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कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने ये कार्य नहीं किया तो पार्टी से हटाए जाएंगे, जानिए पार्टी ने क्या दिया है निर्देश

सक्रिय करने के लिए सभी प्रमुख पदाधिकारियों की कार्यप्रणाली पर निगरानी कर रही है। इस आशय का आदेश पार्टी के प्रदेश मुख्यालय की ओर से सेल के संभागीय समन्वयक, जिला अध्यक्ष, विधानसभा समन्वयक के साथ ही प्रदेश स्तर के पदाधिकारियों को भेजा गया है। जिसमें कहा गया है कि कांग्रेस के आफिशियल ट्वीटर अकाउंट एवं फेसबुक पेज से पोस्ट की जाने वाली हर सूचना को अधिक से अधिक शेयर कराना है। पूर्व में भी इस आशय के निर्देश दिए गए थे लेकिन सोशल मीडिया एवं आइटी सेल के पदाधिकारियों ने इसे नजरंदाज कर दिया। पत्र में कहा गया है कि प्रदेश कार्यालय में एक टीम गठित की गई है जो प्रदेश भर के पदाधिकारियों के सोशल मीडिया के अकाउंट पर नजर रख रही है। सेल के जो पदाधिकारी निष्क्रिय पाए जाएंगे उन्हें अयोग्य मानते हुए उन्हें पद से हटा दिया जाएगा। कांग्रेस सोशल मीडिया एवं आइटी सेल के प्रदेश अध्यक्ष ने पदाधिकारियों के लिए एक हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया है। जिसमें वह किसी भी समस्या का समाधान पूछ सकेंगे।

रीवा में लोकसभा चुनाव जीतने की कांग्रेस ने बनाई यह रणनीति
प्रदेश में 15 वर्षों के बाद सत्ता में वापसी कांग्रेस पार्टी की जरूरी हुई है, लेकिन जिस तरह से रीवा सहित पूरे विंध्य में परिणाम आए हैं, उससे साफ जाहिर हो रहा है कि वर्तमान नेतृत्व जनता को नहीं जोड़ पा रहा है। चुनाव बाद प्रदेश में सरकार गठित हो गई और अब लोकसभा चुनाव की तैयारियां भी शुरू हो गई हैं। पार्टी ने जिस तरह से विधानसभा का चुनाव लड़ा था, उसी तरह के प्रबंधन पर आगे भी लडऩा चाह रही है। इसके लिए कार्यकर्ताओं के बीच रायशुमारी कर नाम तय करने की प्रक्रिया शुरू होने जा रही है। एआइसीसी के पर्यवेक्षक पार्टी के सभी प्रमुख नेताओं और कार्यकर्ताओं से राय लेंगे कि लोकसभा चुनाव किस तरह से लड़ा जाए और हर विधानसभा क्षेत्र से कितने नेता दावेदार हैं। 
यहां से प्रारंभिक रिपोर्ट लेने के बाद समीक्षा की जाएगी और फिर दावेदारों से भी चर्चा कर पूछा जाएगा कि आखिर वह किस वजह से सबसे मजबूत दावेदार हो सकते हैं। गुटों में बंटी कांग्रेस अब सरकार आने के बाद भी उसी राह पर है। विधानसभा चुनाव के दौरान व्यापक रूप से आंतरिक कलह का सामना पार्टी के प्रत्याशियों को करना पड़ा था। इस पर भी रायशुमारी के दौरान फोकस किया जा सकता है। पार्टी के पास रीवा जिले में कोई जादुई चेहरा नहीं है, जिसके दम पर भाजपा और बसपा को मात दी जा सके। बीते कई चुनावों से त्रिकोणीय मुकाबला होता आ रहा है। कुछ नए चेहरों को पार्टी ने जोड़ा है लेकिन उनके प्रति कार्यकर्ताओं की स्वीकार्यता कितनी होगी यह कुछ दिनों के बाद स्पष्ट हो पाएगा।

– 17 को रीवा में होगी रायशुमारी
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सचिव सुधांशु त्रिपाठी संभागीय दौरे पर आ रहे हैं। १५ जनवरी को सतना, १६ को सीधी एवं १७ को रीवा में पार्टी के वर्तमान और पूर्व पदाधिकारियों के साथ ही पूर्व सांसद, विधायक एवं अन्य प्रकोष्ठ-विभाग के पदाधिकारियों को बुलाया गया है। रीवा में विधानसभा चुनाव के दौरान रायशुमारी में हंगामा हुआ था, इस कारण इस बार वीडियोग्राफी कराने की भी तैयारी की जा रही है। यहां पर एआइसीसी पर्यवेक्षकों के साथ ही प्रदेश प्रभारी दीपक बावरिया के साथ झूमा झटकी हुई थी।

– पूर्व में धरी रह गई थी रायशुमारी 
विधानसभा चुनाव के दौरान करीब चार महीने पहले से ही रायशुमारी शुरू की गई थी लेकिन जब टिकट वितरण की बारी आई तो केवल जीत को टारगेट में रखा गया। रीवा में ही राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी कहकर गए थे कि पैराशूट मॉडल पर टिकट वितरण नहीं होगा। देवतालाब में चार दिन पहले बसपा छोड़कर आई विद्यावती पटेल को मैदान में उतारा तो रीवा और मनगवां से भी दूसरे दलों से आए नेताओं को प्रत्याशी बनाया गया। इतना ही नहीं पूर्व विधानसभा अध्यक्ष स्व. श्रीनिवास तिवारी के घर से गुढ़ और सिरमौर के लिए टिकट दी गई। चुनाव परिणाम में इसका असर देखा गया।

इन नेताओं के बीच नाम चयन होने की चर्चा
रीवा लोकसभा सीट के लिए जिन प्रमुख नामों पर इनदिनों चर्चा चल रही है, उसमें प्रमुख रूप से पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष पुष्पराज सिंह, पूर्व सांसद सुंदरलाल तिवारी, जिला पंचायत अध्यक्ष अभय मिश्रा, पूर्व विधायक सुखेन्द्र सिंह, पूर्व विधायक राजेन्द्र मिश्रा, उदयप्रकाश मिश्रा सहित अन्य कई नाम शामिल हैं। इसमें सभी को हार का सामना करना पड़ा है। पुष्पराज सिंह पूर्व में विधानसभा और लोकसभा की सीट हार चुके हैं तो सुंदरलाल हाल ही में विधानसभा चुनाव में तीसरे नंबर थे। उन्हें पार्टी पांच बार लगातार पार्टी ने लोकसभा लड़ा चुकी है जिसमें एक बार जीते थे। इसी तरह सुखेन्द्र और अभय भी हाल में विधानसभा चुनाव हारे हैं, राजेन्द्र मिश्रा और उदयप्रकाश भी हार का सामना कर चुके हैं। इन्हीं में से पार्टी को तय करना है कि सबसे बेहतर विकल्प कौन होगा। दावेदारों में पिछड़ा वर्ग से रमाशंकर सिंह पटेल और विद्यावती के समर्थक भी नाम प्रस्तावित करेंगे।

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