झाबुआ में हुए उपचुनाव में जीतकर आए कांग्रेस के कांतिलाल भूरिया ने आज गुरुवार को विधायक पद की शपथ ली, शपथ लेने के बाद उनके समर्थकों द्वारा डिप्टी सीएम व कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने शक्ति प्रदर्शन शुरु कर दिया. इस बात की खबर जैसे ही सीएम कमलनाथ के कानों तक पहुंची तो उन्होने तत्काल ही कांतिलाल भूरिया को बुलाकर फटकार भी लगा दी, कमलनाथ की नाराजगी आज पार्टी के नेताओं के बीच ही चर्चा का विषय बनी रही. बताया जाता है कि उपचुनाव में जीत हासिल करते आए कांतिलाल भूरिया ने आज गुरुवार को दोपहर में विधानसभा सदस्य के रुप में शपथ ली.
श्री भूरिया के शपथ लेने के बाद ही समर्थकों ने डिप्टी सीएम से लेकर प्रदेश बनाए कहकर शक्ति प्रदर्शन करना शुरु कर दिया. वहीं कांतिलाल भूरिया भी चुनाव जीतने के बाद से अपने खास लोगों से भी डिप्टी सीएम बनने दावे तक किए है. इन सारी परिस्थितियों की जानकारी जब सीएम कमलनाथ को लगी तो उन्होने श्री भूरिया को बंद कमरें में चुप रहने के लिए कह दिया. गौरतलब है कि कांतिलाल भूरिया चुनाव जीतने के बाद प्रदेश अध्यक्ष से लेकर डिप्टी सीएम बनने का ख्बाव देख रहे है, यहां तक कि कई मौके पपर शक्ति प्रदर्शन तक किया गया है.
गौरतलब है कि ्रमध्यप्रदेश में कांग्रेस अध्यक्ष पद को लेकर खींचतान लम्बे समय से चल रही है. वर्तमान में यह पद मुख्यमंत्री कमलनाथ के पास है. जब से नाथ ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है तभी से उनके एक पद छोडऩे को लेकर दबाव बना हुआ है. दिल्ली में भी कई दौर की बैठकों के बाद कई गुटों में बंटी कांग्रेस में जब विवाद के स्वर निकले तो प्रदेश अध्यक्ष बनाने का फैसला हाईकमान ने टाल दिया.
बहुमत पर पहुंची कमलनाथ सरकार-
झाबुआ अजजा सीट से विधानसभा का उपचुनाव जीतकर आए कांतिलाल भूरिया समेत अब कमलनाथ सरकार के विधायकों की संख्या 115 हो गई है. जबकि सदन में कुल सदस्य संख्या 230 है. हालांकि कमलनाथ सरकार के पास बसपा और अन्य निर्दलीय विधायकों का भी समर्थन प्राप्त है. इसी प्रकार भाजपा 109 से घटकर अब 108 पर पहुंच गई है. कांतिलाल भूरिया ने भाजपा के भानु भूरिया को 27 हजार से अधिक मतों से पराजित किया था.
गर्म होने लगा था चर्चाओं का बाजार-
चुनाव जीतने के बाद कांतिलाल भूरिया को कोई बड़ी जिम्मेदारी दिए जाने पर बहस छिड़ी हुई थी. कोई उन्हें डिप्टी सीएम तक प्रोजेक्ट करने की बात कह रहा था तो कोई उन्हें प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में दावे कर रहा था. इसे लेकर पार्टी के भीतर ही भीतर घमासान होने लगा. मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने भी भूरिया को पीसीसी चीफ के लिए परफेक्ट व्यक्ति बताकर राजनीति गर्मा दी थी.