भोपाल -देश में खुले छह नए एम्स में सबसे कम डॉक्टर भोपाल एम्स में है। पदों की संख्या लगभग एक समान होने पर भी रायपुर, जोधपुर और पटना एम्स में नियुक्ति की स्थिति भोपाल से बेहतर है। ये खुलासा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की रिपोर्ट से हुआ है, जिसके अनुसार सभी एम्स में सीनियर, जूनियर रेजीडेंट डॉक्टर के अलावा संकाय के पद एक समान हैं, लेकिन भोपाल में तीनों पद पर सबसे कम भर्ती हुई है।

हालांकि विशेषज्ञ इसकी बड़ी वजह डायरेक्टर का नियमित ना होना बताते हैं, तो डॉक्टरों का कहना है कि सुविधाएं पूरी ना होने के चलते अभी ज्यादातर की प्राथमिकता एम्स नहीं है। वर्तमान में एम्स भोपाल में हर दिन ओपीडी में एक से डेढ़ हजार लोग पहुंच रहे हैं। एम्स डायरेक्टर का पद मई 2015 से खाली है, वहीं पिछले महीने भोपाल एम्स के नए डायरेक्टर के तौर पर चुने गए डॉ. वीके शर्मा के मना करने के बाद एक बार फिर नए डायरेक्टर की तलाश जारी है।
संविदा नियुक्ति की व्यवस्था का भी विरोध
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने सभी छह नए एम्स में डॉक्टरों की जल्द नियुक्ति के लिए स्थायी चयन समिति (एसएससी) का गठन किया। चयन प्रक्रिया में लगने वाले समय या अंतराल के दौरान व्यवस्थाएं बनाए रखने के लिए एम्स में संविदा नियुक्ति की व्यवस्था भी की गई, लेकिन विरोध के चलते ये भी अटक गई। सरकार ने एम्स में तैयार की गई एसएससी कमेटी को संविदा नियुक्ति के अधिकार दिए हैं।
रेग्युलर डायरेक्टर नहीं होने से परेशानी
राजधानी के वरिष्ठ डॉक्टर योगेश बलुआपुरी कहते हैं कि भोपाल एम्स में डॉक्टरों की कमी की मुख्य वजह नियमित डायरेक्टर ना होना है, वहीं एम्स में कई सुविधाएं भी शुरू नहीं हुई हैं। एम्स की चयन प्रक्रिया मंे भी कई कमियां हैं, जिसके चलते फिलहाल डॉक्टर वहां जाना नहीं चाहते है। प्रैक्टिस का स्कोप नहीं मिलना भी बड़ी वजह है। ज्यादा तनख्वाह और प्राइवेट प्रैक्टिस के चक्कर में भी डॉक्टर प्राइवेट अस्पताल में काम करना बेहतर मानते है। हालांकि आने वाले दिनों में यह स्थिति बदलेगी।
पूनम पुरोहित
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