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डॉ शंकर दयाल शर्मा जी का मनाया गया जन्म दिवस

शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय शिवपुरी में भारत के भूतपूर्व राष्ट्रपति डॉ शंकर दयाल शर्मा जी का जन्म दिवस छात्र-छात्राओं के बीच मनाया गया! इस अवसर पर डॉ रामजी दास राठौर ने डॉ शंकर दयाल शर्मा जी के जीवन वृतांत के बारे में बताते हुए छात्र-छात्राओं को बताया कि स्वतंत्र भारत के नौंवे राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा का जन्म 19 अगस्त 1918 को मध्यप्रदेश के भोपाल शहर  में हुआ था! उनके पिता का नाम खुशीलाल शर्मा एवं माता का नाम सुभद्रा शर्मा था! शंकर दयाल जी ने अपनी शिक्षा देश एवं विदेश के यूनिवर्सिटी से पूरी की थी!शंकर दयाल जी ने शिक्षा की शुरुवात  सेंट जॉन कॉलेज  से की  थी!  इसके बाद उन्होंने आगरा यूनिवर्सिटी और इलाहबाद यूनिवर्सिटी से भी शिक्षा ग्रहण की थी! लॉ की पढाई (L.L.M) के लिए वे लखनऊ यूनिवर्सिटी चले गए! शिक्षा के प्रति लगन के चलते शंकर दयाल जी Ph.D करने के लिए फिट्ज़विलियम कॉलेज, कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी चले गए! इसके बाद उन्होंने लन्दन युनिवर्सिटी से सार्वजानिक प्रशासन (Public Administration) में डिप्लोमा किया! इतनी शिक्षा ग्रहण करने के बाद भी डॉ शंकर दयाल शर्मा जी यहाँ रुके नहीं, उन्होंने लखनऊ युनिवर्सिटी  में 9 साल तक लॉ की शिक्षा दी,  और वहां प्रोफ़ेसर रहे! इसके बाद फिर लन्दन चले गए और कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में भी उन्होंने बच्चों को लॉ की शिक्षा दी!
डॉ शंकर दयाल जी के राजनैतिक सफ़र की शुरुवात 1940 में तब हुई, जब उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने के लिए कांग्रेस पार्टी की सदस्यता ग्रहण की! ये वो पार्टी थी, जिसके अंदर रह कर उन्होंने स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए बहुत सारी लड़ाईयां लड़ी, बहुत से आन्दोलन में हिस्सा लिया! इसके साथ ही कई चुनाव लढ़े और जीत हासिल कर उच्च पद  में विराजमान रहे! वे अपने जीवन के अंत तक इस पार्टी के प्रति बहुत ईमानदार रहे, उन्होंने इसका साथ कभी नहीं छोड़ा! 1942 में महात्मा गाँधी द्वारा चले गए “भारत छोड़ो आन्दोलन” में डॉ शंकर दयाल जी की महत्वपूर्ण भूमिका रही!
डॉ शंकरदयाल शर्मा 21 अगस्त, 1987 को उपराष्ट्रपति पद पर निर्विरोध निर्वाचित हुए और 3 सितंबर, 1987 को पद की शपथ ग्रहण की!  इसके बाद डॉ शर्मा 16 जुलाई, 1992 को राष्ट्रपति पद के लिये निर्वाचित हुए और 25 जुलाई, 1992 को उन्होंने देश के सर्वोच्च पद की शपथ ग्रहण की थी! भोपाल की ‘गुलिया दाई की गली’ से राष्ट्रपति भवन तक का डॉक्टर शर्मा का सफर बहुतों को रोमांचित करता है, परंतु यह निर्विवाद सत्य है, कि वे बाल्यकाल से ही मेधावी थे! उनके समकक्ष असाधारण शैक्षणिक योग्यता के धनी आज की राजनीतिक प़ीढी में तो बिरले ही मिलते है!
डॉ शंकर दयाल शर्मा स्वर्ण पदक सभी प्रतिष्ठित भारतीय विश्वविद्यालयों में सम्मानित किया गया है! यह पुरस्कार वर्ष 1994 में गठित किया गया था, डॉ शंकर दयाल शर्मा से प्राप्त निधि से! इस पदक के एक स्नातक छात्र चरित्र, आचरण और उत्कृष्टता अकादमिक प्रदर्शन में, पाठ्येतर गतिविधियों और सामाजिक सेवा सहित सामान्य प्रवीणता के मामले में सबसे अच्छा करने के लिए  सम्मानित किया जाता है।
डॉ शंकर दयाल शर्मा का देहांत 26 दिसंबर, 1999 को 81 वर्ष की आयु में नई दिल्ली में हुआ! अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कानूनी पेशे के लिए उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए और कानून के शासन के प्रति प्रतिबद्धता के लिए उन्हें सदैव याद किया जाएगा! डॉ. शंकर दयाल शर्मा एक बहुत गंभीर व्यक्तित्व वाले इंसान थे!
वह अपने काम के प्रति बेहद संजीदा और प्रतिबद्ध रहा करते थे! इसके अलावा वह संसद के नियम कानून का सख्ती से पालन करते और उनका सम्मान करते थे! उनके बारे में कहा जाता है कि एक बार राज्य सभा में एक मौके पर वे इसलिए रो पड़े थे कि क्योंकि राज्य सभा के सदस्यों ने किसी राजनैतिक मुद्दे पर सदन को जाम कर दिया था!

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