टी के साथ भी रहे हैं. दलित वर्ग के साथ-साथ चंबल संभाल इलाके से भी आते हैं. ऐसे में कांग्रेस की एक लॉबी बरैया के कंधे के जरिए दिग्विजय सिंह पर निशाना साध रही है. ऐसे में देखना है कि कांग्रेस के इस शह-मात के खेल में कौन बाजी मारता है.