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राष्ट्रीय कवियित्री रुचि चतुर्वेदी ने महकाया ऑनलाइन कवि सम्मेलन मंच,

निरंतर 22 वे दिन हुई एक से बढ़कर एक प्रस्तुति।

शिवपुरी:कोरोना काल मे लॉक डाउन का पालन करते हुए लोगो को घर रहने का आग्रह करते हुए हो रहे ऑनलाइन कवि सम्मेलन के 22 वे दिन राष्ट्रीय कवियित्री डॉ रुचि चतुर्वेदी ने अपनी दमदार आवाज में ओज से ओतप्रोत कविताओं को सुना श्रोताओं को मुग्ध किया।
राष्ट्रीय कवियित्री डॉ रुचि चतुर्वेदी ने अपनी कविता को लय के साथ सुनाते हुए कहा कि संकल्पों के पावन पथ पर,बढ़ना है तुम साथ तो दो,साथ निभाने देश चला है तुम भी बढ़कर हाथ तो दो,
तालियों के बीच अगली कड़ी में डॉ चतुर्वेदी ने कहा खुशियों की पावन गंगा अब,फिर से कल कल गायेगी,दुख की रात व्यतीत हुई वह भोर तो सुख की आयेगी, प्राणों के इस कल्पव्रक्ष को,सम्बल का नव पात तो दो,सुना मंत्रमुग्ध किया।ऑनलाइन कवि सम्मेलन में उत्तरप्रदेश इटावा के यतीश अकिंचन ने कंप रही धरती मेघ गरजता हो रहा क्रुद्ध,मिट रही संभावना प्राण होता क्रुद्ध सुना आशीष पाया।कवि आलोक शुक्ला ने एक बार बहस हो गयी शासन और प्रशासन में,कौन श्रेष्ठ है दोनो में दम किसके है शासन में सुना व्यवस्था पर चोट की।वीर रस कवियित्री कु वैशाली पाल ने अपने अंदाज में हो खड़ी जमीन पे,वो आसमा निहारती,गहराइयों को मापती, ऊंचाइयों को ताड़ती बेहतरीन रूप से सुनाया,राजकुमार चौहान ने हास्य अंदाज में थी सुहानी भोर, मध्यम था शोर,ऐसे में पधारे हमारे मित्र हमने कहा फ्रीकेट जन हित मे कुछ कहो सुनाकर सभी को गुदगुदाया।शिवानी रजक ने देश हित मे न जले वह दीप किस काम का,संघर्ष करो है वीर पुरुष ये समय नही आराम का सुना कार्यक्रम को बढ़ाया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ साहित्यकार भूपेंद्र जी विकल ने अपनी कविता प्रस्तुत करते हुए कहा हड्डियों का जाल कंकाल मेरे देश मे,तोंद लाला की हुईं फुटबाल मेरे देश मे,दानवों की कोठियों में जश्न रोज हो रहे,आदमी की खाल खींच रही मेरे देश मे सुनाकर कार्यक्रम को सफल बनाया।
कार्यक्रम का आरम्भ रिया माथुर ने सरस्वती वंदना अपूर्वा श्रीवास्तव के सुंदर शब्दो से सजे सटीक संचालन से हुआ,अंत मे आभार कार्यक्रम संयोजक आशुतोष ओज ने माना।

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