रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारत और चीन के बीच जारी गतिरोध को लेकर लोकसभा में बयान दिया। विपक्ष द्वारा लगातार इस मुद्दे पर सरकार को घेरा जा रहा था। ऐसे में रक्षा मंत्री ने एक-एक करके इस मुद्दे पर सरकार की स्थिति स्पष्ट की।
रक्षा मंत्री ने कहा कि हाल ही में चीन ने लद्दाख में घुसपैठ का प्रयास किया, जिसे भारतीय जांबाजों ने विफल कर दिया। हालांकि, दोनों दी देश चाहते हैं कि सीमा पर तनाव कम किया जाए और शांति बहाल की जाए। लद्दाख में हम एक चुनौती के दौर से गुजर रहे हैं और हमें प्रस्ताव पारित करना चाहिए कि पूरा सदन जवानों के साथ खड़ा है।
राजनाथ ने कहा कि मैंने हाल ही में लद्दाख जाकर जवानों का हौसला बढ़ाया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी लद्दाख पहुंचकर जवानों से मिले। उन्होंने यह संदेश भी दिया था हम हमारे वीर जवानों के साथ खड़े हैं। रक्षा मंत्री ने कहा कि सीमा पर मैंने वीर जवानों के अदम्य साहस को महसूस किया है। आप जानते हैं कर्नल संतोष बाबू ने मातृभूमि की रक्षा करते हुए सर्वोच्च बलिदान दिया था।
रक्षा मंत्री ने कहा, दोनों देश सीमा पर शांति बहाली चाहते हैं। भारत और चीन दोनों सहमत हैं कि भारत-चीन सीमा क्षेत्रों में शांति बनाई रखी जाए क्योंकि यह द्विपक्षीय संबंधों के आगे के विकास के लिए आवश्यक है।
उन्होंने कहा कि चीन मानता है कि ट्रैडिशनल लाइन के बारे में दोनों देशों की अलग-अलग व्याख्या है। दोनों देश 1960 के दशक में इस पर चर्चा कर रहे थे, लेकिन कोई समाधान नहीं निकला है। चीन ने लद्दाख में 48 हजार किलोमीटर क्षेत्र पर अवैध कब्जा किया हुआ था। इसके अलावा पाकिस्तान ने चीन को पीओके की भी कुछ भूमि सौंपी।
राजनाथ ने कहा कि सीमा विवाद एक बड़ा मुद्दा है और इसका हल शांतिपूर्ण और बातचीत के तरीके से निकाला जाना चाहिए। दोनों देशों ने शांति बहाल रखने के लिए समझौते किए हैं। हालांकि, चीन द्वारा इनका पालन नहीं किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि चीन ने 1993 और 1996 के समझौतों का पालन नहीं किया। मई में चीन की वजह से तनाव की स्थिति पैदा हुई है। इसके बाद चीन ने 29-30 अगस्त की रात उकसाने की कार्रवाई की। लेकिन हमारे जवानों ने चीन को सबक सिखाया।
रक्षा मंत्री ने कहा कि भारतीय सैनिकों ने चीन को भारी क्षति पहुंचाई है। इसके लिए हमारे जावनों की भूरि-भूरि प्रशंसा की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि हम भारत की संप्रभुता और अखंडता के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं।
राजनाथ ने कहा कि 1990 से 2003 तक दोनों देशों में मिलीजुली सहमति बनाने की कोशिश की गई, लेकिन इसके बाद चीन इस दिशा में आगे नहीं बढ़ा। अप्रैल माह से लद्दाख की सीमा पर चीन के सैनिकों और हथियारों में वृद्धि देखी गई।
उन्होंने कहा कि चीन ने हमारे जवानों की पेट्रोलिंग के दौरान दखलअंदाजी की, जिस कारण सीमा पर तनाव की स्थिति बनी। लेकिन हमारे जवानों ने शौर्य दिखाया और चीन के मंसूबों पर पानी फेर दिया। हमारे जवानों ने जहां शौर्य की जरूरत थी शौर्य दिखाया और जहां शांति की जरूरत थी शांति रखी।
रक्षा मंत्री ने कहा कि विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी चीनी विदेश मंत्री से कहा कि अगर समझौतों को पालन किया जाए तो शांति बहाल की जा सकती है। मैं सदन में यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि हम किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार हैं।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के भाषणों और बयानों से सेना के जवानों के बीच इस बात का संदेश गया है कि देश उनके साथ खड़ा है। लद्दाख में हम एक चुनौती के दौर से गुजर रहे हैं और हमें प्रस्ताव पारित करना चाहिए कि पूरा सदन जवानों के साथ खड़ा है।