अनोखा बंधन
याद आता है वो
बचपन सुहाना
यूँ लड़ना झगड़ना
रुठना मनाना
बडे़ होकर
दूर देश है जाना
पर भाई
अपनी बहन को
भूल न जाना
माँ पापा के बाद
तुमको ही तो है
हर फर्ज निभाना
मै जब भी बुलाऊँ
तुम आ जाना
ना भी कहुँ
तब भी मिलने आना
रचनाकार का नाम.. उर्वशी शर्मा गौतम
शासकीय शिक्षिका
शीर्षक.. *माँ से मायका*
माँ से मायका है ,
माँ से प्याज वाले मंगोडो़ं में जायका है |
माँ है तो निमंत्रण ,बुलावा है ,
माँ से मायके में नियम कायदा है |
याद आता है हर साल ,
माँ का शाॕल या श्वेटर का प्यार भरा उपहार |
वो माँ का स्पर्श , दुलार
जब भी आता है त्यौहार. ,
बस याद आता है माँ का प्यार
*उर्वशी शर्मा गौतम*