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जमीन सीमांकन हेतु पटवारी की जरूरत नहीं, अब खुद कर सकेंगे

भोपाल। मध्य प्रदेश के लोग अपनी जमीन का खुद सीमांकन ( DEMARCATION OF PROPERTY ) कर सकेंगे। उन्हें इसके लिए राजस्व विभाग के अधिकारियों के चक्कर नहीं काटना होंगे। भूमि सुधार के तहत राज्य सरकार CONTINUOUSLY OPERATING REFERENCE SYSTEM (CORS) तकनीक शुरू करने जा रही है। इसके माध्यम से जमीन का सीमांकन भू-स्वामी या संबंधित व्यक्ति खुद कर सकता है, विभाग भी रोवर मशीन के माध्यम से इसकी सटीक जानकारी दे सकता है।

CORS की शुरूआत छिंदवाड़ा से होगी

प्रदेश में इस सिस्टम को शुरू करने के लिए मुख्यमंत्री के जिले छिंदवाड़ा को चुना गया है। यहां से पायलट प्रोजेक्ट शुरू करने के बाद प्रदेश के अन्य जिलों में भी इसे शुरू कर दिया जाएगा। जून में इसकी शुरुआत हो जाएगी। राजस्व विभाग कोर्स के 150 टॉवर प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में लगाएगा। जरूरत पड़ने पर इनकी संख्या बढ़ाई भी जा सकती है। इसके माध्यम से डिफरेंशियल GPS द्वारा जमीन का सटीक सीमांकन किया जा सकेगा। विभाग के अधिकारियों के मुताबिक यह तकनीक तमिलनाडु में शुरू हो गई है जबकि कर्नाटक, महाराष्ट्र और उत्तराखंड में इस पर काम चल रहा है। 

MOBILE APP में खसरा नंबर डालते ही मिलेगी जानकारी

विभाग के अधिकारियों ने बताया कि आम आदमी भी जमीन का सीमांकन आसानी से कर पाएंगे। इसके लिए मोबाइल एप तैयार किया जा रहा है। इसमें भी जिलेवार भूमि की जानकारी उपलब्ध रहेगी। एप में भी खसरा नंबर और संबंधित जानकारी फीड करके जमीन का सीमांकन किया जा सकता है। इसमें जमीन की सही पोजीशन पता चल सकेगी। 

प्रोजेक्ट पर खर्च होंगे 20 करोड़ 

अगर किसी मामले में उपलब्ध नक्शे और कोर्स के सीमांकन में अंतर आता है तो इसकी शिकायत तहसीलदार से की जा सकती है। इस प्रोजेक्ट में 20 करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे हैं। राजस्व विभाग के अधिकारियों का दावा है कि इससे होने वाले सीमांकन में किसी भी विवाद की संभावना न के बराबर हाेगी। विभाग ने कोर्स टॉवर लगाने वाली कंपनियों से भी डील शुरू कर दी है। इसके लिए 5 कंपनियों को चिन्हित किया गया है। 

प्रदेशभर में लगेंगे 150 टॉवर 

कोर्स तकनीक में डी- जीपीएस के माध्यम से टॉवर सैटेलाइट से कनेक्ट होते हैं। एक टॉवर की रेंज 30 किमी तक होती है। इसमें अक्षांश और देशांश का सटीक आकलन होता है। इसके लिए राजस्व विभाग अपने अमले को रोवर मशीन उपलब्ध करवाएगा। संबंधित क्षेत्र के उपलब्ध नक्शे पहले से सर्वर पर लोड किए जाएंगे। इसके बाद मशीन में संबंधित जानकारी डालकर जमीन का सटीक सीमांकन कर सकते हैं। तीन टॉवर के माध्यम से जमीन की सही स्थिति का पता चलेगा। काेर्स के टॉवर 8-10 फीट के होते हैं और इन्हें सरकारी बिल्डिंग पर लगाया जाएगा। 

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