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मध्यप्रदेश में किसी भी जाति-धर्म के लोग बन सकते हैं पुजारी, महिला-पुरुष का भी बंधन नहीं

   

प्रदेश में किसी भी जाति-धर्म के लोग बन सकते हैं पुजारी, महिला-पुरुष का भी बंधन नही…
 

भोपाल : साफ्ट हिंदुत्व के रास्ते पर चल रही कांग्रेस सरकार ने अब प्रदेश में पुजारियों की नियुक्ति करने की पूरी नियमावली तैयार की है। इससे पहले पुजारी की नियुक्ति या उनको हटाने के कोई वैधानिक नियम या प्रक्रिया नहीं थी। सरकार ने पुजारियों की नियुक्ति के जो नियम बनाए हैं उनमें जाति-धर्म की बाध्यता नहीं है, यानी किसी भी जाति-धर्म का व्यक्ति मंदिर का पुजारी बन सकता है। इसमें महिला या पुरुष का बंधन भी नहीं है।

सरकार नियमावली के आदेश जारी कर दिए हैं। पुजारियों के लिए न्यूनतम योग्यता भी तय की गई है। नियुक्ति में पुजारी वंश के व्यक्ति को प्राथमिकता दी जाएगी। नियुक्ति की प्रक्रिया तीन माह में पूरी कर ली जाएगी। पुजारी नियुक्ति की प्रक्रिया में सिविल न्यायालय की अधिकारिता वर्जित होगी। सरकार ने ये नियमावली पुजारियों के रिक्त स्थानों को भरने के लिए बनाई है। सरकार ने पुजारियों का मानदेय भी तीन गुना कर दिया है।
ये है पुजारी बनने की निर्धारित योग्यता :
– उम्र कम से कम 18 वर्ष एवं स्वस्थ्य चित्त हो
– न्यूनतम आठवीं तक शिक्षा
– शुद्ध शाकाहारी और मद्यपान न करता हो
– आपराधिक चरित्र का न हो
– पूजा विधि की प्रमाण पत्र परीक्षा पास
– देवस्थान की भूमि का अतिक्रमण करने या खुर्द-बुर्द करने का दोषी न हो
– पिता पुजारी होने की दशा में पुत्र को प्राथमिकता दी जाएगी
– जो मंदिर मठ की श्रेणी में आते हैं और उनमें विशेष अखाड़ा या सम्प्रदाय के गुरु होने की परंपरा है तो उसी आधार पर पुजारी की नियुक्ति की जाएगी। 
– किसी दरगाह या तकिया पर सज्जादानशीन या मुजाविर की नियुक्ति के लिए वंश परंपरा की प्रथा है तो उसका ध्यान रखा जाएगा।
 
 
ये है नियुक्ति की प्रक्रिया : 
– आवेदन निर्धारित प्रारुप में अनुविभागीय अधिकारी,राजस्व को प्रस्तुत किया जाएगा जिसकी स्थानीय अधिकारिता में देवस्थान हो
– आवेदन के साथ शपथ पत्र पर अंडरटेकिंग भी प्रस्तुत करनी पड़ेगी जिसमें उल्लेख होगा कि वो मंदिर की चल अचल संपत्ति पर स्वामित्व का दावा नहीं करेगा
– आवेदन पर अनुविभागीय अधिकारी १५ दिन के अंदर दावा-आपत्ति आमंत्रित करेगा
– कोई आपत्ति न आने पर अग्रिम कार्यवाही की जाएगी,आवश्यक होने पर स्थानीय स्तर पर जांच कराई जा सकती है
– जांच पूरी होने पर पुजारी की नियुक्ति कर दी जाएगी। 
– नियुक्ति होने पर अनुविभागीय अधिकारी तहसीलदार के माध्यम से पुजारी को देवस्थान का आधिपत्य पुजारी को सौंपा जाएगा
– पुजारी नियुक्ति की प्रक्रिया स्वप्रेरणा से बिना किसी आवेदन के भी शुरु की जा सकेगी, पटवारियों की बैठक में तहसीलदार रिक्त पुजारी पद की जानकारी लेंगे और प्रतिवेदन अनुविभागीय अधिकारी को प्रस्तुत करेंगे। 
– पुजारी नियुक्ति प्रक्रिया में देरी होने पर अस्थाई पुजारी की नियुक्ति की जा सकती है।
 
ये हैं पुजारी के दायित्व : 
– विधि विधान से परंपरा अनुसार देवस्थान की पूजा करेगा
– देवस्थान की साफ सफाई रखेगा,श्रद्धालु फ्रेंडली वातावरण रखेगा
– मंदिर की चल-अचल संपत्ति की सुरक्षा खुद की संपत्ति की तरह करेगा
– देवस्थान की संपत्ति पर अपने हित नहीं साधेगा
– सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं के लिए उत्प्रेरक का काम करेगा
 
इस स्थति में हटाए जा सकते हैं पुजारी :
– स्वस्थ्य चित्त न रहने पर
– देवस्थान की संपत्ति पर दावा करने पर
– चारित्रिक दोष पैदा होने पर
– देवस्थान की पूजा या संपत्ति की सुरक्षा में लापरवाही बरतने पर
– शासन के आदेशों की अवहेलना करने पर
हम नियुक्ति नहीं कर रहे हैं, हमने उनकी नियुक्ति के लिए पूरी नियमावली और प्रक्रिया बनाई है,इनमें दरगाह भी शामिल हैं। हमने उनका मानदेय बढ़ाकर तीन गुना किया है। – पीसी शर्मा आध्यात्मिक विभाग मंत्री –
– इस तरह के नियमों से अराजकता फैलेगी,विवाद बढ़ेंगे,ये सब उस समाज पर ही छोड़ देना चाहिए। सरकार अपने कामकाज पर ध्यान दे तो ज्यादा अच्छा है। –
गोपाल भार्गव नेता प्रतिपक्ष –
– मंदिरो में किसी भी जाति का पुजारी हो सकता है। इस पर कोई आपत्ति नहीं है। मध्यप्रदेश सरकार का कदम अच्छा है।
– नरेंद्र गिरी, अध्यक्ष, अखाड़ा परिषद –

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