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चुनाव में भितरघात करने वालों का क्या होगा हश्र

   

संगठन के पास पहुंची शिकायतें

भोपाल. लोकसभा चुनाव में कांगे्रस और भाजपा के कुछ प्रत्याशियों की राह में अपनों ने ही कांटे बिछा दिए थे। उन्हें चुनाव में प्रतिद्वंद्वी के अलावा अपनों की पैदा की गई मुश्किलों से भी जूझना पड़ा। चुनाव के वक्त किसी पर भी कार्रवाई करना नई मुश्किल खड़ी कर सकता था। अब मतदान पूर्ण होते ही दोनों दल भितरघातियों और चुनाव में निष्क्रिय रहने वालों का रेकॉर्ड तैयार कर रहे हैं। चुनाव परिणाम के बाद कार्रवाई भी शुरू हो जाएगी।
भाजपा : दस सीटों से पहुंची शिकायत
भाजपा के कई प्रत्याशियों, चुनाव संयोजकों और जिला अध्यक्षों ने स्थानीय नेताओं-पदाधिकारियों के सहयोग नहीं करने की शिकायतें प्रदेश संगठन के पास भेजी हैं। पार्टी चुनाव परिणाम के बाद कुछ जिलों और मंडल के अध्यक्षों के साथ ही मोर्चा के भी कई पदाधिकारियों की छुट्टी करने जा रही है।
– इन सीटों से आई शिकायतें
सीधी- कई बूथों पर पार्टी के प्रतिनिधियों की तैनाती ही नहीं हो सकी। पूर्व सांसद और एक विधायक के खिलाफ भी असहयोग और निष्क्रिय रहने का फीडबैक।
खजुराहो- यहां बाहरी प्रत्याशी वीडी शर्मा को स्थानीय कार्यकर्ताओं का पूरा सहयोग नहीं मिला। कुछ लोगों ने बागी उतरे गिरीराज पोद्दार के समर्थन में काम किया है उनकी शिकायतें पहुंची है।
सागर- यहां राजबहादुर सिंह के टिकट से नाराज गई स्थानीय नेताओं के असहयोग और विरोध मेंं काम करने की शिकायत पहुंची है।
सतना- सतना में पूर्व विधायक सहित कुछ नेताओं के असहयोग की शिकायत है।
शहडोल- सांसद ज्ञान सिंह और उनके विधायक पुत्र शिवनारायण सिंह के निष्क्रिय रहने की शिकायत पहुंची है।
भोपाल- कई स्थानीय नेताओं के असहयोग की शिकायत की गई, जिसके चलते केंद्रीय संगठन को बड़े नेताओं की ड्यूटी लगाना पड़ी।
राजगढ़- स्थानीय स्तर पर नेताओं के असहयोग और चुनाव में कार्य नहीं करने की रिपोर्ट संगठन के पास पहुंची है।
बालाघाट- सांसद बोधङ्क्षसह भगत के बागी होकर चुनाव मैदान में उतरने के बाद उनके समर्थन में कई नेताओं-पदाधिकारियों के काम करने की शिकायत की गई।
इंदौर – यहां प्रत्याशी शंकर लालवानी का कई स्थानीय नेताओं ने असहयोग किया। हालात इतने बिगड़े की प्रदेश संगठन मंत्री रामलाल ने नेताओं की क्लास लगाई। इस बैठक में जिला अध्यक्ष गोपीकृष्ण को कड़ी फटकार भी मिली।
मंदसौर – यहां संगठन महामंत्री सुहास भगत और केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को अंतिम वक्त पहुंचकर भाजपा नेताओं को सक्रिय करना पड़ा। यहां की कई शिकायतें पहुुचीं।
चुनाव लडऩे की इच्छा कई लोगों की होती है, लेकिन टिकट एक को ही मिलता है। ऐसे में असंतोष उपजना स्वाभाविक है। आवश्यकता पडऩे पर कार्रवाई भी की जाएगी।
– विजेश लुनावत, उपाध्यक्ष, प्रदेश भाजपा

कांग्रेस : असहयोगियों की कुंडली तैयार
कांग्रेस भी भितरघात की कुंडली तैयार कर रही है। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ऐसे नेताओं की सूची तैयार करने के लिए कहा हैं। जिन सीटों से भितरघात की शिकायतें आई थीं, वहां संबंधित नेताओं को सरकार में कोई पद नहीं दिया जाएगा। साथ ही उन पर कार्रवाई की स्थिति बन सकती है।
– चुनिंदा सीटों की स्थिति
भोपाल : दिग्विजय सिंह के चुनाव लडऩे के कारण अधिकतर गुट काम करने को मजबूर हो गए थे, लेकिन शिकायतों की भी भरमार रही है। दिग्विजय ने भी अपनी रिपोर्ट तैयार की है।
शहडोल : दल-बदल करके आईं प्रमिला सिंह को टिकट देने से स्थानीय नेता नाराज रहे थे। खुलकर विरोध नहीं किया गया, लेकिन स्थानीय कार्यकर्ताओं ने असहयोग किया।
खंडवा : निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा ने प्रत्याशी अरुण यादव को मुश्किल में डाल दिया। कुछ दिन पूर्व ही सीएम के मनाने पर शेरा माने थे, लेकिन उनकी भूमिका ठीक नहीं रही। यादव ने इस पर ऐतराज जताया है।
रतलाम : यहां कांतिलाल भूरिया की चुनौती बागी होने के बाद वापस पार्टी में आए जेवियर मेढ़ा के कारण बढ़ी है। मेढ़ा ने भूरिया खेमे को नुकसान पहुंचाया है।
सीधी : यहां पूर्व नेता-प्रतिपक्ष अजय सिंह को भीतरी चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। यहां पटेल खेमा उनसे पूरी तरह अलग-थलग रहा। मंत्री कमलेश्वर पटेल के पिता स्व. इंद्रजीत पटेल के समय से उनकी खेमेबाजी है।
खजुराहो : यहां कविता सिंह के टिकट से बाकी नेता नाराज थे। पूर्व राज्यसभा सांसद सत्यव्रत चतुर्वेदी व पूर्व मंत्री राजा पटैरिया का खेमा यहां अलग रहा। कविता के पति विधायक विक्रमय सिंह नातीराजा ही पूरा मोर्चा संभाले रहे।
चुनाव खत्म होने के बाद यह देखा ही जाता है कि किन नेताओं से सहयोग किया और किसने नहीं। इसकी पूरी जानकारी लेकर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के सामने रखी जाएगी।
– चंद्रप्रभाष शेखर, संगठन प्रभारी, प्रदेश कांग्रेस

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