थावरचंद गेहलोत, जीतेंद्र सिंह बुंदेला, लक्ष्मीकांत शर्मा सहित कई चेहरों की वापसी संभावनाओं पर विचार कर रही पार्टी।
भोपाल। भाजपा लोकसभा चुनाव में एक बार फिर पुराने नेताओं पर भरोसा कर सकती है। ऐसे नेताओं में अशोक अर्गल सहित कई नेताओं का नाम आगे आ रहा है। भिंड की सुरक्षित सीट से डॉ. भागीरथ प्रसाद सांसद हैं, लेकिन पार्टी उन्हें रिपीट नहीं करना चाहती है।
ऐसी कई अन्य सीट भी हैं जहां पुराने चेहरे को पार्टी आजमा सकती है, उनमें धार, मंदसौर, देवास-शाजापुर, राजगढ़, उज्जैन, खरगोन और बैतूल सीट शामिल हैं। थावरचंद गेहलोत, जितेंद्र सिंह बुंदेला, लक्ष्मीकांत शर्मा सहित कई चेहरों की वापसी संभावना जताई जा रही है।
भिंड- अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित इस सीट से पूर्व सांसद अशोक अर्गल का नाम सामने आया है। अर्गल 1996 में पहली बार सांसद बने थे। इसके बाद 1998, 1999 और 2004 में भी वे मुरैना से ही सांसद चुने गए। 2009 में उन्हें भिंड से टिकट दिया गया था। अभी वे मुरैना से महापौर हैं।
खजुराहो- सांसद नागेंद्र सिंह विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं। पार्टी यहां नए प्रत्याशियों की तलाश तो कर रही है पर पुराने प्रत्याशियों को भी गंभीरता से ले रही है। यहां के पूर्व सांसद जितेंद्र सिंह बुंदेला को पार्टी ने पिछले चुनाव 2014 में टिकट नहीं दिया था। 2018 में बुंदेला विधानसभा के टिकट की दौड़ में थे। उन्हें टिकट न देकर पार्टी ने छतरपुर जिले का कार्यकारी अध्यक्ष बना दिया था। बिजावर विधानसभा सीट से वे विधायक भी रह चुके हैं।
देवास- इस लोकसभा क्षेत्र से सांसद रहे मनोहर ऊंटवाल भी विधायक बन गए हैं। इस हालात में पार्टी यहां से सांसद रहे केंद्रीय मंत्री थावरचंद गेहलोत को दोबारा लोकसभा चुनाव में उतारना चाह रही है। फिलहाल वे राज्यसभा सदस्य हैं। गेहलोत 1996 से 2009 तक लगातार देवास-शाजापुर लोकसभा क्षेत्र से सांसद रहे हैं। पार्टी सूत्रों का मानना है कि गेहलोत के खिलाफ किसी तरह की एंटीइनकमबेंसी नहीं है। मंत्री रहने के कारण पार्टी को फायदा भी मिलेगा।
बालाघाट- महाकोशल की यह सीट भी भाजपा की परम्परागत सीट है पर इस बार यहां के समीकरण गड़बड़ाए हुए हैं। विधानसभा चुनाव में यहां भाजपा को मात्र तीन सीट पर ही जीत मिल पाई है। इस कारण पार्टी यहां टिकट बदलने के मूड में है। यहां सांसद बोध सिंह भगत, गौरीशंकर बिसेन में जबर्दस्त टकराव है। बिसेन गुट ने साफ संकेत पार्टी को दिए हैं कि यदि भगत को टिकट दिया गया तो परिणाम ठीक नहीं आएंगे। बिसेन समर्थकों ने उनकी बेटी मौसम को प्रत्याशी बनाए जाने का प्रस्ताव दिया है, इस पर पार्टी दुविधा में है कि क्या किया जाए। पुराने चेहरों में प्रहलाद सिंह पटेल भी एक नाम है जिन्हें पार्टी दमोह के बजाय बालाघाट भेजने के बारे में सोच रही है।
सागर- सागर संसदीय सीट पर भाजपा सात विधानसभा क्षेत्रों में आगे रही है पर सागर सांसद लक्ष्मीनारायण यादव के बेटे को भाजपा ने विधानसभा चुनाव का टिकट इसी शर्त पर दिया था कि वे लोकसभा का टिकट नहीं मांगेंगे। पार्टी का एक बड़ा वर्ग यहां से लक्ष्मीकांत शर्मा को टिकट देना चाहता है। शर्मा को परिवहन आरक्षक भर्ती घोटाले में क्लीनचिट दी गई है। शर्मा की सिरोंज सीट सागर लोकसभा क्षेत्र में आती है। वैसे यहां से भाजपा किसी युवा नेता को भी उतारना चाहती है। पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल और भाजयुमो के पूर्व राष्ट्रीय कार्यसमति सदस्य कल्पेश ठाकुर टिकट की दौड़ में हैं।
उज्जैन- भाजपा की इस परम्परागत सीट पर भी चुनाव इस बार चुनौतीपूर्ण होगा। सांसद चिंतामणि मालवीय के परफार्मेंस से पार्टी चिंतित है। विधानसभा चुनाव में भी यहां से कांग्रेस ने पांच और भाजपा ने तीन सीट जीती हैं। इस खतरे को भांपकर भाजपा यहां से अनुसूचित जाति के नेता प्रेमचंद गुड्डू को लोकसभा चुनाव में उतारने के बारे में फीडबैक जुटा रही है। गुड्डू ने कांग्रेस में रहते हुए 2009 में यहां सत्यनारायण जटिया को हराया था। जटिया लंबे समय तक यहां से सांसद रहे हैं।
विधानसभा में भी किया था यह प्रयोग
पार्टी ने विधानसभा चुनाव में भी यह प्रयोग किया था पर कई सीटों पर सफल नहीं रहा। महेश्वर से राजकुमार मेव की जगह भूपेंद्र आर्य, कालापीपल में इंदरसिंह परमार का टिकट काटकर कुणाल चौधरी के खिलाफ डॉ. बाबूलाल वर्मा का प्रयोग भी असफल रहा। वर्मा और आर्य दोनों ही पूर्व विधायक थे।
कार्यकर्ता नया या पुराना नहीं होता
भाजपा का कार्यकर्ता नया या पुराना नहीं होता है वो सिर्फ कार्यकर्ता होता है। उसकी दावेदारी हमेशा बनी रहती है। लोकसभा चुनाव में पार्टी सक्रियता और सजगता के साथ जनभावनाओं का देखते हुए प्रत्याशियों का चयन करेगी।
– डॉ. विनय सहस्त्रबुद्धे, मप्र प्रभारी, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भाजपा
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