भोपाल. विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस की नजर उन 19 फीसदी वोटों पर भी है, जो दोनों मुख्य दलों से अलग हैं। इस वोट बैंक पर 12 से ज्यादा छोटी राजनीतिक पार्टियों का कब्जा है। प्रदेश कांग्रेस के मुखिया कमलनाथ साफ कर दिया है कि भाजपा के खिलाफ सभी राजनीतिक दलों को एक मंच पर आना होगा।
इसकी अगुवाई कांग्रेस कर रही है। बसपा और सपा ने इसके संकेत भी दिए हैं। गोंडवाना गणतंत्र पार्टी से कमलनाथ की बात चल रही है। बसपा के अलावा अन्य दलों के पास वोट प्रतिशत बहुत कम है, लेकिन 2008 में कई छोटे दलों ने अच्छा वोट प्रतिशत हासिल किया था। कांग्रेस कम वोट शेयरिंग को भी अपने पाले में लाकर खुद को मजबूत करना चाहती है। वह विधानसभा की 30 सीटें सहयोगी पार्टियों के लिए छोड़ सकती है।
– ये है इस वोट बैंक का गणित
2013 के चुनाव में भाजपा को 44.87 और कांग्रेस को 36.38 फीसदी वोट मिले थे। यानी प्रदेश का 81 प्रतिशत वोट बैंक भाजपा और कांग्रेस के पास है। बाकी 19 फीसदी छोटी पार्टियों में बंटा हुआ है।
2013 के चुनाव में भाजपा को 44.87 और कांग्रेस को 36.38 फीसदी वोट मिले थे। यानी प्रदेश का 81 प्रतिशत वोट बैंक भाजपा और कांग्रेस के पास है। बाकी 19 फीसदी छोटी पार्टियों में बंटा हुआ है।
– छोटी पार्टियों का वोट बैंक
बसपा – 6.29
गोंडवाना – 1.0
समाजवादी पार्टी – 0.03
सीपीआई – 0.15
सीपीएम – 0.07
जेडीयू – 0.25
एनसीपी – 0.29
अन्य – 5
निर्दलीय – 5
बसपा – 6.29
गोंडवाना – 1.0
समाजवादी पार्टी – 0.03
सीपीआई – 0.15
सीपीएम – 0.07
जेडीयू – 0.25
एनसीपी – 0.29
अन्य – 5
निर्दलीय – 5
– भाजपा जिसे कमजोरी मान रही है उसे ताकत बनाएगी कांगे्रस
भाजपा दिग्विजय शासनकाल को मुद्दा बनाएगी तो कांग्रेस यह बताने का प्रयास करेगी कि केन्द्र की तत्कालीन भाजपा सरकार ने साजिश के तहत दिग्विजय सरकार को फेल करने की कोशिश की थी।
भाजपा दिग्विजय शासनकाल को मुद्दा बनाएगी तो कांग्रेस यह बताने का प्रयास करेगी कि केन्द्र की तत्कालीन भाजपा सरकार ने साजिश के तहत दिग्विजय सरकार को फेल करने की कोशिश की थी।
जवाब में भाजपा के 15 साल की तुलना भी होगी। कांग्रेस का कहना है कि दिग्विजय सरकार के 10 साल में जितने विकास कार्य हुए थे, उतने भाजपा सरकार 15 साल में भी नहीं कर पाई। उस दौरान केन्द्र की भाजपा सरकार ने राज्य की कांग्रेस सरकार को बदनाम करने की साजिश की थी। यह साजिश बेनकाब हो गई है। कांग्रेस शासनकाल में प्रदेश में तेजी से विकास हुआ।
सड़कों का जाल बिछा। वर्ष 2000 में मध्यप्रदेश से छत्तीसगढ़ राज्य को पृथक कर दिया गया, जिससे अधिकांश पॉवर प्लांट छत्तीसगढ़ चले गए। छत्तीसगढ़ में मांग से ज्यादा बिजली हो गई और मध्यप्रदेश में संकट छा गया। केन्द्र की भाजपा सरकार ने राज्य की आर्थिक सहायता में भी भारी कटौती कर दी, जिससे ओवरड्राफ्ट से काम चलाना पड़ा।
विधानसभा चुनाव में भाजपा के खिलाफ सभी दलों को एक होना चाहिए। गठबंधन को लेकर कांग्रेस की बातचीत चल रही है। इस स्थिति में कांग्रेस 200 सीटों पर चुनाव लड़ेगी।
– कमलनाथ, अध्यक्ष, कांग्रेस
– कमलनाथ, अध्यक्ष, कांग्रेस