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क्या पीके, एमपी का सियासी समीकरण बदल पाएंगे?

एमपी में बीजेपी, कांग्रेस से सत्ता छिनने में तो कामयाब हो गई है, लेकिन यह उसके पास रहेगी या नहीं, यह उप-चुनाव के नतीजों पर निर्भर है?

जहां कांग्रेस के सामने अपनी पुरानी सीटें जीतने की चुनौती है, वहीं, बीजेपी के सामने अपने पुराने नेताओं को संतुष्ट रखते हुए नए नेताओं के लिए जगह बनाने की चुनौती है?

उप-चुनाव के नतीजे क्या होंगे, इसके बारे में अभी से कुछ भी अनुमान लगाना इसलिए बेमतलब है कि कोरोना संकट ने जनता के सोचने का नजरिया ही बदल दिया है!

इस बीच खबर है कि एमपी के जिन 24 विधानसभा सीटों पर उप-चुनाव होना है, वहां के चुनावी कैम्पेन के लिए प्रदेश कांग्रेस की चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर से चर्चा चल रही है.

इन 24 विधानसभा सीटों में से 22 सीटें उस समय खाली हो गई, जब, तब के कांग्रेसी और वर्तमान बीजेपी नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीजेपी में जाने के बाद उनके समर्थक रहे, कांग्रेस के 22 विधायकों ने भी विधानसभा से इस्तीफा दे दिया था.

खबर है कि चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर सर्वे करेंगे और चुनाव के लिए रूपरेखा तय करने के साथ-साथ सोशल मीडिया की रणनीति तैयार करने में भी कांग्रेस पार्टी की मदद करेंगे.

बहरहाल, यह उप-चुनाव कांग्रेस और बीजेपी, दोनों के लिए पहेली बना हुआ है? देखना दिलचस्प होगा कि किसकी रणनीति कामयाब होती है? जनता किसे आईना दिखाती है!

और! क्या पीके, एमपी का सियासी समीकरण बदल पाएंगे?

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